शिक्षकों अभिभावकों ने कहा- आचार संहिता के खिलाफ है ऐसा करना
रायपुर (khabargali) चुनाव के तारिखों को घोषणा होते ही आचार संहिता लग गई है। सार्वजनिक स्थानों से सरकार की योजनाओं का प्रचार प्रसार करने वाले विज्ञापनों को हटाया जा रहा है। इस कड़ी में स्कूल शिक्षा विभाग की पाठ्य पुस्तकें आचार संहिता का अवहेलना करती दिखाई दे रही हैं। लोगों में छत्तीसगढ़ पाठयपुस्तक निगम की पालिसी को लेकर नाराजगी है। हालांकि हर साल जून में ही किताबें निशुल्क दी जाती हैं लेकिन आज की स्थिति में यह आचार संहिता की अवहेलना कर रही हैं। अब इसे लेकर विपक्षी दल भी एक्टिव हो सकते हैं ।
सरकारी और निजी स्कूलों के बहुत से शिक्षकों अभिभावकों ने इस संबंध में शिकायत करते हुए बताया कि छत्तीसगढ़ सरकार के द्वारा निशुल्क पाठ्य पुस्तकों का वितरण किया जाता है। जिसमें पीछे कवर पेज पर छत्तीसगढ़ सरकार की तमाम योजनाओं का प्रचार प्रसार भी किया जाता है। इन योजनाओं को लेकर सत्ता और विपक्ष के राजनीतिक दल एक दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप रूप की राजनीति भी करते रहते हैं। सत्तासीन राजनीतिक दल अपनी इन्हीं योजनाओं को उपलब्धि बताकर दोबारा सत्ता में आने की कोशिश करता है। ऐसी स्थिति में स्कूलों में बांटी गई निशुल्क पुस्तक सत्ताधारी दल का प्रचार का माध्यम बन रही है। लिहाजा भविष्य में चाहे किसी भी दल की सरकार हो ।
भविष्य में पाठ्य पुस्तक निगम को सरकार की योजनाओं का प्रचार प्रसार इस लिहाज से नहीं करना चाहिए। बहुत से स्कूलों ने अभिभावकों से मिली शिकायत को ध्यान में रखते हुए स्टूडेंट को किताबों में कवर लगाने के मौखिक आदेश जारी किए हैं।
बताया गया है कि प्रदेश के बहुत से सरकारी स्कूलों में इस वर्ष जून में कॉपियां भी बांटी गई थी जिनमें छत्तीसगढ़ सरकार और मुख्यमंत्री की फोटो होने की बात कही जा रही है। इसको भी लोगों ने आपत्तिजनक माना है।
इस संबंध में एस सीईआरटी के डायरेक्टर श्री राजेश सिंह राणा का कहना है कि राज्य शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद एस सीई आरटी का कार्य पाठ्य सामग्री तैयार करना है उसे मुद्रण व वितरण का कार्य छत्तीसगढ़ पाठ्य पुस्तक निगम द्वारा करवाया जाता है परिषद द्वारा आचार संहिता के बाद ऐसा कोई कार्य नहीं किया गया है। श्री राणा ने कहा कि एस सीईआरटी द्वारा आचार संहिता का कड़ाई से पालन किया जा रहा है सभी को आवश्यक दिशा निर्देश दे दिए गए हैं हमने तो अपने रुटीन के ट्रेनिंग भी बंद कर आयोग से मार्गदर्शन मांगा है lजहां तक पाठ्य पुस्तकों का प्रश्न है पाठ्य पुस्तक वितरण करने का कार्य हमारा नहीं है
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