Chhattisgarh Adivasi Students Organization

योगेश ठाकुर, अध्यक्ष- छत्तीसगढ आदिवासी छात्र संगठन द्वारा लिखा विचारणीय लेख हम यहां प्रस्तुत कर रहे हैं जो कि लेखक के निजी विचार हैं-

साल 2005 में सालवा जुड़ुम शुरु होते ही छत्तीसगढ़ पुलिस/अर्द्ध सैनिक बलों ने राज्य शासन की सहमति से एक नयी रणनीति अपनायी। खास तौर पर बस्तर में, नक्सलियों के आने जाने के रास्ते में पड़ने वाली आबादी/बस्ती के सौ पचास लोगों को जबरिया उठा कर, थाना/जंगल ले जा कर, एक दो दिन मार पीट कर कुछ व्यक्तियों पर झूठे मुकद्दमे बनाना और बाकी को छोड़ देना। कुछ आदिवासियों को तो पुलिस थाने की साफ़ सफ़ाई के काम के लिए तक बंधुआ मजदूर बना कर रोक लेती थी।  छग पुलिस इन बेकसूर आदिवास