चिरमिरी (khabargali) चिरमिरी के चित्ताझोर पोड़ी में पुरी की तर्ज पर जगन्नाथ मंदिर बनाया जा रहा है। मंदिर में प्राण-प्रतिष्ठा के बाद पूजा अर्चना भी शुरू हो गई है। यह क्षेत्रफल में छत्तीसगढ़ का सबसे बड़ा जगन्नाथ मंदिर माना जा रहा है। हालांकि, निर्माण शुरू होने के 43 साल बाद भी 5 फीसदी कार्य शेष है। परिसर में माता विमला और महालक्ष्मी मंदिर पूरा होने के बाद जगन्नाथ मंदिर निर्माण पूरा माना जाएगा। नीलगिरी पहाड़ पर मंदिर परिसर 63 एकड़ में फैला हुआ है।
ऐसे शुरू हुई निर्माण प्रक्रिया
उत्कल समाज के मुताबिक चिरमिरी में 1980 के दौरान कोयला खदानें खुली थीं। खदान में काम करने ओडिशा से बड़ी संख्या में मजदूर आए। एसईसीएल में लोडर (जनरल मजदूर) का कार्य करते थे। सेवानिवृत्ति के बाद वे चिरमिरी में ही बस गए हैं। लेकिन उनके आराध्य देव महाप्रभु जगन्नाथ की पूजा अर्चना के लिए हर महीने जगन्नाथ मंदिर पुरी जाते थे। इसे देखते हुए उस समय पुरी जगन्नाथ मंदिर के समान दूसरा मंदिर बनाने का संकल्प लिया। 1981 में एनसीपीएच कॉलरी में कार्यरत एच.के. मिश्रा ने नीलगिरी पहाड़ पर ध्वज फहराया और 1982 में नीलगिरी पहाड़ पर जगन्नाथ मंदिर बनाने का कार्य प्रारंभ हुआ।
पुरी के ट्रस्ट की अनुमति से लाई थी लकड़ी
जगन्नाथ सेवा संघ के मुताबिक मंदिर निर्माण कराने से ओडिशा के राजा दिव्य सिंहदेव और पुरी के ट्रस्ट की अनुमति से लकड़ी लाई गई थी। फिर पुरी जगन्नाथ मंदिर में जिस नीम की लकड़ी से मूर्ति बनी थी, उसी लकड़ी से चिरमिरी में भगवान जगन्नाथ की प्रतिमा बनाई गई है।
अध्यक्ष श्री श्री जगन्नाथ सेवा संघ चिरमिरी नारायण नाहक पोड़ी जगन्नाथ मंदिर पुरी की तर्ज पर बना है। नीलगिरी पहाड़ी का एरिया करीब 63 एकड़ है। जहां मंदिर निर्माण हुआ है। बहुत जल्द मंदिर तैयार हो जाएगा।
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