कोरबा (खबरगली) कोरबा जिले में प्रस्तावित भारत की पहली लिथियम खदान के लिए ड्रिलिंग की प्रक्रिया शुरू हो गई है। 256 हेक्टेयर में ड्रिलिंग की जा रही है। इसके लिए जगह-जगह 54 बोर किए जाएंगे। 100 मीटर की गहराई से मिट्टी के सैंपल लिए जा रहे हैं। इसकी जांच के बाद स्पष्ट होगा, कि यहां प्रति क्यूबिक मीटर में लिथियम की कितनी मौजूदगी है?
कोरबा जिले में नगर पालिका परिषद कटघोरा से लगी 256 हेक्टेयर जमीन पर लिथियम की मौजूदगी की पुष्टि हुई है। ऊंची बोली लगाकर खदान को हासिल करने वाली निजी कंपनी माइकी साउथ माइनिंग प्राइवेट लिमिटेड ने चिन्हित जमीन पर लिथियम की मौजूदगी का पता लगाने के लिए आगे की प्रक्रिया शुरू की है। पहले चरण में मिट्टी और चट्टानों के सतही अध्ययन के बाद यहां पर ट्रेचिंग शुरू हुई है।
साथ ही अलग-अलग जगहों पर बड़ी-बड़ी मशीनें जमीन के भीतर होल कर रहीं हैं। यहां कितना लिथियम है इसका पता पूरी तरह से तीन से चार माह में लगेगा। पहले चरण में निजी कंपनी की ओर से गैर वानिकी भूमि पर दो जगहों पर ड्रील किए गए हैं। आने वाले दिनों में वानिकी भूमि पर ड्रील करके सैंपल लिया जाएगा।
बैटरी में इस्तेमाल
लिथियम को भविष्य की धातु कहा जाता है। इसका सबसे ज्यादा इस्तेमाल बैटरी बनाने में किया जाता है। मोबाइल, कंप्यूटर या इलेक्ट्रिक गाड़ियों की बैटरी भी लिथियम की बनी होती है। लिथियम को दुर्लभ तत्व माना गया है। अभी तक भारत में लिथियम का उत्पादन करने वाला कोई राज्य नहीं है। पहली बार इस दुर्लभ तत्व की मौजूदगी की पुष्टि कोरबा के कटघोरा में स्थित मानगुरू की पहाड़ियों में हुई है। इस दुर्लभ तत्व को यहां से खनन करने की तैयारी शुरू की गई है।
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