शिक्षा विभाग जिम्मेदार: प्रदेश पालक संघ
रायपुर (khabargali) कोरोना महामारी के आक्रामक सेकेंड वेव (second wave) को देखते हुए राज्य सरकार द्वारा स्कूली बच्चों को जनरल प्रमोशन दिए जाने का फैसला लिया गया था। इसके खिलाफ प्राइवेट स्कूल मैनेजमेंट एसोसिएशन द्वारा आज बयान जारी किया गया है कि दो लाख से ज्यादा बच्चे जिनके अभिभावक फीस नहीं दे पाए हैं उन्हें ना तो यह अगली कक्षा में बैठने देंगे और ना ही उन्हें टीसी जारी करेंगे । इस तानाशाही बयान के जारी होते ही पालकों में रोष फैल गया है। प्राइवेट स्कूल संचालकों ने कोरोनाकाल में फीस नहीं देने वाले छात्रों की सूची भी बनाई है।
अमानवीय चेहरा उजागर: प्रीति उपाध्याय
स्कूल फीस के मुद्दे पर बिलासपुर उच्च न्यायालय में याचिका लगाने वाली याचिकाकर्ता प्रीति उपाध्याय ने एक प्रेस रिलीज जारी कर कहा कि एसोसिएशन द्वारा जारी ऐसे बयानों से उनका अमानवीय चेहरा उजागर होता है। कोरोना काल में कई पालकों की नौकरी चली गयी उनके व्यापार व्यवसाय का नुकसान हुआ परंतु कई निजी स्कूल फ़ीस वसूली के लिए एक महाजन की तरह दबाव बनाए रखे। पूरे कोरोना काल में कुछ निजी स्कूल तथा प्राइवेट स्कूल मैनेजमेंट एसोसिएशन एक माफिया के रूप में उभर कर आए हैं। प्राइवेट स्कूल मैनेजमेंट एसोसिएशन को यह पता है कि बिलासपुर उच्च न्यायालय में मेरी एकमात्र याचिका अभी पेंडिंग है जिसमें फीस पूरी देना है अथवा उसमें कटौती किया जाना है को लेकर निर्णय पेंडिंग है। दूसरी तरफ मेरा छत्तीसगढ़ शासन से भी अनुरोध है कि 200000 (दो लाख) बच्चों के भविष्य एवं उनके अभिभावकों की मनोस्तिथि को ध्यान में रखते हुए ऐसे अराजक तत्व पर सख्त से सख्त कार्यवाही करें जिससे यह लोग पेरेंट्स को बच्चों की फीस के नाम पर ब्लैकमेल नहीं कर पाएं।
शिक्षा विभाग की मिलीभगत: प्रदेश पालक संघ
वहीं छत्तीसगढ़ पालक संघ के प्रदेश अध्यक्ष क्रिस्टोफर पाल ने शिक्षा विभाग को कटघरे में लाते हुए कहा कि विभाग द्वारा अब तक टयूशन फीस परिभाषित नहीं करने के कारण यह हालात उत्पन्न हुए हैं। निजी स्कूलों से मिलीभगत के कारण गरीब बच्चों के भविष्य से खिलवाड़ हो रहा है। नियम कानून आदेश के विरूध्द फैसला गौरतलब है कि कोरोना संक्रमण के मद्देनजर सरकार के आदेशाअनुसार शिक्षा विभाग ने प्रदेश के सभी स्कूलों को बंद कर लोकल कक्षा को जनरल प्रमोशन दे दिया है. इसके बावजूद प्राइवेट स्कूल आदेश के खिलाफ फरमान जारी किया है.
क्या कहता है नियम
शिक्षा के अधिकार अधिनियम के तहत किसी भी विद्यार्थी को फीस के कारण पढ़ाई से वंचित करना कानूनी अपराध है। स्कूल शिक्षा विभाग का ही आदेश है कि किसी भी विद्यार्थियों को बगैर टीसी उनके पिछले साल के मार्कशीट के आधार पर प्रवेश देना होगा। सरकार ने स्कूल बंद कर जनरल प्रमोशन दिया है। ऐसे में स्कूलों को आगे की पढ़ाई रोकना अपराध होगा। अब देखना होगा कि शिक्षा विभाग निजी स्कूलों द्वारा नियम-कानून के पालन उल्लंघन करने पर कोई कार्रवाई करती है या नहीं।
- Log in to post comments