जल्द दूसरी नोटबंदी..अब घर पर रखे सोने पर वक्र दृष्टि..!!!

modi and gold

मोदी सरकार गोल्ड एमनेस्टी स्कीम लाने की तैयारी में 

नई दिल्ली (khabargali ) सोने के रूप में कालाधन रखने वालों की अब खैर नहीं। भारतीय सोने को निवेश के रुप में काफी सुरक्षित मानते हैं। ब्लैकमनी छिपाने के लिए बड़े पैमाने पर सोने का उपयोग होता है। गौरतलब है कि नोटबंदी के दिन 01लाख रुपये प्रति 10 ग्राम तक सोना बिका था। सूत्रों के मुताबिक सरकार नोटबंदी के बाद दूसरा सबसे बड़ा कदम उठाने की तैयारी में है। सरकार गोल्ड एमनेस्टी स्कीम लाने की तैयारी में है। एक तय मात्रा से ज्यादा बिना रसीद के अघोषित सोने रखे होने पर उसकी जानकारी देनी होगी और उसकी कीमत सरकार को बतानी होगी। साथ ही उसपर टैक्स चुकाना होगा। इस दौरान जिस खरीद की रसीद उपलब्ध नहीं होगी उस पर पूरा टैक्स चुकाना होगा और टैक्स देकर इसे वैध सोने में बदला जा सकेगा। 

कैबिनेट इस योजना को मंजूरी दे सकता है

सूत्रों के मुताबिक वित्त मंत्रालय के आर्थिक मामलों के विभाग और राजस्व विभाग ने मिलकर इस योजना का मसौदा तैयार किया है। सूत्रों की मानें तो वित्त मंत्रालय ने अपना प्रस्ताव कैबिनेट के पास भेज दिया है और जल्द ही कैबिनेट से इस योजना को मंजूरी मिल सकती है। 

मूल्यांकन केन्द्र से प्रमाणपत्र जरूरी

योजना के तहत सोने की कीमत तय करने के लिए मूल्यांकन केन्द्र से प्रमाणपत्र (सर्टिफिकेट) लेना होगा। इसके तहत बिना रसीद वाले जितने सोने का खुलासा करेंगे उस पर एक तय मात्रा में टैक्स देना होगा।  ये स्कीम एक खास समय सीमा के लिए ही होगी। यह वर्ष 2014-16 की एमनेस्टी स्कीम की तर्ज पर होगी।
हालांकि, इस स्कीम के तहत सोने पर लगाए जाने वाले टैक्स दर पर अभी कोई सहमति नहीं बनी है। लेकिन इस पर 30%  टैक्स लगाए जाने की बात चल रही है। अगर इस टैक्स दर पर सहमति बन जाती है तब दो परसेंट एजुकेशन सेस के बाद प्रभावी टैक्स दर 33% हो जाएगी।

उचित क्रियान्वयन काफी चुनौतीपूर्ण 

बताया जा रहा है कि इस स्कीम के जरिये लाखों करोड़ रुपये का कालाधन रिकवर किया जा सकेगा। लेकिन इसका उचित क्रियान्वयन काफी चुनौतीपूर्ण होगा। टैक्स के तौर पर सोने की मूल कीमत में एक तिहाई कमी होने पर भी लोग सोने के बारे में जानकारी देने से बचेंगे। इसके अलावा संपत्ति की जानकारी जाहिर होने पर टैक्स अधिकारियों द्वारा परेशान किए जाने के डर से भी लोग सामने नहीं आएंगे। देश में इससे पहले भी ऐसे कई मामले सामने आते रहे हैं, जब टैक्स अधिकारियों ने लोगों से उनकी संपत्ति का स्रोत बताने की बात कही है। नोटबंदी के समय भी टैक्स अधिकारियों द्वारा स्रोत की जानकारी के लिए लोगों को लाखों मोबाइल संदेश भेजे गए थे।

मंदिर-ट्रस्ट भी आएंगे इस दायरे में 

सरकार देश भर में मंदिरों और ट्रस्ट के पास चढ़ावे से एकत्र सोने को भी उपयोगी बनाने की योजना पर विचार कर रही है। इनके पास भारी मात्रा में एकत्र सोने को उपयोगी बनाने के लिए सरकार जल्द महत्वपूर्ण घोषणा कर सकती है।

नीति आयोग का था सुझाव

नीति आयोग ने दो वर्ष पहले इस संबंध में सुझाव दिए थे। नीति आयोग ने अनुमान लगाया था कि भारतीयों के पास करीब 20 हजार टन सोना एकत्र हो सकता है। लेकिन अगर इसमें बगैर जानकारी के आयात और पैतृक सोने को मिला लिया जाए तो यह मात्र 25-30 हजार टन तक पहुंच जाएगी। वर्तमान भाव के मुताबिक इस सोने की कीमत 70 लाख करोड़ रुपये से अधिक हो जाएगी।

सरकार की स्वर्ण गोल्ड बॉन्ड योजना 

देश में सोने की मांग में कमी लाने तथा घरेलू बचत के लिए सोना खरीदने वाले लोगों को वित्तीय बचत में लाने के उद्देश्य से भारत सरकार ने महत्वपूर्ण स्वर्ण गोल्ड बॉन्ड योजना शुरू की थी। इस योजना से सोने के आयात पर सही तरीके से निगरानी भी रखी जा सकेगी। ऐसे में इसमें ट्रांसपेरेंसी भी होगी और निवेशकों को अपने सोने की सुरक्षा के बारे में चिंता करने की जरूरत नहीं पड़ेगी। स्वर्ण बॉन्ड को गिरवी रखने की अनुमति मिल सकती है। इसकी छह किस्त अभी तक जारी कर चुकी है। 
स्वर्ण बांड योजना की शुरुआत नवंबर 2015 में की थी. गोल्ड बॉन्ड में वित्तीय वर्ष (अप्रैल-मार्च) में प्रति व्यक्ति न्यूनतम निवेश एक ग्राम है, जबकि अधिकतम सीमा 500 ग्राम है। व्यक्तिगत और हिंदू अविभाजित परिवार (HUF) के लिए निवेश की अधिकतम सीमा 4 किलोग्राम और ट्रस्टों और संस्थाओं के लिए 20 किलोग्राम रखी गई है।

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