जांजगीर में उमड़ा देश के पत्रकारों का हुजूम...छग सक्रिय पत्रकार संघ का भव्य आयोजन

छग पत्रकार संगठन
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महात्मा गांधी पूर्णकालिक पत्रकार थे- राजेश बादल

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विद्यार्थी सम्मान-2019'' से रायपुर की प्रियंका कौशल को सम्मानित किया गया

बिलासपुर (khabargali)जिस मंच में गिरीश पंकज, हरीश पाठक , सतीश जायसवाल जैसे देश के महान साहित्यकार बैठें हो वह स्वमेय राष्ट्रीय स्तर का मंच या सम्मेलन हो जाता है। मुख्य वक्ता वरिष्ठ पत्रकार पूर्व एक्जक्यूटिव डायरेक्टर राज्यसभा टेलीविजन दिल्ली राजेश बादल ने छत्तीसगढ़ सक्रिय पत्रकार संघ के बैनर तले जांजगीर के ड्रीम पाइंट होटल में आयोजित प्रादेशिक पत्रकार सम्मेलन/ कार्यशाला में दिल्ली, मुंबई, ओडिशा, उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र सहित छत्तीसगढ़ के लगभग सभी जिलों से आए ख्यातिनाम पत्रकारों के मध्य कहे । कार्यक्रम का शुभारंभ मां सरस्वती और गणेश शंकर विद्यार्थी जी की प्रतिमा पर पूजा अर्चना एवं दीप प्रज्वलित कर किया गया। श्री बादल ने कहा कि मैं कई बड़े से बड़े राष्ट्रीय कार्यक्रमों में शामिल हुआ हूं पर उनमें कायदे से निचले स्तर की भी बातें नहीं हो पाती हैं पर आज जांजगीर जैसी छोटी जगह में इस मंच पर राष्ट्रीय स्तर के गंभीर मुद्दे पर सार्थक चर्चा कर चिंता जाहिर की जा रही हैं । यह मंच आज बहुत बड़ा हो गया है । आजकी पत्रकारिता में छवि का संकट है । कार्यक्रम की भव्यता और छत्तीसगढ़ के सभी जिलों सहित अन्य प्रांतों से आए पत्रकारों की विशाल उपस्थिति से संघ की कार्यशैली और आयोजक की छवि स्वमेय परिलक्षित हो रही है । मैं ऐसे आयोजनों में आना गौरव समझता हूं और भविष्य में भी जब आपको हमारी आवश्यकता हो मैं सहर्ष आने तैयार हूं । ऐसे आयोजनों की आज नितांत आवश्यकता , जिसमें पत्रकारों को प्रशिक्षित किया जाए । उन्होंने एक शेर के माध्यम से आयोजकों की हौसला अफजाई करते हुए कहा हारा वही जो लड़ा नही है ,जो लड़ता है जीत उसी की होती है। महात्मा गांधी की 150 वीं जन्मशती में उन्हें याद करना चाहिये, वे फुलटाइम पत्रकार थे । आंचलिक पत्रकारों की स्थिति पर चिंता जाहिर करते हुए कहा कि ब्लाक एवं जिला स्तर के पत्रकार आज के दौर में फुलटाइम पत्रकारिता में जीवन नही कर सकता है । जो पत्रकारिता जगत के लिए गंभीर और चिंतनीय है , जिसके जिम्मेदार हम सभी संपादक ही हैं । इससे संबंधित अपने जीवन में घटित अनुभव पत्रकारों को सुनाए । 

आयोजन के प्रथम सत्र में संघ के प्रदेश अध्यक्ष राज गोस्वामी ने अपने ओजस्वी एवं ऊर्जावान वक्तव्य से स्वागत भाषण द्वारा कार्यक्रम का आगाज किया । आयोजित कार्यशाला में उपस्थित अतिथियों ने ''राष्ट्रीय मीडिया में आंचलिक पत्रकारिता का महत्ता'' विषय पर पत्रकारों को अपने अनुभव की पाठशाला में लेखनी की बारीकियों से अवगत कराया । इस अवसर पर हरीश पाठक जी के द्वारा आंचलिक पत्रकारिता की बारीकियों पर आधारित 600 पेज की पुस्तक '' आंचलिक अखबारों की राष्ट्रीय पत्रकारिता '' पर भी अतिथियों ने विमर्श किया और इसे "आजादी के बाद की पत्रकारिता के ग्रंथ -आंचलिक पत्रकारिता की गीता" की संज्ञा दी ।

