छत्तीसगढ़ में गणित और विज्ञान शिक्षा पर जोर देने की आवश्यकता

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रुसेन कुमार का अग्र लेख

सहित्य डेस्क (khabargali)

हमें यह भी गहराई से समझना होगा कि गणित की शिक्षा में सभी शिक्षा का सार छुपा हुआ रहता है। गणित सभी प्रकार की शिक्षा का शिखर है। विभिन्न अवसरों पर मुझे देश के अलग-अलग हिस्सों में जाकर शिक्षक, विद्यार्थियों और शिक्षाविदों से विचार-विमर्श करने का अवसर मिलता है। मुझे ऐसा करके बड़ी खुशी मिलती है। शिक्षक, विद्यार्थी और शिक्षाविद हमारे राष्ट्र के शैक्षणिक आधार स्तंभ हैं। शिक्षा के प्रति उनके विचारों से अवगत होना मुझे अच्छा लगता है।

जब भी बातचीत का अवसर होता है तो मैं यह अवश्य पूछ लेता हूँ कि गणित पढ़ने को लेकर हमारे बच्चों में कितनी ललक और जिज्ञासा है। वह इसलिए कि गणित और विज्ञान के प्रति प्रत्येक विद्यार्थी में विशेष अनुराग अवश्य ही होना चाहिए। वह इसलिए भी कि गणित और विज्ञान की शिक्षा के बिना सारी शिक्षा धरी के धरी रह जाएगी। तर्कशील मन और वैज्ञानिक दृष्टिकोण रखे बिना समाजिक व्यवहार प्रभावशाली बन नहीं पाएगा।

मेरी गणित और विज्ञान शिक्षा के प्रति विशेष रुचि है। यह मेरे लिए परम सौभाग्य का विषय है कि मुझे गणित और विज्ञान दोनों ही विषय अत्यंत प्रिय हैं। मुझे गणित और विज्ञान की नवीनतम किताबों को पढ़कर अत्यंत आनंद मिलता है। जब मैं कसडोल में गणित में 11वीं पढ़ रहा था तो वहाँ मुझे पत्रकार देवेन्द्र साहू के अनुज श्री सुरेंद्र साहू (वर्तमान में बलौदाबाजर में शिक्षक) द्वारा संचालित लघु पुस्तकालय से कुछ वैज्ञानिक उपन्यास पढ़ने का अवसर मिला था। उन उपन्यासों ने मेरे मन में विज्ञान के प्रति विशेष रुचि जागृत करने में योगदान दिया। हायर सेकेंडरी और कालेज में मैं एक साधारण विद्यार्थी ही था जबकि मेरी विज्ञान और गणित पर गहरी आंतरिक अभिरुचि उस समय भी थी और आज भी यह रुचि यथावत है। कहने का आशय यह है कि वैज्ञानिक उपन्यासों में बाल मन में वैज्ञानिक दृष्टिकोण विकसित करने की अतुलनीय क्षमता होती है। मेरा विद्यार्थी जीवन बहुत अच्छे से गुजरा, क्योंकि मुझे हर कक्षा पर गणित के कुशल शिक्षकों से गणित विद्या अध्ययन करने का अवसर मिला।

जीवन की सफलता में कुशल शिक्षकों का महान योगदान होता है। मुझे माध्यमिक शिक्षा (परसाडीह) के समय गुरुवर स्व. श्री गिरवरदास वैष्णव, हाई स्कूल (परसाडीह) में गुरुवर श्री महेश कुर्रे, हायर सेकेंडरी स्तर (कसडोल) पर गुरुवर स्व. श्री आरके यादव एवं गुरुवर श्री बीआर पटेल और महाविद्यालयीन स्तर पर महान गणितक्ष गुरुवर श्री पुरुषोत्तम झा से गणित का ज्ञान प्राप्त हुआ। मुझे पहली से लेकर 5वीं तक की शिक्षा अत्यंत कुशल शिक्षकों द्वारा प्राप्त हुई। यह मेरे जीवन की महान पूँजी है।

