'भांग' ड्रग्स नहीं दवा..WHO की सिफारिश के बाद 27 देशों ने भी मान लिया

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UN में हुई वोटिंग के बाद लिया गया फैसला..भांग के ये हैं वैज्ञानिक लाभ

नई दिल्ली (khabargali) भारत मे जहाँ-जहाँ शिवनगरी है, जहाँ महादेव के प्रसिद्ध शिवलिंग हैं वहाँ शिव प्रसाद भांग की खपत बहुत ज्यादा है। हर वर्ष शिव भक्त महाशिवरात्रि पर भगवान शिव को भांग का भोग जरूर लगाते हैं। देश मे भांग की फुटकर दुकानों का व्यवस्थापन आबकारी विभाग करती है। भांग के गुणों की बात करें तो हिंदू धर्म ग्रंथों व आयुर्वेद में भी इसका उल्लेख किया गया है, लेकिन बीते कई सालों में अंतरराष्ट्रीय जगत में भांग को एक ड्रग्स के रूप में पहचान मिली हुई है। लेकिन अब नए शोधों में पता चला है कि भांग एक ड्रग्स नहीं, बल्कि शरीर के लिए शानदार दवा है। विश्व स्वास्थ्य संगठन की कई रिसर्च में भी इस बारे में दावा किया गया है और इसके अब संयुक्त राष्ट्र संघ ने भी आखिरकार भांग को एक दवा के रूप में मान्यता दे दी है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के विशेषज्ञों की सिफारिश के बाद संयुक्त राष्ट्र संघ ने ये कदम उठाया है। इस फैसले के बाद भारत सहित कई देशों में भांग के इस्तेमाल के लेकर पॉलिसी में बदलाव आ सकता है।

ऐतिहासिक मतदान हुआ था

संयुक्त राष्ट्र संघ में हुए ऐतिहासिक मतदान के बाद इससे दवा के रूप में मान्यता दे दी गई है। बता दें कि भांग को प्रतिबंधित मादक पदार्थों की लिस्ट से बाहर निकालने के लिए मतदान कराया गया था। यूएन में 27 देसों ने वोट किया था, जिसमें से 25 ने समर्थन में वोट किया। खास बात है कि अमेरिका और ब्रिटेन ने बदलाव के पक्ष में मतदान किया। भारत, पाकिस्तान, रूस और नाइजीरिया ने बदलाव का विरोध किया था। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के विशेषज्ञों की सिपारिश के बाद ये फैसला लिया गया है। अब भांग को उस ड्रग्स की लिस्ट से हटा दिया गया है, जिसमें हेरोइन जैसे ड्रग्स शामिल थे। संयुक्त राष्ट्र संघ ने भांग तो उस लिस्ट से हटा जरूरत दिया है लेकिन ये गैर मेडिकल इस्तेमाल के तौर पर अब भी प्रतिबंधित ड्रग ही माना जाएगा।

भांग के ये हैं वैज्ञानिक लाभ

अमेरिका के नेशनल आई इंस्टीट्यूट के मुताबिक भांग ग्लूकोमा के लक्षण खत्म करती है. इस बीमारी में आंख का तारा बड़ा हो जाता है और दृष्टि से जुड़ी तंत्रिकाओं को दबाने लगता है। इससे नजर की समस्या आती है. इसके अलावा भांग के पौधे में मिलने वाले टेट्राहाइड्रोकैनाबिनॉल की छोटी खुराक एमिलॉयड के विकास को धीमा करती है। एमिलॉयड मस्तिष्क की कोशिकाओं को मारता है और अल्जाइमर के लिए जिम्मेदार होता है। साल 2015 में अमेरिकी सरकार ने भी माना था कि कैंसर से लड़ने में भांग सक्षम है। अमेरिका की सरकारी वेबसाइट cancer.org के मुताबिक कैनाबिनॉएड्स तत्व कैंसर कोशिकाओं को मारने में सक्षम हैं। अमेरिका की सरकारी वेबसाइट cancer.org के मुताबिक कैनाबिनॉएड्स तत्व कैंसर कोशिकाओं को मारने में सक्षम हैं। साथ ही भांग के सेवन से कीमोथैरेपी के साइड इफेक्ट्स जैसे नाक बहना, उल्टी और भूख न लगना दूर होते हैं। नॉटिंघम यूनिवर्सिटी के रिसर्चरों ने साबित किया है कि भांग स्ट्रोक की स्थिति में मस्तिष्क को नुकसान से बचाती है। भांग स्ट्रोक के असर को दिमाग के कुछ ही हिस्सों में सीमित कर देती है।