छत्तीसगढ़ पर्यावरण संरक्षण मंडल का दावा है कि पिछले 10 साल में शहरों की हवा सबसे कम प्रदूषित रही
रायपुर ( khabargali) नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के निर्देशों के बाद छत्तीसगढ़ के बड़े शहरों में दिवाली की रात केवल दो घंटों के लिये पटाखे चलाने की छूट थी. इसके बावजूद पूरी रात पटाखे जलाए जाते रहे. वहीं छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में भी दिवाली के रात जमकर आतिशबाजी हुआ .सभी ने सरकार की गाइड लाइन और नियमों का उल्लघन किया .जमकर आतिशबाजी किया गया . जिससे पूरे राजधानी में छतों के ऊपर काला प्रदूषण की परते जमी रही . पटाखें की आतिशबाजी में कोई लगाम नहीं था .केवल कागजी मात्रा की कार्यवाही रही . शासन प्रशासन के लोग यह सब जानते हुए भी आतिशबाजी को रोकने में नाकाम रहे . हवा की गुणवत्ता पहले से ही खराब के बावजूद लोगों ने नियमों का उल्लंघन करते हुए दिवाली समारोह के दौरान पटाखे फोड़े इसका नतीजा ये हुआ कि पहले से ही खराब हवा गंभीर स्थिति में पहुंच गई .
प्रदेश में पटाखों से जमकर हुआ वायू प्रदूषण
इसके बाद भी छत्तीसगढ़ पर्यावरण संरक्षण मंडल का दावा है कि पिछले 10 साल में शहरों की हवा सबसे कम प्रदूषित रही है. दिवाली की रात हुई आतिशबाजी के चलते प्रदुषण तो बढ़ा ही लेकिन हवा भी और जहरीली हो गई जबकि अभी कोरोना से देश उबरा नहीं है .
छत्तीसगढ़ पर्यावरण संरक्षण मंडल का यह दावा
राजधानी रायपुर में इस बार दीपावली में वायु प्रदूषण PM-10 पिछले साल के औसत की तुलना में लगभग 5.89 प्रतिशत कम रहा. बिलासपुर में वायु प्रदूषण PM-10 पिछले साल की तुलना में लगभग 7.52 प्रतिशत कम एवं भिलाई में औसतन वायु प्रदूषण के स्तर में करीब 9.3 प्रतिशत की कमी दर्ज की गयी. रायपुर शहर में औसत PM-10 अर्थात हवा में धूल के कणों की संख्या इस वर्ष 64.33 माइक्रोग्राम प्रति घनमीटर रही.
एयर क्वालिटी इंडेक्स अपडेट नहीं
आपको बता दे कि पर्यावरण संरक्षण मंडल की आधिकारिक वेबसाइट पर एयर क्वालिटी इंडेक्स अपडेट नहीं है. आखिरी बार इसमें 24 अगस्त 2020 के एयर क्वालिटी इंडेक्स को अपडेट किया गया है. जबकि पर्यावरण संरक्षण मंडल को प्रतिदिन एयर क्वालिटी इंडेक्स को वेबसाइट पर प्रकाशित करने को कहा गयाथा लेकिन मंडल ने ऐसा नहीं किया. हालांकि मंडल के सदस्य सचिव आरपी तिवारी का दावा है, एनजीटी के निर्देशों का पालन कराया गया है. इसी की वजह से वायु प्रदूषण में कमी दिख रही है.
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