भारतीय इतिहास मे पहली बार पुत्र ने पिता पर की पीएचडी

Reshamlal jangde khabargali

भारतीय संविधान सभा के सदस्य व प्रथम लोक सभा के निर्वाचित सांसद रेशम लाल जांगडे पर पुत्र हेमचन्द्र जांगडे ने पूरी की पी.एच.डी.

रायपुर@खबरगली: आपने, अब तक विभिन्न विषयों में पीएचडी करने वाले शोधार्थियों के बारे में सुना होगा. आप ऐसे ही पीएचडी होल्डरों के शोध को भी पढ़ा होगा. आप कई पीएचडी करने वालों के शोध पत्र के विषयों को भी जानते होंगे. लेकिन आपने शायद ही सुना होगा कि कोई पुत्र अपने पिता के जीवन पर आधारित शोध कर रहा हो.

आज हम आपको एक ऐसे ही शख्स के बारे में बताने जा रहे हैं. जो अपने पिता के ऊपर पीएचडी कार्य पुरा किया है हम बात कर रहे हैं राजधानी रायपुर में रहने वाले हेमचंद्र जांगड़े की।Hemchandra jangde

रेशमलाल जांगड़े आजादी के बाद देश की पहली संसद में सांसद चुने गए थे.रेशमलाल जांगड़े ने स्वतंत्रता संग्राम की लड़ाई में भी बढ़चढ़कर हिस्सा लिया था. रेशमलाल जी के जीवन के अलग-अलग पहलुओं को लेकर उनके पुत्र हेमचंद्र जांगड़े . ने पीएचडी प. रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय से पुरा किया है।

अपने पिता स्वतंत्रता संग्राम सेनानी , भारतीय संविधान सभा के सदस्य व प्रथम लोक सभा के निर्वाचित सांसद श्री रेशम लाल जांगडे जी के ऊपर अपनी पी.एच.डी. पुर्ण कर ली है । जिसका की आज दिनांक 12.04.2022 को नोटीफिकेशन पंडित रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय के द्वारा जारी किया गया है ।

Phd degree hemchandra jangde

अपना शोध कार्य कला एवं वाणिज्य स्नातकोत्तर महाविद्यालय के सहायक प्राध्यापक डॉ . मालती तिवारी के निर्देशन एवं दुर्गा महाविद्यालय के सहायक प्राध्यापक डॉ . सुभाष चन्द्राकर के सह निर्देशन में पूर्ण किया व शोध केन्द्र दुर्गा महाविद्यालय रायपुर था इस शोध कार्य में दुर्गा महाविद्यालय के राजनिति विज्ञान विभाग के अध्यक्ष डॉ . अजय चन्द्राकर , डॉ.अमन झा , डॉ. सुषमिता सेन , व इनके अलावा डॉ अंतराम बंजारे , डॉ. भूपेन्द्र साहू डॉ. लक्ष्मण भारती का भरपूर सहयोग मिला । शोध कार्य का शीर्षक था ।

छत्तीसगढ़ के विकास में स्व . रेशम लाल जांगड़े का योगदान! इसके अलावा माता जी श्रीमति कमला जांगडे जी , बड़ी बहन श्रीमति दुर्गा टण्डन जी ने काफी मुझे प्रोत्साहित एवं मार्गदर्शन किया ।

उल्लेखनिय है कि एक पिता के ऊपर पुत्र के द्वारा शोध कार्य करना देश में अपने तरह की अनुठी बात है । एक पुत्र के द्वारा अपने पिता के ऊपर शोध कार्य करना काफी कठिन कार्य होता है मुझे इस शोध कार्य को करने में काफी कठिनाईयों का सामना करना पड़ा । श्री रेशम लाल जांगडे जी भारतीय संविधान सभा के सदस्य , स्वतंत्रता संग्राम सेनानी , प्रथम लोक सभा के निर्वाचित सांसद , पूर्व विधायक एवं पूर्व मंत्री भी रहे है एक समाज सुधारक के रूप में उनकी पुरे प्रदेश में एक अलग ही पहचान है । वे सतनामी समाज के प्रथम विधिवेत्ता भी रहे है उन्होंने अपनी कानून की डिग्री 1949 में नागपुर विश्वविद्यालय से प्राप्त की थी ।

वे 1949 से 1952 तक अंतरिम संसद के सदस्य भी रहे । उनका लम्बा राजनितिक कैरियर बेदाग रहा उन्होंने 1956 में अस्पृश्यता निवारण कानून लोकसभा से पारित कराया था । कई ट्रेनों का परिचालन उन्होंने प्रारंभ कराया था , वे अपने बातो को संसद में बड़ी मुखरता से रखते थे वे कई महत्वपूर्ण संसदीय समितियों के सदस्य भी रहे ।

समाज सुधार में काफी योगदान

समाज सुधारक के रूप में उन्होंने काफी कार्य किये । महात्मा ज्योतिबाफुले व डॉ. बाबा साहब अम्बेडकर जी के अधुरे कार्यो को उन्होंने आगे बढाया । इस कड़ी में उन्होने 19 छात्रावासों का संचालन किया जिसका विस्तार मध्यप्रदेश तक था जिसमें गरीब , दलित बच्चो को पढ़ाने का कार्य किया जाता था । वे अपने स्वयं के वेतन से इन बच्चों को पढाने का कार्य करते थे ।

उन्होंने खानपान , सामाजिक रीति रिवाज में सुधार किया व छुआछुत का घोर विरोध किया । वे पुरे छत्तीसगढ़ में पैदल पैदल घुमकर बाबा गुरु घासीदास जी के संदेशो एवं उनके सिद्धांतों को समाज को पालन करने के लिए प्रेरित करते थे व गिरौदपुरी मेला की तिथि तय करने व उसका विस्तार व विकास करने में उनका बहुत बड़ा योगदान था । वे पुरे भारत वर्ष में छुआ - छुत के सबसे अधिक मामले दर्ज कराने वाले व्यक्ति है । 2010 में उन्हें राज्य सरकार द्वारा दलित चेतना पुरष्कार से नवाजा गया था व 13.05.2012 को संसद के केन्द्रीय कक्ष में तत्कालीन राष्ट्रपति व प्रधानमंत्री द्वारा प्रथम लोकसभा सांसद के रूप में सम्मानित किया गया था । उनके सादगी एवं ईमानदारी पूर्ण जीवन मूल्य आधारित राजनिति से प्रेरणा लेकर उनके ऊपर शोध करने का निर्णय लिया ताकि उनके द्वारा किये गये कार्यों को देश व प्रदेश में जन - जन तक पहुंचा सकू ताकि आने वाली पीढि को यह प्रेरणा मिल सके कि किस प्रकार उस समय के लोग निःस्वार्थ भावना से जनता की सेवा करते थे । जो आज की दौर में देखने को नहीं मिलता है ।