द केरला स्टोरी : विवादों के बीच तीन दिनों में 35 करोड़ रुपए कमाए

Effects of Islamic State in Kerala, Film The Kerala Story, Propaganda, Controversy, News,khabargali

नई दिल्ली (khabargali) केरल में इस्लामिक स्टेट के असर पर बनी फिल्म द केरला स्टोरी इसी महीने पांच मई को रिलीज हुई है। रिलीज से पहले और थिएटर्स में आने के बाद यह फिल्म लगातार विवादों में घिरी हुई है। फ़िल्म तीन दिनों में 35 करोड़ रुपए कमा भी चुकी है। कई फिल्म समीक्षकों ने फिल्म को काफी खराब रेटिंग दी है, लेकिन फिल्म को केंद्र सरकार, कई राज्य सरकारों और बीजेपी के नेताओं का पूरा समर्थन मिल रहा है।फिल्म को लेकर लागातार सियासत तेज हो रही है। एक धड़ा फ़िल्म को प्रोपेगैंडा कहकर ख़ारिज कर रहा है तो दूसरा धड़ा इसे केरल की वो जमीनी सच्चाई बता रहा है जिस पर अभी तक खुलकर बात नहीं हुई थी।

केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने कहा था कि फ़िल्म निर्माता लव जिहाद के मुद्दे को उठाकर संघ परिवार के प्रोपेगैंडा को आगे बढ़ा रहे हैं। वहीँ पश्चिम बंगाल में द केरला स्टोरी फिल्म पर बैन लगा दिया गया है। सीएम ममता बनर्जी ने द केरला स्टोरी फिल्म को लेकर कई सवाल खड़े किए हैं। इससे पहले इस फिल्म को तमिलनाडु में भी बैन कर दिया गया था। वहीं मध्य प्रदेश सरकार ने इस फिल्म को अपने राज्य में टैक्स फ्री घोषित कर दिया है।मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से यह घोषणा करते हुए कहा कि यह फिल्म यह दिखाती है कि लव जिहाद के जाल में फंस जाने के बाद बेटियों की जिंदगी कैसे बर्बाद हो जाती है। दिल्ली और छत्तीसगढ़ में भी बीजेपी ने फिल्म को टैक्स फ्री करने की मांग की है।

ममता बनर्जी ने द कश्मीर फाइल्स का जिक्र करते हुए बीजेपी को भी कठघरे में खड़ा किया है ममता बनर्जी ने कहा, 'यह फैसला बंगाल में अमन-चैन बनाए रखने के लिए लिया गया है। बीजेपी द केरला स्टोरी नाम की फिल्म दिखा रही है। यह एक वर्ग को अपमानित करने के लिए बनाई गई। यह एक मनगढ़ंत कहानी है। कुछ दिन पहले इनके (बीजेपी के) भेजे हुए कलाकार बंगाल आए थे। वह एक मनगढ़ंत झूठी कहानी वाली फिल्म बंगाल फाइल्स की तैयारी कर रहे हैं।

फ़िल्म निर्माता ने जब चुनौती दी..

सोशल मीडिया पर एक चर्चित हस्ती ने लिखा, ‘द कश्मीर फाइल्स और द केरल स्टोरी फिल्म नहीं हैं, बल्कि स्टेट द्वारा प्रायोजित प्रोपेगैंडा है। लव-जिहाद एक इस्लामोफोबिक कॉन्स्पिरेसी थ्योरी के अलावा और कुछ नहीं है। मेरे पीछे दोहराओ – लव-जिहाद झूठ है। लव-जिहाद प्रचार है।’ फ़िल्म के निर्माता विवेक रंजन अग्निहोत्री ने उन्हें जवाब देते हुए खुली चुनौती दी। वे लिखते हैं, चूंकि एक पत्रकार के रूप में आपने ‘द कश्मीर फाइल्स’ का उल्लेख किया है, इसलिए मैं आपको खुली चुनौती देता हूं कि आप मेरे साथ एक पॉडकास्ट करें और साबित करें कि कौन सा फ्रेम, डायलॉग, शॉट, सीन या फैक्ट सच नहीं है? दोस्तों, तब तक के लिए कृपया उनसे इस आतंकवादी प्रायोजित प्रोपेगैंडा को रोकने के लिए कहें।’

बेंगलुरु में फिल्म की एक विशेष स्क्रीनिंग हुई

बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के लिए बेंगलुरु में फिल्म की एक विशेष स्क्रीनिंग का आयोजन किया गया जिसके बाद उन्होंने कहा ये यह आंखें खोलने वाली फिल्म है और इसे सब को देखना चाहिए। फिल्म के समर्थन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खड़े हैं- फिल्म के समर्थन में उतर आए नेताओं में सबसे आगे खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खड़े हैं। पांच मई को कर्नाटक के बेल्लारी में एक चुनावी रैली को संबोधित करते हुए मोदी ने कहा कि इस फिल्म ने आतंकवाद के नए चेहरे को दिखाया है लेकिन कांग्रेस पार्टी फिल्म को बैन करना चाह रही है और आतंकियों का समर्थन करना चाह रही है। फिल्म को कर्नाटक चुनावों से जोड़ते हुए उन्होंने आगे कहा, कांग्रेस ने कभी आतंकवाद से इस देश की रक्षा नहीं की है। क्या कांग्रेस कर्नाटक को बचा सकती है? मोदी के बाद कई बीजेपी नेता इस फिल्म की तारीफ कर चुके हैं।

प्रभावित लड़कियों की संख्या के दावे पर भी विवाद 

फिल्म में केरल में रहने वाली तीन ऐसी लड़कियों की कहानी दिखाई गई है जिनका जबरदस्ती या धोखे से धर्मांतरण करा कर उन्हें मुसलमान बना दिया जाता है और फिर उन्हें इस्लामिक स्टेट का हिस्सा भी बना दिया जाता है। जब फिल्म का ट्रेलर लॉन्च हुआ था तब उसमें फिल्म के निर्माताओं ने दावा किया था कि ऐसा केरल की 32,000 हिंदू और ईसाई महिलाओं के साथ हुआ था। इतनी बड़ी संख्या के दावे पर काफी विवाद हुआ। केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन और कांग्रेस सांसद शशि थरूर जैसे नेताओं ने भी इस संख्या को भ्रामक बताया। फिल्म के खिलाफ जब विरोध बढ़ गया तो फिल्म के ट्रेलर को बदल दिया गया और उसमें 32,000 की जगह सिर्फ तीन लिख दिया गया। फिल्म समीक्षक शुभ्रा गुप्ता ने इंडियन एक्सप्रेस अखबार में छपे एक लेख में लिखा है कि इस बदलाव से सब बदल गया और फिल्म के निर्माताओं के दावे पूरी तरह से गलतबयानी साबित हुए। संख्या में संशोधन के बाद फिल्म के निर्माताओं ने एक समाचार एजेंसी के साथ चर्चा मंत पूछा कि संख्या से क्या फर्क पड़ता है और अगर ऐसा सिर्फ 100 महिलाओं के साथ हुआ होता तो स्थिति क्या कम गंभीर होती?