अब इंडिया नहीं 'भारत' के नाम से जाना जाएगा हमारा देश !

Now our country will be known as Bharat and not India, the English name of India will end, a proposal can be passed in the special session of the Parliament to officially call the country Republic of India, know what the Constitution says, President  Of India, Article 1.1, Khabargali

भारत का अंग्रेज़ी नाम होगा खत्म

संसद के विशेष सत्र में देश को आधिकारिक तौर पर 'रिपब्लिक ऑफ भारत' कहे जाने वाले प्रस्ताव को पास कराया जा सकता है

जानिए क्या कहता है संविधान

नई दिल्ली (khabargali) क्या अब अपने देश को इंडिया के नाम की बजाय भारत के नाम से ही प्रचलित किया जाएगा. राजनीतिक गलियारों में कहा यही जा रहा है कि आने वाले संसद के विशेष सत्र में देश को आधिकारिक तौर पर 'रिपब्लिक ऑफ भारत' कहे जाने वाले प्रस्ताव को पास कराया जा सकता है. संसद के विशेष सत्र की तमाम चर्चाओं के बीच देश का नाम बदले जाने की चर्चा जोर पकड़ रही है. विशेष सत्र के दौरान कयास लगाए जा रहे हैं कि एक देश एक चुनाव, महिला आरक्षण बिल, इंडिया की जगह भारत जैसे बिल या प्रस्ताव पेश किए जा सकते हैं.

दो दिनों में इस आशय की इतनी खबरें सामने आईं, जिनसे देश का नाम बदले जाने जैसी भावना के संकेत मिलते हैं. भारत के प्रेसीडेंसी G20 ने नया हैंडल G-20 भारत लॉन्च किया है. राष्ट्रपति भवन की तरफ से 9 सितंबर के G20 रात्रिभोज के लिए भेजे निमंत्रण पत्र में प्रेसिडेंट ऑफ इंडिया की जगह प्रेसिडेंट ऑफ भारत लिखा गया था. इस पर कांग्रेस ने मंगलवार को सरकार पर पलटवार करते हुए कहा, अब इस "राज्यों के संघ" पर भी हमला हो रहा है. CNN-News18 की रिपोर्ट के मुताबिक, नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार, कथित तौर पर "इंडिया" शब्द को हटाने की योजना बना रही है.

इंडिया की जगह भारत शब्द का हो इस्तेमाल- भागवत

 राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के सरसंघ चालक भागवत ने एक कार्यक्रम के दौरान देशवासियों से इंडिया की जगह भारत शब्द इस्तेमाल करने की बात कही थी. इस पीछे भागवत ने तर्क दिया कि इस देश का नाम सदियों से भारत रहा है इस लिए हमें देश को भारत कहना चाहिए इंडिया नहीं.

वहीं बीजेपी सांसद हरनाम सिंह ने कहा, 'पूरा देश मांग कर रहा है कि हमें इंडिया की जगह भारत शब्द का इस्तेमाल करना चाहिए. अंग्रेजों ने इंडिया शब्द को एक गाली के तौर पर हमारे लिए इस्तेमाल किया, जबकि भारत शब्द हमारी संस्कृति का प्रतीक है. मैं चाहता हूं कि संविधान में बदलाव होना चाहिए और भारत शब्द को इसमें जोड़ना चाहिए.'

कॉंग्रेस का विरोध

कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने एक्स पर लिखा, "तो ये खबर वाकई सच है. राष्ट्रपति भवन ने 9 सितंबर को जी20 रात्रिभोज के लिए सामान्य 'प्रेसिडेंट ऑफ इंडिया' की बजाय 'प्रेसिडेंट ऑफ भारत' के नाम पर निमंत्रण भेजा है. अब संविधान का अनुच्छेद 1 पढ़ा जा सकेगा कि 'भारत, जो इंडिया था, राज्यों का एक संघ होगा'. अब इस 'राज्यों के संघ' पर भी हमला हो रहा है.''

संविधान विशेषज्ञों का यह मानना है

 लेकिन संविधान विशेषज्ञों का मानना है कि देश के संविधान में 'इंडिया, दैट इज भारत' का पहले से ही जिक्र है. इसलिए इंडिया और भारत यह दोनों नाम संविधान में दर्ज हैं और एक दूसरे के पर्यायवाची हैं. संविधान विशेषज्ञों के मुताबिक फिलहाल संविधान के बेसिक स्ट्रक्चर में बदलाव तकरीबन नामुमकिन जैसा ही है. वहीं देश के सियासी गलियारों में इस बात की चर्चा जोर पकड़ने लगी है कि इंडिया को आधिकारिक तौर पर भारत पुकारे जाने से क्या भारतीय जनता पार्टी को कोई बड़ा सियासी लाभ मिल सकता है या नहीं.

संविधान में क्या है देश का नाम?

 देश के संविधान के अनुच्छेद-1 में ही देश के नाम का जिक्र है. इसमें कहा गया है कि "इंडिया, जो कि भारत है, राज्यों का एक संघ होगा" (India, that is Bharat, shall be a Union of States). संविधान में ये इकलौता प्रावधान है जिसमें बताया गया है कि देश को आधिकारिक तौर पर क्या बुलाया जाएगा. इसी के आधार पर हिंदी में देश को 'भारत गणराज्य' और अंग्रेजी में 'Republic of India' लिखा जाता है.

संविधान में कैसे रखा गया नाम?

18 सितंबर 1949 को संविधान सभा की बैठक के दौरान नए बने राष्ट्र के नामकरण पर सभा के सदस्यों ने चर्चा की थी. इस दौरान सभा के सदस्यों की तरफ से विभिन्न नामों के सुझाव आए- भारत, हिंदुस्तान, हिंद, भारतभूमिक, भारतवर्ष. अंत में संविधान सभा ने फैसला लिया जिसमें 'अनुच्छेद-1. संघ का नाम और क्षेत्र' शीर्षक दिया गया. अनुच्छेद 1.1 में लिखा गया- इंडिया, जो कि भारत है राज्यों का संघ होगा. अनुच्छेद 1.2 में कहा गया- राज्य और उनके क्षेत्र पहली अनुसूची में निर्दिष्ट अनुसार होंगे.

अनुच्छेद 1.1 पारित होने को लेकर हुआ था विरोध

 संविधान सभा के कुछ सदस्यों ने वर्तमान नाम में शामिल विराम चिह्नों पर आपत्ति जताई थी. एचवी कामथ ने संविधान सभा में नाम को लेकर एक संशोधन पेश करते हुए कहा कि अनुच्छेद 1.1 में पढ़ा जाना चाहिए- भारत या, अंग्रेजी भाषा में इंडिया, राज्यों का एक संघ होगा. इसके साथ ही नाम को लेकर कुछ अन्य आपत्तियां भी थीं, लेकिन 26 नवम्बर 1949 को संविधान के साथ ही अनुच्छेद 1.1 अपने मूल रूप में पारित हो गया.