विद्यार्थी जीवन विषय शिक्षकों का अभाव हमारे बौद्धिक विकास पर प्रतिकूल प्रभाव डालता ही है। कहानियों और उपन्यासों का हमारे मन में कल्पनाशीलता विकसित करने में महान योगदान होता है। हमारे सुप्रसिद्ध वैज्ञानिक एवं विज्ञान लेखक श्री जयंत विष्णु नारलीकर ने अनेक विज्ञान कथाएँ और वैज्ञानिक उपन्यास लिखे हैं, जो हमारे विद्यार्थियों में महान विचारशक्ति विकसित करने का स्त्रोत हैं। उनकी विज्ञान कथाएँ रहस्य, रोमांच एवं अदभुत कल्पनाशीलता से भरी हुई है। हमें एक पिता के रूप मे, शिक्षक के रूप में, विचारशील नागरिक, नीति निर्धारक के रूप में तथा राजनेता के रूप में यह प्रश्न अवश्य पूछना चाहिए कि क्या हम अपने बच्चों को वैज्ञानिक उपन्यासों को पढ़ने का अवसर प्रदान किया और क्या इसके लिए हमारे समाज में कोई कारगर व्यवस्था विकसित हुई है?

सामाजिक शिक्षा पर हमारा जितना अधिक जोर रहता है उसकी तुलना में विज्ञान और गणित की शिक्षा पर हमारी उदासीनता हर जगह परिलक्षित होती है। गणित और विज्ञान शिक्षा को विविधत शिक्षण पद्धति द्वारा ही आगे बढ़ाया जाता है। मुझे यह बताते हुए मुझे हर्ष अनुभव हो रहा है कि मैंने अपने योगदान से अपने गृह ग्राम परसाडीह, बिलाईगढ़ के शासकीय विद्यालय और रायगढ़ के शासकीय नटवर स्कूल में विज्ञान शिक्षा केंद्र स्थापित किया है। विज्ञान शिक्षा केंद्र खोलने के प्रति मेरा दृष्टिकोण है कि गाँव के बच्चे आज भी गणित और विज्ञान की शिक्षा के लिए तरस रहे हैं। हालाँकि मैंने अपने प्रभाव का उपयोग करके छत्तीसगढ़ सरकार के सहयोग से अन्य स्थानों विद्यालयों में विज्ञान शिक्षा केंद्र स्थापित करने में योगदान दिया है। इसमें कोई संदेह नहीं कि जो लोग भी वैज्ञानिक दृष्टिकोण रखते हैं, उनमें तर्क करने की शक्ति प्रबल होती है और वे जटिल चीजों को बड़ी सरलता से सुलझा लेते हैं।

हमें यह भलिभांति समझना होगा कि हमारी कोई भी शिक्षा गणित और विज्ञान शिक्षा के बिना अधूरी ही रह जाएगी। यह शोध का विषय हो सकता है कि छत्तीसगढ़ राज्य के हमारे बच्चों में विशेषकर गणित के प्रति अरुचि का भाव क्यों गहराता जा रहा है। हमें यह भी गहराई से समझना होगा कि गणित की शिक्षा में सभी शिक्षा का सार छुपा हुआ रहता है। गणित सभी प्रकार की शिक्षा का शिखर है। विज्ञान, शोध और नवीनतम खोजों की प्रगति में गणित शिक्षा का सर्वाधिक योगदान है।

अच्छे विद्यार्थी ही आगे चलकर अच्छे शिक्षक बन पाते हैं। चूँकि हम रुचिवान विद्यार्थी उत्पन्न करने में असमर्थ हैं, इसलिए आगे चलकर कुशल शिक्षकों का अभाव हो जाना स्वाभाविक है। छत्तीसगढ़ में पर्याप्त संख्या में गणित और विज्ञान के शिक्षक का अभाव बना हुआ है। छत्तीसगढ़ की पूर्ववर्ती सरकार द्वारा गणित और विज्ञान के शिक्षकों की कमी को आउटसोर्स करके पूरा करने का प्रयास किया गया था। यह भी तथ्य है कि राज्य से उत्साहजनक ढंग से शिक्षक मिले थे। कुछ अव्यवहारिक कारणों से पिछली सरकार को इसकी भर्ती प्रक्रिया में खामियों के कारण आलोचना झेलनी पड़ी थी।

