प्रदेश की कांग्रेस सरकार का फैसला, रोजगार और शैक्षणिक संस्थानों में मिलेगा लाभ
एनसीबीसी ने की आलोचना
देश के इन पांच राज्यों में सभी मुस्लिम ओबीसी में शामिल
बंगलुरु (khabargali) मुस्लिम आरक्षण लोकसभा चुनाव का मुद्दा बन गया है। भाजपा और कांग्रेस एक-दूसरे के आमने-सामने हैं. भाजपा लगातार OBC का हक मारने का आरोप लगा रही है। कांग्रेस का कहना है कि बीजेपी इस मुद्दे पर झूठ फैला रही है। सवाल यह है कि आखिर देश के मुस्लिमों को आरक्षण कैसे मिलता है और दक्षिण भारत के राज्यों में अलग व्यवस्था क्यों है?
इधर कर्नाटक की कांग्रेस सरकार ने आरक्षण का लाभ देने के लिए मुसलमानों को पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) में शामिल किया है। इस मामले की जानकारी राष्ट्रीय पिछड़ा आयोग ने दी। एनसीबीसी ने कर्नाटक सरकार के आंकड़ों का हवाला देते हुए पुष्टि की। न्यूज एजेंसी के मुताबिक, राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग ने कहा कि कर्नाटक सरकार के आंकड़ों के अनुसार, कर्नाटक के मुसलमानों की सभी जातियों और समुदायों को राज्य सरकार के तहत रोजगार और शैक्षणिक संस्थानों में आरक्षण के लिए ओबीसी की सूची में शामिल किया गया है। श्रेणी दो-बी के तहत, कर्नाटक राज्य के सभी मुसलमानों को ओबीसी माना गया है। आयोग ने कहा कि श्रेणी-1 में 17 मुस्लिम समुदायों को ओबीसी माना गया है जबकि श्रेणी-2 ए में 19 मुस्लिम समुदायों को ओबीसी माना गया है।
कर्नाटक राज्य में मुस्लिम आबादी 12.92 प्रतिशत
एनसीबीसी के अध्यक्ष हंसराज गंगाराम अहीर के मुताबिक, कर्नाटक सरकार के नियंत्रणाधीन नौकरियों और शिक्षण संस्थानों में प्रवेश में आरक्षण के लिए कर्नाटक के सभी मुस्लिम धर्मावलंबियों को ओबीसी की राज्य सूची में शामिल किया गया है। कर्नाटक सरकार के पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग ने राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग को लिखित रूप से अवगत कराया है कि मुस्लिम और ईसाई जैसे समुदाय न तो जाति हैं और न धर्म। कर्नाटक राज्य में मुस्लिम आबादी 12.92 प्रतिशत है। कर्नाटक में मुस्लिमों को धार्मिक अल्पसंख्यक माना जाता है। साल 2011 की जनगणना के मुताबिक, कर्नाटक राज्य में मुस्लिम की जनसंख्या 12.32 प्रतिशत है।
इन 17 मुस्लिम समुदायों को कैटगरी-1 में ओबीसी माना गया
जिन 17 मुस्लिम समुदायों को श्रेणी 1 में ओबीसी माना गया उनमें नदाफ, पिंजर, दरवेश, छप्परबंद, कसाब, फुलमाली (मुस्लिम), नालबंद, कसाई, अथारी, शिक्कालिगारा, सिक्कालिगर, सालाबंद, लदाफ, थिकानगर, बाजीगारा, जोहारी और पिंजारी शामिल हैं।
अन्य पिछड़ा वर्ग के अधिकारों की हानि : एनसीबीसी
वहीं, एक अखबार की रिपोर्ट के मुताबिक, एनसीबीसी ने आरक्षण उद्देश्यों के लिए मुस्लिम समुदाय को पिछड़ी जाति के रूप में वर्गीकृत करने के कांग्रेस सरकार के फैसले की आलोचना करते हुए कहा है कि इसने सामाजिक न्याय के सिद्धांत को कमजोर कर दिया है। आयोग ने कहा कि इस कदम से राज्य में अन्य पिछड़ा वर्ग के अधिकारों की हानि हुई है।
देश के इन पांच राज्यों में सभी मुस्लिम ओबीसी में शामिल
देश में उन्हीं मुस्लिम जातियों को आरक्षण मिलता है जो या तो केंद्रीय ओबीसी सूची में शामिल हैं या फिर राज्य की। समय-समय पर राज्य इन सूचियों में फेरबदल करते हैं और आरक्षण से छेड़छाड़ के बिना अन्य जातियों को इसमें शामिल कर लेते हैं। हालांकि देश में कर्नाटक समेत पांच राज्य ऐसे थे जहां सभी मुसलमानों को ओबीसी में शामिल किया गया था। इनमें केरल और तमिलनाडु सबसे आगे हैं। इसके अलावा तेलंगाना, आंध्रप्रदेश और कर्नाटक इस सूची में शामिल हैं। खासतौर से तेलंगाना में निवर्तमान सीएम के चंद्रशेखर राव लगातार मुस्लिमों के लिए ओबीसी की उप श्रेणी में फिक्स 4 प्रतिशत आरक्षण को बढ़ाकर 12 प्रतिशत करना चाहते थे। उन्होंने विधानसभा में भी एक प्रस्ताव पास किया था, जिसे केंद्र सरकार ने नामंजूर कर दिया था।
देश के अन्य प्रदेशों में यह व्यवस्था
बाकी बिहार, पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश राजस्थान समेत उत्तर भारत के सभी राज्यों में मुस्लिमों की पिछड़ी जातियों को ही ओबीसी कोटे के आरक्षण का लाभ दिया जा रहा है। समय-समय पर मुस्लिम समुदाय की पिछड़ी जातियों को आरक्षण का लाभ देने के लिए ओबीसी कोटे में शामिल कर लिया जाता है।
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