 पत्रकारिता की जड़ें आंचलिक पत्रकारों ने मजबूत कर रखीं हैं -हरीश पाठक

हरीश पाठक जी ने अपने जीवन के 40 साल के अनुभवों को पंक्तिबद्ध कर आज की पीढ़ी के पत्रकारों के लिए समर्पित किया है । हरीश पाठक ने कहा पत्रकारिता की जड़ें आँचलिक पत्रकारिता से जुड़ी हुई है। साहित्य का क्षेत्र इसमें चार चांद लगाता है । उन्होंने अपने पत्रकारिता के दौर में घटित कई उदाहरणों के माध्यम से उपस्थित पत्रकारों का मार्गदर्शन किया । आंचलिक पत्रकारिता समाज का आईना हैं -सतीश जायसवाल< वरिष्ठ पत्रकार एवं साहित्यकार सतीश जायसवाल ने कार्यशाला में पत्रकारों से मुखातिब होते हुए कहा कि पत्रकार को अपने कार्य से भलीभांति परिचित होना चाहिए । आज के दौर के नये शब्द "मीडिया" ने पत्रकारिता को दबा दिया है। यह महानगरों से उपजा हुआ अभ्रंश शब्द है ।आँचलिक पत्रकारिता के महत्त्व पर जोर डालते हुए उन्होंने ग्रामीण क्षेत्रों में हो रहे विस्थापन और उनके पुर्नवास के गंभीर मूददे को सामने लाने के लिए आँचलिक पत्रकारिता और पत्रकारों की जरूरत को बल दिया । भिलाई स्टील प्लांट के विस्थापित कहाँ गए ,लोहा बनाने वाली जनजाति, अगरिया राजगोंड कहाँ गई ।कौशल विकास से आँचलिक कौशल जनजातीयो को कितना कौशल मिला आदि..आदि ऐसी आँचलिक खबरे समाज के बीच आनी चाहिए । उन्होंने कहा कि पत्रकारों का काम सुझाव देना भी है। ताकि समाज में नई दिशा और दशा तय हो सके।

पत्रकारिता चुनौती भरा काम है - गिरीश पंकज

वरिष्ठ पत्रकार एवं व्यंग्यकार गिरीश पंकज ने अपने सारगर्भित उदबोधन में कहा कि आज का यह पत्रकार सम्मेलन अब केवल प्रदेशिक सम्मेलन नही रहा है । कई प्रांतों के राष्ट्रीय स्तर के ख्यातिनाम वरिष्ठ पत्रकारों के शामिल होने से इसका स्वरूप राष्ट्रीय स्तर का हो गया है। आज हम आधूनिकता की दौड़ में शामिल हो सायबर युग मे जी रहे है। पत्रकारिता भी अब ग्लोबल स्तर में आ गई है। जहां डिजिटल खबरे पढ़ना चम्मच से खाने जैसा है, जबकि अखबार पढ़ना अभी भी हाथ से खाने जैसा मीठा लगता है । आज भी प्रिंट मीडिया की विश्वसनीयता बरकरार जहां समाचार छपने के बाद कोई छेड़छाड़ नहीं की जा सकती है और साक्ष्य के रूप में इसे मान्य किया जाता है । पत्रकारिता चुनौती भरा क्षेत्र है। पत्रकारिता में कायम रहने के लिए पढ़ना जरूरी है। सम कालीन साहित्य से जुड़े रहना चाहिए , खोजी पत्रकारिता के लिए शोध करने की आवश्यकता है । छत्तीसगढ़ सक्रिय पत्रकार संघ को अब महा संघ बनने की दिशा में आगे आना चाहिए।

