सिलगेर में एक बड़े आंदोलन में ग्रामीणों की भीड़ फिर से देखने को मिली, आखिर क्यों?

Silger sukma , aadivasi, khabargali

सुकमा(khabargali)। सुकमा जिले के सिलगेर में स्थापित सुरक्षाबलों के कैंप का विरोध कर रहे ग्रामीण भले ही वापस अपने घर लौट गए हैं, लेकिन कैंप हटाने को लेकर उनकी मांग अभी पूरी नहीं हुई है। कैंप के विरोध में एक बड़े आंदोलन में ग्रामीणों की भीड़ की फिर से देखने को मिली है। सिलगेर में बड़ी संख्या में आसपास और दूर-दराज के गांव के ग्रामीण फिर से इकट्ठे होने लगे हैं।

जानकारी के मुताबिक 27 जून को यह भीड़ एक बड़ी रैली और धरना करने जा रही है। इसके अलावा 28 जून को सारकेनगुड़ा में जनसभा की भी बात कही जा रही है। फिलहाल यह रैली कितनी बड़ी होगी इसका स्वरूप क्या होगा यह अभी तक तय नहीं है|

आन्दोलन में राजनितिक रूप

सिलगेर मामले पर बस्तर सांसद दीपक बैज ने कहा कि पहली बार ऐसा हुआ है कि ग्रामीणों के द्वारा किए जा रहे किसी आंदोलन में सरकार प्रत्यक्ष रूप से सीधे उनके पास पहुंची और बात की है। भाजपा की सरकार में ग्रामीणों की कोई सुनवाई नहीं होती थी।

Sukma khabargali

सांसद ने कहा कि छतीसगढ़ की जनता ने पिछले 15 सालों की बीजेपी की सरकार भी देखी है, और ढाई साल के कांग्रेस की सरकार भी। भाजपा के शासनकाल में भी कई पुलिस कैंपो का विरोध हुआ, लेकिन सरकार का कोई भी प्रतिनिधिमंडल या फिर कोई भी नेता आंदोलनरत ग्रामीणों की बात सुनने उन तक नहीं पहुंचा। लेकिन सिलगेर में ग्रामीणों के आंदोलन को देखते हुए सरकार खुद ग्रामीणों की बात सुनने गई।

कब हुई आन्दोलन की शुरुआत?

सिलगेर में 12 मई को सुरक्षाबलों का कैंप स्थापित किया गया था। वहीं 13 मई की सुबह से ही यहां कैंप को हटाने के लिए हजारों की संख्या में ग्रामीण जुट गए थे। इस बीच सुरक्षाबलों और ग्रामीणों के बीच हिंसक झड़प भी हुई थी।

Sukma khabargali

वहीँ पुलिस की गोली लगने से 3 लोगों की मौत व भगदड़ में एक गर्भवती महिला की मौत हुई थी। सरकार से लगातार हो रही बातचीत व कोरोना के बढ़ते मामले को देखते हुए 28 दिन बाद ग्रामीण वापस घर लौट गए थे।

ग्रामीणों की माँग होगी पूरी?

सरकार ने अपना रुख स्पष्ट कर दिया कि इलाके के विकास को ध्यान में रखते हुए सड़क निर्माण की सुरक्षा हेतु कैम्पो को लगाया गया है इसे नहीं हटाया जाएगा। बरहाल किसान क्षतिपूर्ति पर विचार किया जा सकता है बता दें की कुछ मांगों को सरकार ने सीधे तौर पर स्वीकार कर ली लेकिन सभी मांगे पूरी ना होने की वजह से एक बार फिर से ग्रामीणों का हुजूम फिर से आंदोलन स्थल में वापसी कर रहा है।

माना जा रहा है किसिलगेर से धीरे-धीरे ग्रामीण एकत्रित होकर 27 या 28 जून को सारकेगुड़ा पहुंचेंगे। वहीं कुछ इलाके के स्थानीय बताते हैं कि ग्रामीणों की यह भीड़ 28 जून तक बढ़ती चली जाएगी । 28 को सारकेगुड़ा में पूरी भीड़ एक विशाल जनसभा में परिवर्तित हो जाएगी।

बस्तर IG सुंदरराज पी का कहना है कि नक्सलियों के द्वारा ग्रामीणों को जबरदस्ती कैंप के विरोध में भेजा जा रहा है। अगर ग्रामीण जाने से मना करते हैं या तबीयत खराब होने की बात कहते हैं, तो उन पर 500 से 2000 तक का जुर्माना नक्सलियों के द्वारा लगाया जा रहा है।

पुलिस के द्वारा लगातार निगरानी रखी जा रही है। लोकल प्रशासन और पुलिस के द्वारा ग्रामीणों को समझाइश देकर वापस भेजने की कोशिश की जा रही है।