भाजपा विधायकों का आरोप- रखरखाव नहीं होने से 1300 करोड़ का धान सड़ा, सदन से वाक आउट

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विपक्ष ने सदन की कमेटी से जांच कराने की मांग की

स्थगन प्रस्ताव में ज़िंदा किसान की मृत बताए जाने पर सत्ता पक्ष और विपक्ष आमने-सामने

विधानसभा के शीत सत्र का तीसरा दिन भी हंगामा भरा रहा

रायपुर (khabargali) छत्तीसगढ़ विधानसभा में आज भाजपा विधायकों ने आरोप लगाया कि सरकार प्रदेश भर के धान खरीदी केन्द्रों व संग्रहण केन्द्रों में रखरखाव के लिए समुचित व्यवस्था नहीं कर पाई, जिससे करोड़ों का धान सड़ गया। इस मामले की जाँच की माँग को लेकर सदन में विपक्ष का भारी हंगामा मचाया। इस पर खाद्य मंत्री की ओर से संतोषजनक जवाब नहीं आने का आरोप लगाते हुए सारे भाजपा सदस्य विरोध में नारेबाजी करते हुए सदन से वाक आउट कर गए।

शीत सत्र के आज तीसरे दिन प्रश्नकाल के दौरान भाजपा विधायक रजनीश कुमार सिंह का सवाल था कि क्या यह सही है कि पिछले वित्तीय वर्ष में धान खरीदी केन्द्रों के माध्यम से क्रय किए गए धान अब तक की स्थिति में कई खरीदी केन्द्रों व संग्रहण केन्द्रों में रखे हुए हैं तथा मिलिंग हेतु उनका उठाव नहीं हुआ है? किन किन स्थानों पर कितने कितने धान का उठाव व मिलिंग होना शेष है? कितने मिलर्स के व्दारा धान के एवज में चावल दिया जाना शेष है? धान का उठाव नहीं होने के क्या कारण हैं? इस हेतु दोषी कौन है और उन पर क्या कार्रवाई की गई है? पिछले वित्तीय वर्ष में क्रय किये गए धान में कितना धान व कितने मूल्य का धान खराब हुआ? इस हेतु दोषी कौन हैं व उन पर क्या कार्रवाई हुई?

खाद्य मंत्री अमरजीत भगत की ओर से जवाब आया कि वित्तीय वर्ष 2019-20 में समर्थन मूल्य पर सहकारी समितियों के माध्यम से क्रय किये गए धान में से 11 दिसंबर 2020 की स्थिति तक में खरीदी केन्द्रों में धान शेष नहीं है। 541 राईस मिलर्स व्दारा कस्टम मिलिंग का चावल दिया जाना शेष है। खरीफ वर्ष 2019-20 में खरीदे गए धान की कस्टम मिलिंग प्रचलित है। कोविड संक्रमण, लॉक डाउन एवं असमय वर्षा से कस्टम मिलिंग का काम प्रभावित हुआ है।

रजनीश कुमार सिंह ने कहा कि मेरे दो विधानसभा क्षेत्र के दो स्थानों पर धान पूरी तरह सड़ गया। नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने कहा कि मैं खुद खाद्य मंत्री के क्षेत्र सूरजपुर गया था, जहां 40 से 50 करोड़ का धान सड़ गया। भरनी परसी क्षेत्र में भी यही हाल है। पूरे प्रदेश की बात करें तो एक से डेढ़ हजार करोड़ का धान सड़ गया। किन कारणों से धान सड़ा व कस्टम मिलिंग में देरी हुई, विधानसभा के 3 सदस्यों की कमेटी बनवाकर इसकी जांच करवाई जाए।

मंत्री अमरजीत भगत ने कहा कि 15 साल आप लोगों की सरकार रही। यदि उन पंद्रह सालों में शेड या चबूतरे बनवा दिए गए होते तो आज यह स्थिति निर्मित नहीं होती। वो तो हमारी सरकार है जो चार हजार से ज्यादा चबूतरे व शेड बनवा चुकी है।