बड़ी खबरों के जन्मदाता आंचलिक पत्रकार होते हैं- राधावल्लभ शारदा

इंडियन फेडरेशन ऑफ मीडिया के राष्ट्रीय अध्यक्ष राधावल्लभ शारदा ने कहा कि खबरों के जन्मदाता आँचलिक पत्रकार है। बैठे हुए सम्पादक नही है। मान्यता प्राप्त और गैर मान्यता प्राप्त पत्रकारों को हेल्थ इंश्योरेंस का लाभ मिलना चाहिए । उन्होंनें बताया कि सरकार लंबी लड़ाई लड़कर मध्यप्रदेश में भोपाल बैतूल में पत्रकारों के लिये प्राइवेट वार्ड की शुरुआत हुई। उन्होंने पत्रकारों को अपने लेखनशैली में निखार के लिए संपादकीय और आलेख पढ़ने की आदत डालने की बात कही । आंचलिक पत्रकारिता में पत्रकार के प्राण बसते हैं- सुधीर सक्सेना डा.सुधीर सक्सेना ने अपने 41 वर्षों की पत्रकारिता के अनुभवों को साझा करते हुए कहा आँचलिक पत्रकारिता में पत्रकार के प्राण बसते है। उन्होंने छतरपुर बलात्कार कांड में आँचलिक पत्रकार की लड़ाई का जिक्र , बीबी जागीर कौर मामले में आँचलिक पत्रकारिता का महत्त्वपूर्ण योगदान को याद करते हुए बताया कि एक छोटा सा अखबार या पत्रकार क्या कर सकता है। आंचलिक अखबार प्रभात खबर की ताकत बताते हुए कहा कि बिहार के पशुपालन घोटाले से एक राजनीतिक दल का प्रमुख आज जेल सलाखों के पीछे है। चमकी बुखार की खबर आंचलिक पत्रकारिता से राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा में आई ।

वर्तमान समय पत्रकारिता का संक्रमण काल हैं- पितवास मिश्रा

उड़ीसा प्रांत के वरिष्ठ पत्रकार पितवास मिश्रा ने आज की पत्रकारिता पर चिंता जाहिर करते हुए कहा कि पत्रकारिता और साहित्य दोनों लेखनी की विधायें हैं जिन्हें कभी अलग नहीं किया जा सकता है । साहित्य से पत्रकार के शब्द मुखर होते है। वर्तमान दौर प्रिंट मीडिया के लिए बहुत अच्छा नही है। उन्होंने इंदिरा गांधी से लेकर राजीव गांधी और अटल बिहारी वाजपेई से लेकर नरेंद्र मोदी के कार्यकाल में पत्रकारिता के स्तर पर प्रकाश डालते हुए आज के दौर को गंभीरता से लिया और इसे संक्रमण काल की संज्ञा दी । उन्होंने पत्रकारों से संगठित होने की अपील की ।

कार्यक्रम में भास्कर न्यूज रायपुर की संपादिका प्रियंका कौशल को पत्रकारिता के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने के लिए छत्तीसगढ़ सक्रिय पत्रकार संघ के सर्वोच्च पत्रकारिता पुरस्कार 'गणेश शंकर विद्यार्थी सम्मान-2019'' से सम्मानित किया गया । छत्तीसगढ़ के दूरस्थ ग्रामीण अंचलों एवं देश भर से आए पत्रकारों और अतिथियों के बीच खुला संवाद हुआ, जिसमें विभिन्न समस्याओं और शंकाओं को दूर किया गया।

गणेश शंकर विद्यार्थी जी की जन्म स्थली फतेहपुर से आये पत्रकार निर्मल यादव ने बताया कि पत्रकारिता अपने नए आयाम की ओर जा रही है। आज के इस कार्यक्रम में गणेश शंकर विद्यार्थी जी को याद किया जाना और उनके आदर्शों पर चलने वाले अतिथियों साहित्यिक वक्ताओं के ओजस्वी वक्तव्य सुनना बहुत अच्छा लगा , नि:संदेह इनके अनुभवों से पत्रकारिता का पुन: एक क्रांतिकारी दौर आयेगा ।

कार्यक्रम के दूसरे सत्र में संघ की वार्षिक आमसभा में संघ द्वारा किये कार्यों की समीक्षा और संघ की भावी योजनाओं , संघ के विस्तार , प्रादेशिक सहित सभी संभागीय ,जिला व तहसील/ब्लाक इकाई के नवीनीकरण करने पर विस्तार मे चर्चा की गई । इस अवसर पर पत्रकारिता के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य करने , संघ के संचालन में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए पत्रकारों का सम्मान किया गया ।

