समाज साहित्य

आलेख बादल सरोज की कलम से

ख़बरगली@साहित्य डेस्क

लगने को तो अनेक को लग सकता है कि हमारे प्रधानमंत्री जी बड़े विनोदी हैं, मजाकिए भी हैं। हालांकि अगर ऐसा लगता है तो कोई अजीब बात भी नहीं। ऐसा लगना सिर्फ अनुमान नहीं है, इसमें भरी-पूरी सच्चाई है। इसके अनेक-अनेकानेक उदाहरण भी हैं, जो अब आधुनिक तकनीक के आने के बाद सिर्फ कही-सुनी बातें भर नहीं हैं, बाकायदा वीडियो में इनके भण्डार के भण्डार उपलब्ध हैं। पिछले 10 वर्षों में यदि मोदी कार्टूनिस्ट्स के लिए सहज उपलब्ध प्रेरणास्रोत रहे, तो स्टैंड अप कॉमेडियन्स के लिए वे उनका रोजगार चमकाने वाले और उनका रोजगार खतरे में डालने वाले, दोनों रहे। क