इस पर अजय चंद्राकर ने कहा कि हम जिस दिन सवाल लगाते हैं आख़िरी दिन तक जानकारी आती है। एक ही मंत्री, एक ही विभाग, वही अधिकारी फिर आकंडों में अंतर कैसे आ जाता है? पाँच महीने तक डीओ क्यों नहीं काटा गया ? चंद्राकर सवाल कर ही रहे थे कि कांग्रेस सदस्य वृहस्पत सिंह की ओर से टोकाटाकी होने लगी। इससे अजय चंद्राकर व अन्य भाजपा सदस्य उत्तेजित हो गए। भाजपा सदस्य बृजमोहन अग्रवाल ने कहा कि इस तरह डिस्टर्ब करेंगे तो प्रश्नकाल चलना मुश्किल होगा, आसंदी ये व्यवस्था दे कि प्रश्नकाल में प्रश्न पूछने वाले और जवाब देने वाले मंत्री के अतिरिक्त कोई टिप्पणी न करे। भाजपा सदस्य सौरभ सिंह ने कहा कि रखरखाव नहीं होने के कारण साढ़े आठ हजार करोड़ का धान सड़ गया। बृजमोहन अग्रवाल ने कहा कि धान के सड़ने से सीधे-सीधे 1300 करोड़ का नुकसान हुआ है। सदन की कमेटी से इसकी जांच कराई जाए। बीजेपी सदस्यों ने सदन की कमेटी से जाँच कराए जाने की माँग की। जेसीसी विधायक धर्मजीत सिंह ने भी जाँच की माँग का समर्थन किया। इस तरह से जाँच की माँग को लेकर सदन में विपक्ष का भारी हंगामा मचाया।

विधानसभा उपाध्यक्ष मनोज सिंह मंडावी ने कहा कि इस पर पर्याप्त प्रश्न हो चुके हैं और मंत्री की ओर से पर्याप्त उत्तर भी आ चुके हैं। विधानसभा उपाध्यक्ष ने अगला प्रश्न करने डॉ. प्रीतम राम का नाम पुकारा। खाद्य मंत्री की तरफ से संतोषजनक जवाब नहीं आने का आरोप लगाते हुए सारे भाजपा सदस्य नारेबाजी करते हुए सदन से वाक आउट कर गए।

स्थगन प्रस्ताव में ज़िंदा किसान की मृत बताए जाने पर सत्ता पक्ष और विपक्ष आमने-सामने

वहीं विधानसभा में स्थगन प्रस्ताव में ज़िंदा किसान की मृत बताए जाने पर सत्ता पक्ष और विपक्ष आमने-सामने हो गए। संसदीय कार्यमंत्री रविंद्र चौबे ने इसे दुर्भाग्यजनक बताते हुए विपक्ष से खेद जताने को कहा। वहीं विपक्ष ने संसदीय कार्यमंत्री को सदन को गुमराह करने का आरोप लगाते हुए माफी मांगे बिना सदन की कार्यवाही नहीं होने की बात कही। दरअसल, विपक्ष के स्थगन प्रस्ताव के दौरान कांग्रेस विधायक बृहस्पति सिंह ने आपत्ति जताते हुए कहा विपक्षी सदस्य बलरामपुर के जिस किसान संजय सिंह को मरा हुआ बता रहे हैं, वह ज़िंदा है, वह मेरा कार्यकर्ता है। इसके साथ ही सदन में हंगामा मच गया। पक्ष-विपक्ष आमने-सामने हो गए। आसंदी को पांच मिनट के लिए सदन की कार्यवाही स्थगित करनी पड़ी।

बीजेपी विधायक शिवरतन शर्मा ने कहा कि संसदीय कार्यमंत्री ने सदन को गुमराह किया है. हमने स्थगन प्रस्ताव में ये कहा है कि रेंजर की प्रताड़ना से तंग आकर संजय सिंह ने ज़हर पीकर आत्महत्या की कोशिश की। अजय चंद्राकर ने कहा कि इस मामले से पता चलता है कि कृषि मंत्री किसानों के मुद्दे पर कितने गम्भीर है। उन्होंने कहा कि जब तक कृषि मंत्री इस सदन से माफ़ी नहीं माँगते तब तक सदन नहीं चलेगा।

बृजमोहन अग्रवाल ने कहा कि ये संसदीय कार्य व्यवस्था की अवहेलना है। विपक्ष अपनी जानकारी के आधार पर बात रखता है, लेकिन सत्तापक्ष के पास पूरी जानकारी होती है। फिर भी कृषि मंत्री सदन को गुमराह कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ की विधानसभा में मुझे भी 30 साल हो गए, लेकिन संसदीय इतिहास का इससे ज़्यादा काला दिन नहीं होगा। वहीं आसंदी ने सदन में कभी-कभी ऐसी ग़लतफ़हमियाँ होने की बात कहते हुए स्थिति को संभालने का प्रयास किया।

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