भजन और विश्वास का बल बढ़ता है तो परमात्मा अपने आप प्राप्त हो जाता है : पंडित प्रदीप मिश्रा

If the power of bhajan and faith increases, then God is attained automatically, Pandit Pradeep Mishra, fifth day of Kavad Shiva Mahapuran Katha going on at Nevra High School Dussehra ground, Khabargali

नेवरा हाई स्कूल दशहरा मैदान में चल रही कांवड़ शिव महापुराण कथा का पांचवा दिन

तिल्दा-नेवरा (khabargali) हाई स्कूल दशहरा मैदान में आयोजित कावड़ शिव महापुराण कथा के पांचवे दिन की कथा में पंडित प्रदीप मिश्रा ने कहा कि शिव की कृपा होती है तब कहीं हम किसी सतमार्ग की ओर आगे बढ़ पाते हैं। बिना शिव की कृपा के भगवान की अनवरत भक्ति तक पहुंचना कठिन है। एक कदम बढ़ कर यदि हम भगवान की शरणागति की ओर जा रहे हैं। एक कदम चल कर भी हम यदि भगवान के भजन में जा रहे हैं। तो यह अपने हृदय में ये भाव होना चाहिए कि कहीं शिव करुणा सागर की कृपा हुई है,जिसके बल पर हम इस शिव महापुराण की कथा तक पहुंच पाए हैं।

कथावाचक ने कहा कि शक्कर और संत दोनों का काम एक ही होता है। शक्कर, गुड, शहद को किसी भी चीज में डालेंगे उसमें अपनी मिठास आ जाती है मीठा हो जाता है। उसी तरह संत जो होते हैं साधु,तपस्वी,साधक उपासक का एक ही काम होता है कि, वो जनमानस को भगवान की भक्ति की मिठास में डुबो दे। शक्कर,गुड़, शहद जैसे अपना तत्व मिठास के रूप में छोड़ जाती है। उसी प्रकार जहां संत जाता है अपनी भक्ति की मिठास शक्कर की तरह छोड़कर चला जाता है।

कथावाचक ने कहा कि किसी गुरु के पास मांगने मत जाओ, उनके पास जाओ तो उनकी कृपा की दृष्टि हो जाए और हमारा कल्याण हो जाए। देवों और महादेव में बहुत बड़ा अंतर है। दोनों में सबसे बड़ा अंतर यह है कि देवों अथवा देवताओं को अगर पुकारा तो वह भक्तों को दर्शन देने आ जाएंगे। लेकिन महादेव दर्शन देने नहीं आते। जिसने उनको पुकारा है वह उनको दर्शन के लायक बना देते हैं। उसको ऐसा बना देते हैं कि लोग उसका दर्शन करते है। शिव की आराधना शिव की भक्ति शिव का भजन शिव का कीर्तन आपको उस मंजिल तक ले जाकर छोड़ देता है। जिस मंजिल की आपने कामना भी नहीं करी होगी। आपके भजन का भक्ति का जो बल है, बस वो प्रबल होना चाहिए और जब भक्ति का बल बढ़ता है, भजन और विश्वास का बल बढ़ता है तो परमात्मा अपने आप प्राप्त हो जाता है।

पंडित जी ने कहा संसार सागर में आने के बाद परिवार नाते रिश्ते कुटुंब अपने पराए इनके तानों में इनके अपशब्दों में गालियों में पड़कर जो सिक जाता है।उसकी कीमत अपने आप बढ़ जाती है। उसकी पहचान अपने आप बढ़ जाती है। उन्होंने मिसाल के रूप में बताया कि जिस प्रकार कच्ची मूंगफली -कच्चे भुट्टे की कीमत कम होती है। लेकिन उसकी कीमत सिकाई के बाद बढ़ जाती है। दरअसल उसकी कीमत सिकाई करने वाला व्यक्ति बनाता है क्योंकि वह मूंगफली हो या भुट्टा दोनों को खूब आग में सेकता है ,जलाता है। आग में जलने के बाद उनकी कीमत बढ़ जाती है ठीक उसी प्रकार जब हम संसार के सागर में आते हैं नाते रिश्ते कुटुंब अपने पराए के ताने गाने सुनने पड़ते हैं और यदि हम इन सारी बातों को सह लिया तो हमारी कीमत अपने आप बढ़ जाएगी पहचान अपने आप बढ़ जाएगी।

एक ही मार्बल जमीन पर लगाया जाता है जिससे लोग जूतों से रौंदते हुए चलते हैं उस मार्बल पर थूकते हैं गंदगी करते हैं। जबकि उसी मार्बल की बनी हुई मूर्तियां मंदिरों में पूजी जाती है। दरअसल जब मूर्ति बनाई जाते हैं तो उसे काफी तराशा जाता है तराशने वाले की हथौड़ी से जो मार्बल आकार लेता है वह मूर्ति बन जाता है जो टूट जाता है वह जमीन पर गिरता है और फिर उसे जमीन पर ही लगाया जाता है। परमात्मा भी हमें तरसता है यदि हम भजन के माध्यम से उन्हें पा लिए तो उसकी जिंदगी संवर जाती है।

देव ऋषि नारद के प्रसंग का वर्णन करते हुए महाराज ने बताया कि देवर्षि नारद भगवान शिव के सामने जाकर कहते हैं कि तुम कामदेव को नहीं जीत पाए और मैंने कामदेव को जीता है, जो तुमने नहीं कर सके मैंने कर दिया।शिव जी ने स्वीकार कर लिया कि मैंने कामदेव को नहीं जीता, आपने जीता है ना बस आपसे इतना सा निवेदन है कि यह बात किसी से ना कहो कि मैंने मैंने जीता है। अपनी जिव्या से अपनी बढ़ाई मत करना और अपनी जिव्या से पड़ोसी अथवा अन्य की बुराई कभी मत करना.. इससे जितना दूर रहोगे इतना सुखी रहोगे।

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