प्लास्टिक बहिष्कार @ कवि एवं कहानीकारों की प्रस्तुति "कारीगरी (IPKinks)" एवं “राग ” का आयोजन

कारीगरी, राग

पैसे तो तू कमा लेगा खूब, पर यह बता ख़रीदी इस प्रकृति की कहाँ से करके लाएगा?

 रायपुर ( ख़बरगली) कारीगरी दा ओपन माइक चैप्टर 8 के माध्यम से प्लास्टिक का बहिष्कार करने की मुहिम को मद्देनजर रखते हुए कविता एवं कहानीकारों ने अपनी प्रस्तुति सबके सामने रखी, इस कार्यक्रम का आयोजन "कारीगरी (IPKinks)" एवं “राग फ़ाउंडेशन” के संयुक्त तत्वावधान में “राग म्यूज़िक कैफ़े” में हुआ। कार्यक्रम में छत्तीसगढ़ से 10 प्रतिभागियों ने प्लास्टिक के वजह से हो रहे नुकसान और उसका बहिष्कार करने की ठानी और अपनी कविता और कहानियों के माध्य्म से सबको इस मुहिम से जुड़ने का प्रोत्साहन दिया।

इस अवसर में आर्ट गेराज बाय सागर ने सभी को अपने वर्कशॉप में बनाई हुई लकड़ी की बेहद सुंदर फ़ोटो फर्म गिफ्ट की ।

अन्नू टंडन  ने सभी को कपड़े के ठेले देकर प्लास्टिक को ना इस्तेमाल करने की सलाह दी।

 वहीं सुभाष खेत्रपाल जी ने भी इस मुहिम को अपने घरों से ही शुरू करने को कहा।

एम एम उपाद्याय जी ने अपने लिखे गाने का छत्तीसगढ़ी वर्शन सुनाके सबको इस मुहिम में जोर शोर से दटे रहने का प्रोत्साहन दिया।

वीडियो यूट्यूब चैनल "कारीगरी बाई आई पीके इनक्स" में आर्टिस्ट को मिलती है पहचान

"कारीगरी (IPKinks)" को साहित्यकारों, लेखकों, गीतकार और ऐसे ही अन्य कलाकारों को मंच देने, चाहें वो ऑनलाइन हो या लाइव इवेंट, हेतु शुरू किया गया है। सभी प्रतिभागियों को प्रोमोट करने के लिए उनका एक अलग पोस्टर कारीगरी की टीम बनाती है, जिसमे प्रतिभागियों की फ़ोटो के साथ उनके बारे में बताया जाता है और उनकी जो भी परफॉर्मेंस होती है उसकी वीडियो यूट्यूब के चैनल "कारीगरी बाई आई पीके इनक्स" में डाली जाती है, जिससे सभी उन आर्टिस्ट से रूबरू हो सकें।

सभी प्रतिभगियों ने खूब तालियां बटोरी...

लेखकों की प्रस्तुति की कुछ पंक्तियाँ:

संजय पटेल : मानव के हाथों में ही उसका अपना भला है पहली कोशिश जिसने की उसे प्रतिफल भी मिला है मुश्किल कुछ नही यहां पर क्या मानव हमेशा से प्लास्टिक की गोद मे पला है?

बबली पटेल: मिटटी भी आज कह रही है.... कण कण मेरा बंजर करता जाता। कैसा तुम्हारा विकास से नाता, चर्म है सुंदर कर्म है मैला, बंद करो प्लास्टीक का थैला।

अभिषेक शर्मा: एक भी पोलिथीन मत लाना संग मे और, दोस्तों को भी अपने जागरुक बनाईए. कहिये की दोस्तों को थैला उपयोग करो, शुद्धता की शृंखला बनाते चले जाईये.

सनियरा खान: तू किस कदर बेवकूफ है जो दुशमन की हथेली में अपने घर को रख दिया उसके हरेक कोने में अब तू पायेगा मेरे हथियारों का ज़खीरा....

CA विजय गोयल: झोला, कुल्हड़, दोना, पत्तल सब कुछ तो था अपने पास... फिर क्यूँ प्लास्टिक अपनाया, क्यूँ रोक दी अपनों की साँस?

प्रगति शर्मा: धरती शरीर है और इसकी सास को प्लास्टिक ने है गोटा एक बात समझ लो कि मैं हूं तो तुम हो मैं नहीं तो कुछ भी नहीं. मैं धरती हूं पृथ्वी हूं धरा हूं ।

भावना वैष्णव: गाँधीवाद पर चलने वालों,स्वच्छता का दम भरने वालो.. कुछ खादी का भी ख्याल करो।। लाडले हो जिस भारत माँ के उस पर एक एहसान करो स्वच्छ भविष्य बनाओ अपना प्लास्टिक का बहिष्कार करो।

पंकज शुक्ला:बारिश में भीगने पर दोस्तो के साथ वो डिस्पोजल की चुस्की मज़ा नई देती कुम्हार के घर का दिया जले जिससे ,वो कुल्हड़ की चाय लौटा दो, मेरे वजूद में नही है किसी मूक की हत्या होते देखना पर प्लास्टिक खा कर मरने वाली वो ज़िन्दगी लौटा दो..