
आरोपी छात्र निलंबित, जांच समिति गठित; साइबर अपराध का बढ़ता खतरा एक बार फिर उजागर
रायपुर (अजय सक्सेना/खबरगली)
नवा रायपुर स्थित भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान (IIIT) से एक सनसनीखेज मामला सामने आया है, जहां एक छात्र ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) का घिनौना दुरुपयोग करते हुए 36 छात्राओं की नकली अश्लील तस्वीरें और वीडियो बनाए। इस घटना के खुलासे के बाद से न केवल संस्थान, बल्कि पूरे शैक्षिक जगत में हड़कंप मच गया है। बताते चलें कि एआई क़े खतरनाक दुरुपयोग की यह पहली खबर नहीं है आप गूगल में सर्च करें तो पाएंगे की ऐसी घटनाओं से जुड़ी खबरों का अम्बार लगा है जो देश भर में घट रही है।
घटना का विवरण
इलेक्ट्रॉनिक्स एंड कम्युनिकेशन इंजीनियरिंग (ECE) विभाग के तीसरे वर्ष के छात्र ने अपनी सहपाठियों की तस्वीरों का इस्तेमाल कर AI टूल के जरिए आपत्तिजनक सामग्री तैयार की। छात्राओं को जब इस घृणित करतूत की भनक लगी, तो उन्होंने तुरंत संस्थान प्रशासन से शिकायत की। शिकायत मिलते ही प्रशासन ने त्वरित कार्रवाई करते हुए आरोपी के कमरे की तलाशी ली और उसके मोबाइल, लैपटॉप व पेन ड्राइव को जब्त कर लिया।
जांच में हुआ खुलासा
प्रारंभिक जांच में छात्राओं की शिकायत सही पाई गई। आरोपी के गैजेट्स की पड़ताल में हजारों की संख्या में ऐसी सामग्री बरामद हुई। इसके बाद संस्थान ने आरोपी छात्र को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया और उसे अपने बिलासपुर स्थित परिजनों के साथ संस्थान छोड़ने का निर्देश दिया।
पीड़ित छात्राओं की चिंता
यह घटना पीड़ित छात्राओं के बीच गहरी चिंता का विषय बन गई है। उन्हें इस बात का डर सता रहा है कि आरोपी ने ये आपत्तिजनक कंटेंट कहीं और साझा तो नहीं किया या सोशल मीडिया पर अपलोड तो नहीं कर दिया। उनकी निजता और सुरक्षा पर मंडरा रहे इस खतरे ने उनके मानसिक स्वास्थ्य पर भी गहरा असर डाला है।
संस्थान की कार्रवाई
संस्थान के निदेशक डॉ. ओमप्रकाश व्यास ने इस मामले को बेहद गंभीर और संवेदनशील बताया है। उन्होंने घटना की गहन जांच के लिए एक उच्च स्तरीय समिति का गठन किया है, जो न केवल तकनीकी पहलुओं की जांच करेगी, बल्कि मामले से जुड़े अन्य आयामों पर भी गौर करेगी। संस्थान ने इस मामले की जानकारी पुलिस को भी दी है और पुलिस ने भी जाँच शुरू कर दी है।
साइबर सुरक्षा पर गंभीर सवाल
यह घटना एआई के बढ़ते दुरुपयोग और साइबर अपराध के नए आयामों को उजागर करती है। डिजिटल युग में जहां एआई को नवाचार का साधन माना जाता है, वहीं इसका इस तरह से आपराधिक इस्तेमाल समाज के लिए एक बड़ा खतरा है। साइबर सुरक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि इस तरह के मामलों से निपटने के लिए कठोर कानूनों और जागरूकता की सख्त जरूरत है, खासकर शिक्षण संस्थानों में। यह घटना दिखाती है कि कैसे तकनीकी प्रगति का इस्तेमाल व्यक्तिगत हानि और निजता के उल्लंघन के लिए किया जा रहा है, जो समाज के लिए एक नई चुनौती पेश करता है।
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