2 से 3 हजार रूपए किलो में “बोड़ा” आया बाजार में.. सावन की सबसे महंगी सब्जी

The most expensive vegetable of Chhattisgarh, Boda, Bastar, is rich in fiber, selenium, protein, potassium, vitamin D and has anti-bacterial properties, tribal, botanical name Shorea robusta, News,khabargali

भरपूर मात्रा में होता है फाइबर, सेलेनियम, प्रोटीन, पोटैशियम, विटामिन डी और एंटी बैक्टीरियल प्रॉपर्टीज

बारिश में साल के वृक्ष के नीचे ही जमीन को फाड़कर निकलता है

कोंडागांव/रायपुर (khabargali) छत्तीसगढ़ की सबसे महंगी सब्जी बोड़ा भाजी का इंतजार खत्म हो चुका है. गावों में ये 300 रुपये किलो, तो आसपास के शहरों में करीब 600 रुपये में मिलता है. जबकि महानगरों में यही बोड़ा 2 से 3 हजार किलो तक बिकता है. बारिश के बाद जब धूप पडती है तो साल के वृक्षों के नीचे जंगलों में यह बोड़ा निकलता है. अभी दो दिन से बारिश तो हो रही मगर धूप कम पड़ रही तो जंगलों से बोड़ा भी कम निकल रहा है. इसके चलते इसकी कीमत बहुत ज्यादा है. बोड़ा के व्यंजन के लिए बस्तरवासी सालभर इंतजार करते हैं. मानसून के समय में ये बाजार में आता है..बोड़ा की खोज आदिवासियों ने की है.

सिर्फ बस्तर ही नहीं, बल्कि आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, ओडिशा और महाराष्ट्र के लोग भी इस सब्जी के दीवाने हैं. अपने-अपने राज्यों से सटे बस्तर के जिले से ये सब्जी खरीदने पहुंचते हैं. बोड़ा एक फंगस है. वैज्ञानिकों ने इसका बॉटिनिकल नाम शोरिया रोबुस्टा रखा है. वैसे इसे छत्तीसगढ़ का काला सोना भी कहा जाता है. छत्तीसगढ़ के राजधानी रायपुर में भी इसकी अच्छी खासी डिमांड है. साल में महज डेढ़ दो महीने ये ये सब्जी मिलती है.

प्रोटीन से भरपूर है बोड़ा भाजी-

बोड़ा खाने में काफी स्वादिष्ट होता है. इसके अलावा बोड़ा में भरपूर मात्रा में फाइबर, सेलेनियम, प्रोटीन, पोटैशियम, विटामिन डी और एंटी बैक्टीरियल प्रॉपर्टीज होती हैं. इसमें कैलोरी काफी कम होती है, जिससे हेल्थ कॉन्श लोग आराम से इसे खा सकते हैं . बोड़ा में कई पोषक तत्व पाए जाते हैं, जो कई सारी बीमारियों के उपचार में दावा का काम करती है. शुगर, हाई बीपी, बैक्टीरियल इंफेक्शन, कुपोषण और पेट रोग को दूर करने में सक्षम पाया गया है. यही कारण है कि हर कोई इस बोड़ा सब्जी को महंगे दामों में भी खरीदकर खाना चाहता है, क्योंकि यह साल में एक बार और कुछ ही दिनों के लिए मार्केट में आता है.

जानिए कैसे उगता है बोड़ा-

बस्तर में साल के वृक्ष बहुत होते हैं. साल के वृक्ष के नीचे ही काले और सफेद रंग का बोड़ा जमीन को फाड़कर निकलता है. पतझड़ के मौसम में साल के वृक्ष से पत्ते जमीन पर गिरते हैं.कहा जाता है कि जितना बादल गरजता है उतना ही बोड़ा निकलता है. हल्की बारिश में इसकी आवक बस्तर के बाजारों में ज्यादा होती है. जब बारिश होती है और कुछ दिनों के बाद धूप निकलने से साल के पत्ते सड़ जाते हैं. वे फफूंद बनकर जमीन के भीतर गांठ का रूप ले लेते हैं. कुछ दिनों के बाद जमीन उभर जाता है और उसमें दरारें पड़ती है, जिसके बाद ग्रामीण और स्थानीय लोग नुकीले वस्तु से जमीन को खोदकर जमीन में गांठ का रूप लिए बोड़ा को निकालते हैं. मिटटी के नीचे होने के कारण इसमें काफी मिट्टी लगी होती है इसे उपयोग में लाने से पहले इसकी काफी सफाई की जाती है. उसे मार्केट तक पहुंचाते हैं. इस सब्जी को पकाया जाता है तो यह और भी स्वादिष्ट हो जाती है.

Category