सुबह से देर रात तक चलने वाला यह कार्यक्रम भले ही प्रादेशिक था लेकिन जिस तरह देश भर से अतिथियों और पत्रकारों ने यहां शिरकत की उससे यह कार्यक्रम राष्ट्रीय बन गया। इस कार्यक्रम के जरिए आंचलिक पत्रकारों को बहुत कुछ सिखने को मिला, जिसका उपयोग वो अपने कार्य क्षेत्र में रिपोटिंग के दौरान और लेखनी में निखार लाने में कर सकेंगे। छत्तीसगढ़ सक्रिय पत्रकार संघ ने स्टिंगर को पत्रकार न माने जाने पर अपना विरोध दर्ज किया है। साथ ही समाचार संकलन करने वाले को स्टिंगर कहे जाने पर आपत्ति जताई । रायपुर के पत्रकार आशीष सिंह पर बिजली मामले में दर्ज हुए अपराध पर चिंता जाहिर करते हुए कहा कि सम्पादकों को पत्रकारों की भेजी या लिखी गई खबरों पर पढ़कर धैर्य से निर्णय लेना चाहिए । वरना ऐसी खबरों के लिए वे भी जिम्मेदार ठहराये जाने चाहिए । कार्यक्रम में पूर्व एक्जक्यूटिव डायरेक्टर राज्यसभा टीवी दिल्ली राजेश बादल, सहारा समय मुंबई के पूर्व संपादक हरीश पाठक, इंडियन फेडरेशन आफ मीडिया के राष्ट्रीय अध्यक्ष राधावल्लभ शारदा, वरिष्ठ पत्रकार एवं साहित्यकार पूर्व संपादक नवभारत सतीश जायसवाल, दुनिया इन दिनों दिल्ली के संपादक डॉ. सुधीर सक्सेना, वरिष्ठ पत्रकार एवं देश के प्रख्यात व्यंग्यकार गिरीश पंकज व ओड़ीसा के वरिष्ठ पत्रकार दैनिक उत्कल मेल के संपादक पितवास मिश्रा बतौर अतिथि, छत्तीसगढ़ सक्रिय पत्रकार संघ के प्रदेश अध्यक्ष राज गोस्वामी, वरिष्ठ पत्रकार ठाकुर बलदेव सिंह, के के शर्मा , अशोक पण्डा, शिव अवस्थी, विनय पाठक, अश्वनी सिंह, प्रियंका कौशल, सुचित्रा ठाकुर, संतोष अग्रवाल, नाहिदा कुरेशी, विशाल यादव, रामचरित द्विवेदी, मलय बनर्जी, अभिषेक झा, संतोष कुमार सिंह, उत्तम तिवारी, मनीष शर्मा, निर्मल यादव, राकेश सोनी, अतीक खान, अफरोज ख्वाजा, मनीष जायसवाल, आलोक पांडेय, नरेन्द्र चौबे, मनीष सिंह, राकेश मिश्रा, अशोक अग्रवाल, कुलवंत सलूजा, राजीव मिश्रा, श्रवण यदु, चंद्रदेव सिंह, हरेराम तिवारी, उमेश सिंह, श्याम पाठक, मनीष शर्मा, प्रशांत सिंह, श्री ठाकुर, क्षेत्र सेमर, पवन केशवानी, पी.मोहन, एम एल मूलचंदानी, राज हयात खान, दिनेशचंद्र कुमार, श्याम रजक, श्रीमती कांति खूंटे, श्रीमती सुमन सिंह,कमल पाटीदार ,चंकी तिवारी, जिलाध्यक्ष जांजगीर हरि अग्रवाल, विनोद चौरसिया, कैलाश कश्यप, राज सिंह चौहान, नवीन सराफ, प्रकाश रात्रे, विजय चंदन, राजेन्द्र जायसवाल, शैलेश सोनी, आजम खान, अनिल चंद्रा, उमेश साहू, गोपाल दुबे, राजेश शर्मा, श्याम धीवर, सौरभ शर्मा, केशव आदित्य, राधेश्याम धकाते, जाकिर हुसैन, शैलेन्द्र सोनी, शरद सराफ, रामअवतार साहू ,करण अजगले, हूपेन्द साहू ,राजू सिंह, भोलाराम यादव, रमेश कश्यप, मूलचंद गुप्ता, मुकेश साहू, सहित अन्य पत्रकारों को सम्मानित किया गया । इस अवसर पर बहुतायत में छत्तीसगढ़ के दूरस्थ अंचलों से आये हुए पत्रकार उपस्थित थे ।

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