खुशखबरी: डीआरडीओ के लैब से बनी दवा " 2-DG " संजीवनी साबित होगी

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यह एंटी कोरोना दवा 11-12 मई से होगी उपलब्ध

नई दिल्ली ( khabargali) ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DCGI) ने पूरी तरह भारत में बनी रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) की एक ऐसी दवाई के आपातकालीन उपयोग को अनुमति दे दी है जो कोरोना वायरस से लड़ने में संजीवनी की भूमिका निभाएगी. इस दवा का नाम 2- डिऑक्सी-डी-ग्लूकोज (2-DG) नाम दिया गया है। ये दवा डीआरडीओ के इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूक्लियर मेडिसिन एंड अलायड साइंसेस (INMAS) और हैदराबाद सेंटर फॉर सेल्युलर एंड मॉलिक्युलर बायोलॉजी (CCMB) ने साथ मिलकर बनाया है. जिसे बीते शनिवार ने अनुमति दे दी है.केंद्रीय रक्षा मंत्रालय के मुताबिक, यह दवा पाउडर के रूप में आती है और इसे पानी में घोलकर आसानी से लिया जा सकता है.

11 या 12 मई से उपलब्ध होगी

डीआरडीओ के चेयरमैन जी सतीश रेड्डी ने कहा है कि 11 या 12 मई से ये एंटी कोविड दवा मार्केट में उपलब्ध होना शुरू हो जाएगी. उन्होंने बताया है कि शुरुआत में दवा की कम से कम 10 हजार डोज मार्केट में आ सकती हैं. इस दवा के सेवन से ऑक्सीजन पर निर्भर कोरोना मरीज 2-3 दिन में ऑक्सीजन सपोर्ट को छोड़ देंगे. वह जल्दी ठीक होंगे. जल्द ही यह दवा अस्पतालों में उपलब्ध होगी." हालांकि उन्होंने ये भी कहा कि मरीज इस दवा को डॉक्टर की सलाह के आधार पर ही लें. क्लीनिकल टेस्ट से पता चला है कि यह दवा अस्पताल में भर्ती मरीजों की तेजी से रिकवरी में मदद करता है और बाहर से ऑक्सीजन देने पर निर्भरता को कम करता है. अधिक मात्रा में कोविड मरीजों के 2-डीजी के साथ इलाज से उनमें आरटी-पीसीआर नकारात्मक रूपांतरण देखा गया है. यह दवा कोविड पीड़ित लोगों के लिए काफी फायदेमंद होगी.

कब-कब हुआ 2-डीजी का ट्रायल

आपको बता दें, अप्रैल 2020 में महामारी की पहली लहर के दौरान आईएनएमएएस-डीआरडीओ के वैज्ञानिकों ने सेंटर फॉर सेलुलर एंड मॉलिक्यूलर बायोलॉजी (सीसीएमबी), हैदराबाद की मदद से प्रयोगशाला परीक्षण किए. उन्होंने पाया कि यह दवा सार्स-सीओवी-2 वायरस के खिलाफ प्रभावी ढंग से काम करती है और वायरल बढ़ने को रोकती है. मई से अक्टूबर 2020 के दौरान किए गए दूसरे चरण के परीक्षणों में दवा मरीजों में सुरक्षित पाई गई और उनकी रिकवरी में महत्वपूर्ण सुधार दिखाया गया. दूसरे चरण का संचालन छह अस्पतालों में किया गया और देशभर के 11 अस्पतालों में फेज 2 बी क्लीनिकल ट्रायल किया गया. फेज-2 में 110 मरीजों का ट्रायल किया गया.मरीज पूरक ऑक्सीजन निर्भरता (42 फीसदी बनाम 31 फीसदी) से मुक्त हो गए जो ऑक्सीजन थेरेपी/निर्भरता से शीघ्र राहत का संकेत है. इसी तरह का रुझान 65 साल से अधिक उम्र के मरीजों में देखा गया.

कहां- कहां किया गया ट्रायल

सफल परिणामों के आधार पर डीसीजीआई ने नवंबर 2020 में चरण-3 क्लीनिकल ट्रायल की अनुमति दी. दिल्ली, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, गुजरात, राजस्थान, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटक और तमिलनाडु के 27 कोविड अस्पतालों में दिसंबर 2020 से मार्च 2021 के बीच 220 मरीजों पर फेज-3 क्लीनिकल ट्रायल किया गया.

2-DG कैसे काम करती है?

आधिकारिक जानकारी के अनुसार ''क्लिनिकल ट्रायल्स से पता चलता है कि ये दवा मरीजों में इस बीमारी से रिकवर होने की गति को तेज करती है और ऑक्सीजन पर निर्भरता को कम करती है. जिन मरीजों को 2-DG दवा दी गई उनमें से अधिकतर का RT-PCR टेस्ट जल्दी नेगेटिव आया है. ड्रग कोरोना वायरस से पीड़ित मरीजों के लिए काफी सहायक होगी.

कैसे ली जाएगी 2-DG

भारत सरकार द्वारा जारी स्टेटमेंट के अनुसार2-DG दवा एक पाउच में पाउडर की फॉर्म में आती है. जिसे पानी में घोलकर आसानी से पिया जा सकता है. ये वायरस से प्रभावित सेल्स में जाकर जम जाती है और वायरस सिंथेसिस व एनर्जी प्रोडक्शन को रोककर वायरस को बढ़ने से रोकती है.