पं स्वराज्य प्रसाद त्रिवेदी ने लेखनी और समाज को संतुलित करते हुए त्याग और तपस्या की पत्रकारिता की- रमेश नैयर

Press club raipur

रायपुर( khabargali) पं स्वराज्य प्रसाद त्रिवेदी ने लेखनी और समाज को संतुलित करते हुए त्याग और तपस्या की पत्रकारिता की। आज पत्रकारिता का रास्ता कठिन है ऐसे समय में पं त्रिवेदी को याद करना हमारी नैतिक जिम्मेदारी है। पं स्वराज्य प्रसाद त्रिवेदी जयंती समारोह में मुख्य अतिथि वरिष्ठ पत्रकार रमेश नैयर ने उक्त विचार व्यक्त किए।

इस अवसर पर डॉ सीमा चन्द्राकर द्वारा लिखित पं स्वराज्य प्रसाद त्रिवेदी एक साहित्यिक मूल्यांकन पुस्तक तथा छत्तीसगढ़ मित्र के जुलाई अंक का विमोचन किया गया। श्री नैयर ने कहा कि आजादी के समय सर्वाधिक सजा और अंग्रेजों की क्रूरता का दंश पत्रकारों ने झेला। साहित्य मनुष्य को एकता के सूत्र में बांधती है। भाषा के संस्कार पत्रकारिता से मिलती है। समारोह के अध्यक्ष वरिष्ठ पत्रकार जयशंकर नीरव ने कहा कि पं त्रिवेदी ने सत्तर वर्ष तक लेखन किया। पत्रकारिता के विकास में उनकी बड़ी भूमिका है। १९४२ से लेकर आजादी तक का संघर्ष उनकी पत्रकारिता के कारण चर्चित रहा।

पं स्वराज्य प्रसाद त्रिवेदी जयंती समारोह के अवसर पर स्वागत भाषण में प्रेस क्लब के अध्यक्ष दामू आम्बेडारे ने कहा कि एक आदर्श पत्रकारिता की याद हमें स्वराज्य प्रसाद त्रिवेदी के योगदान से मिलती है। आज की पत्रकारिता बदल गई है। डॉ सीमा चंद्राकर ने कहा कि आजादी के पहले और आजादी के बाद के साहित्य में पं त्रिवेदी ने अपने समय के समाज को दिशा दी है। अनेक विधाओं में लिखते हुए वे साहित्यिक पत्रकारिता के शिखर पर पहुंच गए।

 

प्रो चितरंजनकर ने कहा कि एक मुकम्मल पत्रकार होने के लिए पत्रकार को साहित्यकार होना जरूरी है। अनेक पीढ़ियों को शब्दों का संस्कार देने वाले पं त्रिवेदी पत्रकारिता और साहित्य के नींव के पत्थर हैं। समारोह के मुख्य वक्ता पत्रकार संपादक समीर दीवान ने कहा कि आजादी के समय की पत्रकारिता की सत्यनिष्ठा और निर्भिकता पं त्रिवेदी में थी । एक जोखिम का काम उन्होंने जीवनभर किया। आज की पत्रकारिता में लोग सब कुछ तत्काल प्राप्त कर लेना चाहते हैं। पं त्रिवेदी के परिवार ने समूचे शहर को प्रेरित किया। एक जनसंपर्क अधिकारी के रूप में भी पं त्रिवेदी ने अपनी अलग पहचान बनाई। पत्रकारिता में लक्ष्मी की नहीं सरस्वती की उपासना होती थी। अपने समय के अंधेरे को देखते हुए लेखनी से उसे दूर करने की कोशिश उन्होंने की। समारोह का संचालन डॉ सुधीर शर्मा ने किया इस अवसर पर डॉ सुशील त्रिवेदी, शैलेन्द्र त्रिवेदी, शिरीष त्रिवेदी, डॉ राहुल सिंह, सोहनलाल डागा, आलोक अवस्थी, डॉ स्नेहलता पाठक, शकुंतला तरार, कौशल किशोर मिश्र, डॉ जे आर सोनी, के पी सक्सेना, सुभाष मिश्र, डॉ ब्रजेंद्र पांडेय, सुरेश अवस्थी, मधुकर द्विवेदी, जलकुमार मसंद, श्याम वर्मा, जागेश्वर प्रसाद, आसिफ इकबाल, गिरीश वोरा, अश्विनी शर्मा, रत्ना पांडेय, अता रायपुरी, नागेंद्र दुबे, अमित पटेल, डॉ गीतेश अमरोहित और प्रेस क्लब के अनेक सदस्यआदि उपस्थित थे।

 

Category