76 फीसदी आरक्षण विवाद : सरकार के जवाब से राजभवन असंतुष्ट..बताई ये 10 खामियां

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मुख्यमंत्री ने कहा कि राजभवन द्वारा जो सवाल पूछे गए, हमने जवाब दिए, फिर पूछेंगे, फिर जवाब दे देंगे..विलंब से विद्यार्थियों को बड़ा नुकसान हो रहा है

रायपुर (khabargali) छत्तीसगढ़ की राज्यपाल अनुसुइया उइके और भूपेश बघेल सरकार के बीच 76 फीसदी आरक्षण के मुद्दे पर बहस और तीखी होते जा रही है। आरक्षण विधेयक को लेकर बुधवार को राजभवन के हवाले से चार पेज का एक पत्र मिडीया में वायरल हुआ है। इस पत्र में राज्यपाल अनुसुइया उइके के पूछे 10 सवालों पर राज्य सरकार द्वारा भेजे गए जवाब को लेकर असंतुष्टि जाहिर की गई है। इसके पीछे 10 खामियां भी गिनाई गई हैं।

जवाब को लेकर यह असंतुष्टि जाहिर की

1. क्वांटिफायबल डाटा आयोग की रिपोर्ट राजभवन को नहीं सौंपी गई है।

2. विधि विभाग का अभिमत भी प्रेषित नहीं किया गया है।

3. राज्य सरकार द्वारा मात्रात्मक विवरण उपलब्ध नहीं कराया गया है।

4. उन विशेष एवं बाध्यकारी परिस्थितियों को भी नहीं बताया गया है, जिसके अनुसार अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति एवं अन्य पिछड़ा वर्ग के आरक्षण का प्रतिशत राज्य की सेवाओं में प्रत्येक भर्ती वर्ष के लिए 50 प्रतिशत से अधिक हो सकता है।

5. कोई विशेष परिस्थितियों का भी उल्लेख पत्र में नहीं किया गया है, जो 19 सितंबर 2022 के लगभग ढाई माह बाद उत्पन्न हुई थी ।

6. विशेष परिस्थितियों के संबंध में किसी डाटा को प्रस्तुत नहीं किया है।

7. राज्य सरकार द्वारा एससी व एसटी के सामाजिक, आर्थिक व शैक्षणिक पिछड़ापन की कोई जानकारी नहीं दी गई, न कोई रिपोर्ट प्रस्तुत नहीं की गई।

8. इसी तरह यह भी जानकारी नहीं दी गई कि अनुसूचित जाति व जनजाति के सदस्य राज्य की सेवाओं में क्यों चयनित नहीं हो रहे हैं।

9. 72 फीसदी जिसमें 4 फीसदी ईडब्ल्यूएस को छोड़कर लागू करने पर प्रशासन की दक्षता का ध्यान रखा गया है या नहीं रखा है, इस संबंध में भी कोई सर्वेक्षण पेश नहीं किया गया।

10. राजभवन के पत्र में राजभवन के विधिक सलाहकार के विरुद्ध की जा रही टिप्पणी पर नाराजगी जताई गई है। इस पत्र में उल्लेख किया गया है कि राजभवन के विधिक सलाहकार, न्यायिक सेवा के जिला जज स्तर के हाईकोर्ट द्वारा नियुक्त होते हैं। उनके विरुद्ध टिप्पणी करना, राजभवन के अधिकारियों-कर्मचारियों के बारे में बोलना उपयुक्त नहीं है।

जो काम न्यायपालिका का है, वो राजभवन की ओर से हो रहा है : मुख्यमंत्री भूपेश बघेल

इधर मुख्यमंत्री ने बुधवार को बेमेतरा में आयोजित पत्रकारवार्ता में अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि न्यायपालिका, विधायिका सभी के अधिकार क्षेत्र संविधान में स्पष्ट हैं। छत्तीसगढ़ विधानसभा पौने तीन करोड़ लोगों का प्रतिनिधित्व करती है। उन्होंने कहा कि क्या विधिक सलाहकार विधानसभा से बड़ा हो गया है? जो विधानसभा में पारित हो गया, फिर सवाल क्यों?  जो काम न्यायपालिका का है, वो राजभवन की ओर से हो रहा है।

श्री बघेल ने कहा कि छत्तीसगढ़ सरकार ने संविधान में जो बिल प्रस्तुत किया, उसमें पूर्व में केंद्र सरकार की सिफारिश थी, उसे अमल में लाया गया। इसमें राजभवन द्वारा सवाल पूछने का अधिकार ही नहीं था, फिर भी हमने जवाब दिया। मुख्यमंत्री ने कहा कि राजभवन द्वारा जो सवाल पूछे गए, हमने जवाब दिए, फिर पूछेंगे, फिर जवाब दे देंगे। इससे जो विलंब हो रहा है, उससे विद्यार्थियों को बड़ा नुकसान हो रहा है। इसकी वजह से सभी को आरक्षण का नुकसान हो रहा है।

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