बापू के साबरमती आश्रम को तोड़ने के विरोध में गहलोत बोले- ऐसा करना राष्ट्रपिता का अपमान

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सरकार 1200 करोड़ रुपए में आश्रम में वर्ल्ड क्लास म्यूज़ियम बनाना चाहती है

जयपुर (khabargali) राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने सोमवार को कहा कि गुजरात सरकार का साबरमती आश्रम को तोड़कर संग्रहालय बनाने का निर्णय चौंकाने वाला और अनुचित है। मुख्यमंत्री ने कहा कि लोग इस पवित्र स्थल पर यह देखने के लिये आते है कि कैसे महात्मा गांधी ने सादगी से जीवन व्यतीत करते हुए समाज के हर वर्ग को एक साथ लेकर एक बड़ा स्वतंत्रता आंदोलन ऐसे समय में चलाया जब समाज बेहद विभाजित था। गहलोत ने कहा कि गाँधी जी ने 1917 से 1930 तक अपने बहुमूल्य जीवन के 13 वर्ष आश्रम में बिताये थे। दरअसल, गुजरात सरकार ने 1200 करोड़ रुपए के गांधी आश्रम स्मारक और विकास परियोजना के तहत साबरमती आश्रम के पुनर्विकास का प्रस्ताव रखा है। सरकार आश्रम में वर्ल्ड क्लास म्यूज़ियम बनाना चाहती है। इस घोषणा के बाद से देश- विदेशों से कई शख्शियतों ने इस परियोजना का विरोध किया है।

गहलोत ने कहा, 'लोग यह देखने के लिए पवित्र स्थल पर जाते हैं कि कैसे महात्मा गांधी ने एक सादा जीवन जिया और फिर भी समाज के हर वर्ग को साथ लेकर एक विशाल स्वतंत्रता आंदोलन चलाया।' गहलोत ने ट्विटर पर साझा एक बयान में कहा कि गुजरात सरकार का साबरमती आश्रम को गिराकर संग्रहालय बनाने का निर्णय चौंकाने वाला और अनुचित है। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से परियोजना पर पुनर्विचार करने का आग्रह भी किया।

गहलोत ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी को मामले में हस्तक्षेप करते हुए फैसले पर पुनर्विचार करना चाहिए और ऐतिहासिक आश्रम की रक्षा करनी चाहिए। आश्रम सद्भाव और बंधुत्व के विचारों के लिए जाना जाता है और देश-विदेश के लोग वहां कोई विश्व स्तरीय इमारत नहीं देखना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि पर्यटक इस जगह की सादगी और आदर्शों की प्रशंसा करते हैं, इसलिए इसे आश्रम कहा जाता है। यहां संग्रहालय की कोई जरूरत नहीं है। मुख्यमंत्री ने आगे कहा कि आश्रम की गरिमा को नष्ट करना राष्ट्रपिता का अपमान होगा। ऐसा लगता है कि गांधी जी से जुड़ी हर चीज को बदलने के लिए राजनीतिक मकसद से यह फैसला लिया गया है। देश की समृद्ध विरासत, संस्कृति और परंपराओं को नष्ट करने की कोशिश करने वालों को आने वाली पीढ़ियां माफ नहीं करेंगी।