मांस नोचा तो डबल मुआवजा
3 सालों में भारत में कुत्तों के काटने के 1.6 करोड़ मामले दर्ज हुए
चंडीगढ़ (khabargali) पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट (Punjab and Haryana high court) ने आवारा जानवरों से जुड़े मामलों पर एक अहम निर्देश दिया है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, अब कुत्ते के काटने पर मुआवजे (dog bite compensation) से भरपाई की जाएगी. हाई कोर्ट के निर्देश के अनुसार, मुख्य रूप से मुआवजा देने की जिम्मेवारी राज्य की होगी. इसके अलावा, कोर्ट ने चंडीगढ़ में इस तरह के मुआवजे को निर्धारित करने के लिए डिप्टी कमिशनरों की अध्यक्षता में समितियां गठित करने को कहा है. इन समितियों को आवेदन प्राप्त होने के 4 महीने के अंदर मुआवजे का पैसा देना होगा.
हाई कोर्ट ने 193 याचिकाओं का निपटारा करते हुए कहा कि राज्य को डिफॉल्ट एजेंसियों, उपकरणों या किसी निजी व्यक्ति से मुआवजे की वसूली करने का अधिकार होगा. मामले की सुनवाई करते हुए जज एस भारद्वाज ने पशुओं के कारण होने वाली सड़क दुर्घटनाओं और डॉग बाइट्स के बढ़ रहे मामलो पर चिंता जताई है.
उन्होंने कहा, "सड़कों पर आवारा जानवरों के कारण होने वाली मौतों की संख्या बढ़ रही है. डॉग बाइट्स के भी मामले बढ़ गए हैं. अब यह इंसानों के जीवन को प्रभावित करने लगा है. इस तरह के केस इतने बढ़ गए हैं कि अब ये मामले कोर्ट तक आने लगे हैं."
कितना मुआवजा देना होगा?
कोर्ट के निर्देश के मुताबिक, किसी कुत्ते के काटने पर हरेक दांत के निशान पर कम से कम 10 हजार रुपये देने होंगे. अगर कुत्ते ने काटने के दौरान मांस नोच लिया तो प्रति 0.2 सेंटीमीटर के घाव के लिए कम से कम 20 हजार रुपये देने होंगे.
मुआवजा चार महीने में देना होगा
अदालत ने पंजाब, हरियाणा और चंडीगढ़ प्रशासन को आवारा मवेशियों या जानवरों (गाय, सांड़, बैल, गधे, कुत्ते, नीलगाय, भैंस आदि) के कारण होने वाली किसी घटना के संबंध में दावे के लिए भुगतान की जाने वाली मुआवजा राशि निर्धारित करने के लिए संबंधित जिलों के उपायुक्तों की अध्यक्षता में समितियों का गठन करने के निर्देश भी जारी किए. अदालत ने कहा, ‘आवश्यक दस्तावेजों के साथ दावा दायर किए जाने के चार महीने की अवधि के भीतर समितियों द्वारा मुआवजा तय किया जाएगा.’ आदेश में कहा गया है, ‘राज्य प्राथमिक रूप से मुआवजे का भुगतान करने के लिए जिम्मेदार होगा .
आंकड़े डराने वाले
हाल के दिनों में कुत्तों के हमले से जुड़ी कई खबरें आईं. जानवरों का काटना दुनिया भर में एक प्रमुख सार्वजनिक स्वास्थ्य समस्या है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक हर साल 55,000 लोग रेबीज से मरते हैं, जिनमें से 36 फीसदी भारत में होते हैं. संसद में पेश की गई एक रिपोर्ट के मुताबिक 2019 से 2022 के बीच देश में आवारा कुत्तों के काटने के करीब 1.6 करोड़ मामले दर्ज किए गए यानी प्रतिदिन औसतन 10,000 मामले. हालांकि, असल संख्या इससे कहीं अधिक हो सकती है। 2022 में भारत में कुत्तों के काटने से 307 लोगों की मौत हुई, जिनमें सबसे ज्यादा 48 मामले दिल्ली में दर्ज किए गए थे.
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