बड़ी खबर: छत्तीसगढ़ में दिवाली में सिर्फ दो घंटे हरित पटाखे फोडऩे की मिली छूट

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ख़बरगली की अपील: मरीजों और पर्यावरण के हित मे पटाखों से बनाएं दूरी

रायपुर (khabargali) छत्तीसगढ़ में आने वाले त्योहारी सीजन के दौरान पटाखे फोड़ने को लेकर समय निर्धारित कर दिया गया है.सिर्फ कम प्रदूषण फैलाने वाले इंप्रूव्ड एवं हरित पटाखों की बिक्री केवल लाइसेंस धारी व्यापारी कर सकेंगे। केवल उन्हीं पटाखों के उपयोग के लिए बाजार में बेचा जा सकेगा जिसमें उत्पन्न ध्वनि का स्तर निर्धारित सीमा के भीतर हो। सीरीज पटाखे और लड़ियों की बिक्री उपयोग एवं निर्माण प्रतिबंधित किया गया है। मुख्य सचिव आरपी मंडल ने पटाखों को लेकर दिशा निर्देश जारी किया है। जिसमें कहा गया है कि त्योहार में पटाखा जलाने के लिए केवल 2 घंटे का समय निर्धारित किया गया है। बता दें कि एनजीटी (नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल) ने पटाखे दागने से होने वाले प्रदूषण को लेकर राज्यों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था। जिसके बाद यह निर्णय लिया गया है.प्रशासन इन निर्देशों को लेकर शहर में होर्डिंग्स लगाने की तैयारी में हैं।

इन त्योहार में ये समय सीमा तय जारी

आदेश के अनुसार दिपावली के दिन रात 8 बजे से रात 10 तक का समय निर्धारित हुआ है। इसी तरह छठ पूजा में सुबह 6 बजे से सुबह 8 बजे तक, गुरु पर्व में रात 8 बजे से रात 10 बजे तक, नए वर्ष- क्रिसमस में रात 11.55 से 12.30 तक।

अगर यह इस्तेमाल किया तो लाइसेंस होगा रद्द

पटाखों के ऐसे निर्माताओं का लाइसेंस भी रद्द करने के निर्देश दिए गए हैं, जिनके द्वारा पटाखों में लिथीयम, आरसेनिक, एंटीमनी, लेड और मर्करी का उपयोग किया जाता है। साथ ही ऑनलाइन यानी ई-व्यापारिक वेबसाइटों जैसे फ्लिपकार्ट, अमेजॉन आदि पर भी पटाखों की बिक्री पर प्रतिबंध लगाया गया है। इन निर्देशों का व्यापक प्रचार-प्रसार किया जाएगा। जिलाधीश और पुलिस अधीक्षक इसका कड़ाई से पालन कराएंगे।

ख़बरगली की अपील: पटाखों से बनाएं दूरी

पटाखों के धुएं में शामिल हानिकारक तत्व पहुंचाते हैं नुकसान

इन दिनों ठंड बढ़ने से कोरोना संक्रमण का खतरा बढऩे लगा है। पटाखे जलने पर यह खतरा कमजोर फेफड़ों व अस्थमा के मरीजों के लिए और दिक्कत का सबब बनेगा। तापमान कम होने के साथ धुंध बढ़ रही है। ऐसे में पटाखे जलाने पर उसमें शामिल बेरियम नाइट्रेट, स्ट्रोंटियम, लिथियम, एंटीमोनी, सल्फर, पोटेशियम और एल्यूमिनियम जैसे हानिकारक रसायन मौजूद होते हैं जो हवा में फैल जाते हैं।इससे पांच से 10 गुना तक धातुओं के कण बढ़ जाते हैं, जो सांस के जरिए सीधे फेफड़ों पर पहुंच कर नुकसान पहुंचा सकते हैं। निचले स्तर पर बनने वाला फोटो केमिकल स्मॉग बेहद घातक होता है।यह रसायन हमारे स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा पैदा करते हैं। एंटीमोनी सल्फाइड और एल्यूमीनियम जैसे तत्व अल्जाइमर रोग का कारण बनते है।

दीपावली के बाद बढ़ती है पीएम-2.5 की मात्रा

दीपावली के बाद पीएम-2.5 की मात्रा खतरे के निशान से बहुत ऊपर पहुंच जाती है। पिछले साल दीपावली के दूसरे दिन 28 अक्टूबर को पीएम-2.5 की मात्रा 250 माइक्रोग्राम प्रतिमीटर क्यूब दर्ज की गई थी।

पशु-पक्षियों और पौधों पर भी बुरा असर

प्राणी विज्ञान विभाग के विशेषज्ञ कहते हैं कि पटाखों से निकलने वाले हानिकारक रसायनों, आवाज और उससे निकलने वाले धूल के कण पशु-पक्षियों के लिए घातक होते हैं। पौधों पर भी इसका असर पड़ता है। उनकी वृद्धि रुक जाती है।  

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