हमारे ग्रामीण परिवेश में आज भी लोग अंधविश्वास से पीड़ित रहकर अपने जीवन, धनसंपदा और स्वास्थ्य की हानि करते हैं। समाज में व्याप्त अंधविश्वास का मूलकारण विज्ञान और गणित शिक्षा के प्रति अरुचि ही है। अंधविश्वास को अधिक फैलने से रोकने में गणित और विज्ञान शिक्षा सर्वाधिक योगदान दे सकती है। हमें अपने छत्तीसगढ़ राज्य के विशेषकर ग्रामीण विद्यालयों में ऐसे कुशल शिक्षकों की आवश्यकता है जो विद्यार्थियों में गणित और विज्ञान के प्रति अनुराग और गहरी जिज्ञासा विकसित कर सकें। हमारी शिक्षा व्यवस्था कितनी भी उन्नत हो जाय और बच्चों में गणित शिक्षा के प्रति अरुचि है, तो ऐसी शिक्षा अधिक समय तक टिकाऊ नहीं रह पाएगी।

छत्तीसगढ़ में पूर्ववर्ती सरकार द्वारा वर्ष 2013 में विज्ञान एवं गणित शिक्षा को प्रोत्साहन देने के लिए नवीन छात्रवृत्ति योजना प्रारंभ की गई थी। इसका संचालन स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा इसलिए संचालित किया जाने लगा था ताकि मेधावी छात्रों को गणित और विज्ञान की पढ़ाई में सहुलियत हो। यह एक सुदीर्घ छात्रवृत्ति योजना थी, जिसके अंतर्गत 6वीं से 8वीं तक के विद्यार्थी को 100 रुपए प्रतिमाह, 9वीं से 10वीं तक के विद्यार्थियों को 150 रुपये प्रति माह और 11वीं तथा 12वीं के विद्यार्थियों को 200 रुपये प्रतिमाह दिया जाता था।

वर्तमान समय में यह शोध करना आवश्यक है कि इस योजना का विद्यार्थियों की अभिरुचि पर क्या प्रभाव पड़ा और वर्तमान में इस योजना को कितने प्रभावकारी ढंग से संचालित किया जा रहा है। प्रत्येक जिला कलेक्टर, शिक्षा अधिकारी जैसे जिम्मेदार अधिकारियों को इस योजना की प्रभावशीलता पर प्रगति रिपोर्ट अवश्य जारी करना चाहिए। कमियों को दूर करके ऐसी विशिष्ट योजना को आगे बढ़ाना चाहिए।

कोरोना महामारी से हमारी शिक्षा व्यवस्था पर प्रतिकूल असर पड़ा है, इसको लेकर किसी को संहेद नहीं होना चाहिए। अतः हमें चाहिए कि जिस भी ढंग से गणित और विज्ञान शिक्षा में बच्चों को अधिक अभिरुचि विकसित हो सके इसके लिए प्रयास करना चाहिए। सरकार को चाहिए कि विज्ञान एवं गणित शिक्षा को प्रोत्साहन देने वाली नवीन छात्रवृत्ति योजना में प्रोत्साहन राशि या छात्रवृत्ति की राशि को बढ़ाकर कम से कम प्रतिमाह 1000 रुपये करना चाहिए।

छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा चलाई जा रही योजनाओं के बारे में कुछ चर्चा करना चाहूँगा। राज्य में शिक्षा विभाग के कुशल अधिकारी एम. सुधीश ने बातचीत के दौरान मुझे बताया कि हमारे यशश्वी मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल के कुशल नेतृत्व में छत्तीसगढ़ सरकार गणित और विज्ञान शिक्षा के उत्तरोत्तर विकास के लिए किस तरह के रचनात्मक प्रयास कर रही है। उन्होंने मुझसे यह जानकारी साझा करते हुए बताया कि हमारे लोकप्रिय यशश्वी मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल के कुशल निर्देशन में छत्तीसगढ़ राज्य के 10वीं से 12वीं कक्षा के विद्यालयीन छात्र छात्राओं में गणितीय प्रतिभा का स्थान निर्धारण करने व उसे संपोषित करने के उद्देश्य से मैथेमेटिकल ओलंपियाड का आयोजन किया जा रहा है।

प्राप्त जानकारी के अनुसार, वर्ष 2019 – 20 में छत्तीसगढ़ के 505 छात्रों ने रीजनल मैथेमेटिकल ओलंपियाड में भाग लिया तथा 36 छात्रों द्वारा इंडियन नेशनल मैथेमेटिकल ओलंपियाड में भाग लिया गया। उन्होंने यह भी बताया कि वर्तमान में छत्तीसगढ़ शासन द्वारा सौ दिवसीय पठन एवं गणितीय कौशल विकास अभियान चला रही है जिसमें चौदह सप्ताह में प्रति सप्ताह कुछ फोकस बिन्दुओं पर सभी बच्चों के साथ कार्य किया जा रहा है।

