बिलासपुर (khabargali) कोरोना काल से जारी फीस का मुद्दा एक बार फिर से हाईकोर्ट पहुंच गया। इस बार निजी स्कूल के संचालनकर्ताओं ने राज्य सरकार द्वारा निर्धारित की गई फीस को हाईकोर्ट में चुनौती देते हुए याचिका दायर करते हुए कहा कि सरकार को फीस निर्धारण का अधिकार नहीं है। हाईकोर्ट ने इस पर सरकार को नोटिस जारी करते हुए चार सप्ताह के भीतर जवाब देने को कहा है। इस मामले की सुनवाई छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय की युगल चीफ जस्टिस पीआर रामचंद्र मेनन और जस्टिस पीपी साहू की खंडपीठ में हुई। निजी स्कूलों के संचालनकर्ताओं ने कोर्ट में याचिका दायर कर छत्तीसगढ़ अशासकीय विद्यालय फीस विनियमन अधिनियम 2020 को चुनौती देते हुए याचिका दायर की है। दायर की गई याचिका में कहा गया है कि सरकार के पास फीस निर्धारण का कोई अधिकार नहीं है, वह सिर्फ प्रवेश और एकेडमिक स्टैंडर्ड पर ध्यान दे सकती है। मामले में हाईकोर्ट ने राज्य शासन को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। छत्तीसगढ़ प्राइवेट स्कूल मैनेजमेंट एसोसिएशन सोसाइटी और बिलासपुर प्राइवेट स्कूल मैनेजमेंट एसोसिएशन सोसाइटी ने अधिवक्ता आशीष श्रीवास्तव के माध्यम से हाईकोर्ट में याचिका दायर की है।याचिका में कोर्ट को बताया है कि अशासकीय विद्यालयों के फीस का निर्धारण करने का अधिकार राज्य शासन के पास नहीं है। फीस निर्धारण का अधिकार सिर्फ विद्यालय प्रबंधन को है। राज्य शासन सिर्फ प्रवेश व ऐकेडमिक स्टैंडर्ड पर ध्यान दे सकती है। इस दौरान सुप्रीम कोर्ट के पीएनए पाई फाउंडेशन इस्लामिक एजुकेशन और पीए नामदार के न्याय दृष्टांत का हवाला देते हुए अशासकीय विद्यालयों के फीस ढांचे के संबंध में तथ्य को रखा। मामले की सुनवाई के बाद चीफ जस्टिस पीआर रामचंद्र मेनन और जस्टिस पीपी साहू की खंडपीठ ने इस मामले में राज्य सरकार को नोटिस जारी करते हुए चार सप्ताह के भीतर जवाब देने को कहा है।
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