सड़कों पर पंडाल, ध्वनि प्रदूषण: जवाब नहीं देने पर एनजीटी ने कहा कलेक्टर के विरुद्ध अपराधिक प्रकरण की कार्यवाही करने के पहले एक मौका दे रहे हैं, अगली तारीख पर खुद उपस्थित हो

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रायपुर (khabargali) छत्तीसगढ़ नागरिक संघर्ष समिति द्वारा नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के 2016 के आदेश का पालन नहीं किए जाने के विरुद्ध की गई याचिका पर आज कलेक्टर रायपुर द्वारा कोई जवाब नहीं दिए जाने पर और कलेक्टर की तरफ से कोई भी खड़ा नहीं होने पर, एनजीटी की प्रिंसिपल बेंच नयी दिल्ली ने वीडियो कांफ्रेंस पर सुनवाई करते हुए, एनजीटी पीठ के न्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल तथा एक्सपर्ट मेम्बर डॉक्टर अफरोज अहमद की बेंच ने कहा कि कलेक्टर का यह कंडक्ट और एटीट्यूड ट्रिब्यूनल के आदेश की आज्ञा का उल्लंघन है, जो कि एनजीटी अधिनियम की धारा 26 के तहत अपराध है।

बेंच ने कहा कि कोई भी अपराधिक कार्यवाही करने के पहले वह कलेक्टर को एक मौका और दे रहे हैं और वे 8 अगस्त की सुनवाई में व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होकर बताएं कि उन्होंने रिपोर्ट क्यों नहीं दी और 2016 का आदेश का पालन अगर नहीं हुआ है तो उसके कारण बताएं। गौरतलब है कि दो मई को हुई सुनवाई में एनजीटी ने कलेक्टर से 17 जुलाई तक याचिका में प्रस्तुत किए गए तथ्यों पर रिपोर्ट मांगी थी। समिति की तरफ से अधिवक्ता गौरवान्वित मेहता ने भोपाल से पैरवी की।

क्या है एनजीटी का 2016 का आदेश

दिनांक 23.09.2016 को प्रकरण ओए 78/2016 में एनजीटी ने आदेशित किया था कि सड़कों पर पंडाल और स्वागत गेट इत्यादि लगाने के लिए बिल्कुल भी अनुमति नहीं दी जाएगी और जब भी सड़क पर पंडाल और गेट लगते हुए पाए जाएं तो लोकल म्युनिसिपालिटी, पुलिस और जिला प्रशासन उन्हें तत्काल हटाएगी और जिम्मेदार पर पेनाल्टी लगाएगी। इसके आलावा किसी भी जुलूस के दौरान कोई पंडाल गेट सड़क पर नहीं आना चाहिए जिससे कि ट्रैफिक के सुचारू प्रभाव में बाधा आवे। एनजीटी ने ध्वनि प्रदूषण को लेकर भी विस्तृत निर्देश जारी किए थे।

क्या की गई है शिकायत 

त्योहारी सीजन में सड़कों पर लगने वाले पंडाल, स्वागत गेट और इस दौरान होने वाले ध्वनि एवं वायु प्रदूषण और इससे आम जनता को हो रहा स्वास्थ्य एवं मानसिक परेशानी के मुद्दे पर एनजीटी के आदेश का पालन नहीं किए जाने के कारण समिति ने एनजीटी समक्ष याचिका दायर कर रायपुर के कलेक्टर, एसपी, निगम आयुक्त और प्रबंध संचालक विद्युत वितरण कंपनी कंपनी पर एनजीटी एक्ट के प्रावधान अनुसार पेनाल्टी लगाने की मांग की।

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शिकायत में ट्रैफिक जाम, ध्वनि प्रदुषण के कई उदहारण दिए

शंकर नगर चौक, राठौर चौक, गोल बाजार, स्टेशन रोड में ट्रैफिक जाम की फोटो प्रस्तुत करते हुए बताया गया कि शंकर नगर चौक में रात्रि कालीन म्यूजिक कार्यक्रम करने के लिए दिन भर सड़क जाम करके मंच बनाया गया और अधिकारियों ने उसे हटाने का कार्य नहीं किया जब कि सड़क पर ही पंडाल भी लगाया गया था, यह थाने से सिर्फ 500 मीटर दूर था। यहीं पर गणेश उत्सव के दौरान ही एक दूसरे दिन भर सड़क बंद कर दिन भर कार्यक्रम किया गया। विसर्जन के दौरान सड़क बंद कर घंटों डीजे और ढोल बजाए गए।

क्या मांग की गई है याचिका में

1.कलेक्टर, एसपी, निगमायुक्त तथा प्रबंध संचालक विद्युत वितरण कंपनी पर एनजीटी एक्ट के अनुसार पेनाल्टी लगाई जावे।

2. छत्तीसगढ़ पर्यावरण संरक्षण मंडल को आदेशित किया जावे की वे पंडाल लगाने से हुए ध्वनि और वायु प्रदूषण का मूल्यांकन कर पंडाल लगाने वालों से वसूल करें।

3. शासन को आदेशित करें कि एनजीटी के आदेश का पालन शब्द तथा और मूल भावना से कराएं।

क्या है पेनल्टी प्रावधान एनजीटी एक्ट में

एनजीटी एक्ट की धारा 26 के अनुसार कोई भी व्यक्ति जो एनजीटी के आदेश या अधिनिर्णय गया विनिश्चय का अनुपालन करने में असफल रहता है, तो उसे 3 वर्ष तक की कारावास की सजा या जुर्माना जो कि ₹10 करोड़ तक का हो सकेगा या दोनों लगाया जा सकता है और उल्लंघन जारी रहता है तो अतिरिक्त जुर्माने के रूप में रुपए 25000 दंड प्रतिदिन लगता रहेगा।

समिति के अध्यक्ष विश्वजीत मित्रा ने बताया कि रायपुर की जनता को ध्वनि एवं वायु प्रदूषण और अन्य कारणों से हो रही स्वास्थ्य एवं मानसिक परेशानी को लेकर समिति हर फोरम न्यायलय तक जाने के लिए प्रतिबद्ध है।

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