स्कूल शिक्षा विभाग की ओर से प्रदेश में संचालित स्वामी आत्मानंद अंग्रेजी माध्यम शासकीय विद्यालयों के विद्यार्थियों की शैक्षणिक प्रगति का ऑनलाइन आकलन किया जा रहा है। यह मूल्यांकन विज्ञान, गणित और अंग्रेजी विषय के ओलंपियाड के माध्यम से किया जा रहा है। विज्ञान विषय के ओलंपियाड में सात हजार से अधिक विद्यार्थी शामिल हुए। प्रथम एजुकेशन फाउंडेशन की ओर से एनपीसीआई के आर्थिक सहयोग से चारामा जिले में शिक्षण में गुणवत्ता बढ़ाने के लिए कार्य किए जा रहे हैं।

बच्चों में पढ़ाई के लिए रुचि लाने के लिए नए-नए उपायों से भाषा, गणित विज्ञान को सिखाया व समझाया जा रहा है। यह सब शिक्षा विभाग की अति महत्वपूर्ण पहल है – विज्ञान और गणित की शिक्षा के क्षेत्र में। इस तरह की योजनाओं का बहुत दूरगामी रचनात्मक प्रभाव पड़ता सुनिश्चित है। मुझे विश्वास है कि इस प्रकार के महति शिक्षाप्रद शैक्षणिक योजनाओं का राज्य के विद्यार्थियों के जीवन पर बहुत ही रचनात्मक प्रभाव पड़ेगा। निःसंहेद ही इससे हमें राज्य को शैक्षणिक पिछड़ेपन से मुक्ति दिलाने में मदद मिलेगी।

स्टेम लर्निंग, मुंबई के सीईओ श्री आशुतोष पंडित ने बातचीत के दौरान मुझसे यह जानकारी साझा की कि उनकी कंपनी द्वारा कारपोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व (सीएसआर) फंड के माध्यम से विभिन्न कंपनियों द्वारा छ्त्तीसगढ़ राज्य में कम से कम 40 विज्ञान शिक्षा केंद्र स्थापित किए गए हैं। यह बहुत ही सराहनीय पहल है कि ये विज्ञान शिक्षा केंद्र हमारे राज्य के दूरस्थ ग्रामीण अंचलों में प्राथमिकता के साथ स्थापित किए गए हैं।

मेरा दृढ़ रूप से मानना है कि गणित और विज्ञान की शिक्षा कभी भी बेकार नहीं जाती। गणित और विज्ञान की शिक्षा व्यक्ति के साथ हर स्तर पर, हर समय साथ रहती है और जीवन में आगे बढ़ने के लिए संबल प्रदान करती है। शिक्षा के लिए साझेदारी की आवश्यकता रहती है। बिना साझेदारी के शिक्षा का वांक्षित फल मिल पाना संभव नहीं है। हमें शिक्षा के विस्तार के लिए अलग-अगल विषयों पर साझेदारी करने की आवश्यकता होगी। शिक्षा के क्षेत्र में जितना भी अधिक किया जाय, वह सब बहुत अल्प है, क्योंकि हमारी जनसंख्या अधिक है और शिक्षा बहुआयामी है।

हमें शिक्षा क्षेत्र में नवाचार करने के लिए सदैव अपने द्वार और दिमाग खुले रखने चाहिए। यह हमारे लिए आवश्यक है क्योंकि अच्छी शिक्षा प्राप्त करना प्रत्येक बच्चे और विद्यार्थियों का संविधान प्रदत्त मौलिक अधिकार है। लोकतंत्र की सफलता, दशा और दिशा अपने नागरिकों को मिलने वाली शिक्षा पर निर्भर करती है। इस दृष्टिकोण को ध्यान में रखकर छत्तीसगढ़ सरकार को चाहिए कि वह गणित की शिक्षा को उन्नत बनाने के लिए विशेष योजनाएं तैयार करे। गणित की शिक्षा को राज्य में कैसे उन्नतिकरण मिल सकती है इसको लेकर मेरे पास विस्तृत कार्य योजना है और समय आने पर इसका विस्तार करने के लिए तत्पर रहूँगा।

लेखक के बारे में

रुसेन कुमार छत्तीसगढ़ के निवासी हैं। वे पत्रकार लेखक एवं कुशल उद्यमी हैं। कारपोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व क्षेत्र में कार्य करने के कारण उन्हें राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त है।

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