उदयपुर क्षेत्र में दौरे पर आए कलेक्टर से ग्रामीणों ने परसा खदान शुरू कराने की रखी मांग

Villagers demanded to start Parsa mine from the collector who came on tour in Udaipur area, Collector Vilas Bhoskar, Chhattisgarh, Khabargali

कहा परियोजना को भूमि दे चुके हैं और अब नौकरी न मिलने से रोजी रोटी के साथ भविष्य अंधकार में

उदयपुर (khabargali) सरगुजा जिले के उदयपुर विकासखंड में दौरे पर आए कलेक्टर विलास भोसकर से साल्ही मोड़ पर ग्रामीणों ने मुलाकात कर परसा खदान शुरू कराने की मांग की है। गुरूवार को कलेक्टर विलास भोसकर अपने सतत दौरे में ग्राम हरिहरपुर के धरना स्थल सहित घाटबर्रा, चकेरी, सुस्कम इत्यादि गांव का दौरा किया। दौरे से लौटने के दौरान वे राजस्थान राज्य विद्युत उत्पादन निगम लिमिटेड (आरआरवीयूएनएल) को आवंटित पीसीबी में आने वाले छः गांव के ग्रामीणों से भी मुलाकात की। पीसीबी के करीब 150 की संख्या में पहुंचे प्राभावित ग्रामीणों ने अंबिकापुर बिलासपुर राष्ट्रीय राजमार्ग में ग्राम साल्ही मोड़ के पास कलेक्टर से मुलाकात के दौरान इसे जल्द शुरू कराने की मांग रखी।

Villagers demanded to start Parsa mine from the collector who came on tour in Udaipur area, Collector Vilas Bhoskar, Chhattisgarh, Khabargali

ग्रामीणों ने श्री भोसकर को बताया कि वे पांच साल पूर्व ही पीसीबी के लिए अपनी जमीन दे दी थी। जिसका उन्होंने मुआवजा भी उठा लिया है किंतु इसके एवज में मिलने वाली नौकरी से वे सभी अब तक अछूते है। जबकि उन्होंने इसके लिए कई बार तत्कालीन मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और वर्तमान में नेता प्रतिपक्ष को अपनी समस्याओं से अवगत कराया है किन्तु उन्हें अबतक कोई समाधान नहीं प्राप्त हुआ है। वहीं इसी मुद्दे के साथ वे राहुल गांधी को भी परियोजना शुरू कराने के लिए प्रार्थना पत्र देकर अपनी मांगों और समस्याओं से अवगत करवाया।

ग्रामीणों ने श्री भोसकर से अपनी बात रखते हुए कहा कि "आरआरवीयूएनएल को वर्ष 2012 में तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के कार्यकाल में तीन कोयला खदान परसा ईस्ट केते बासेन, परसा और केते एक्सटेंशन का आवंटन किया गया था। जिसमें से पहली खदान का कार्य पिछले 10 वर्षों से चल रहा है। जिससे प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से 10000 लोगों को रोजगार मिला है। जबकि दूसरी खदान परसा के लिए जमीन अधिग्रहण का कार्य पांच वर्ष पूर्व शुरू हुआ। जिसमें ग्राम साल्हि, जनार्दनपुर, फत्तेपुर, हरिहरपुर, तारा और घाटबर्रा के कुल 722 लोगों ने अपनी जमीन देकर मुआवजा प्राप्त कर लिया है। इसमें से 478 लोगों ने रोजगार के एवज में एकमुश्त मुआवजा ले लिया है जबकि 188 लोगों ने रोजगार का विकल्प चुना था और उनमें से अब तक 10 लोगों को नौकरी मिल चूकी है। शेष 178 लोग नौकरी पाने की प्रतीक्षा में हैं। किन्तु कुछ बाहरी गैर सरकारी संगठन द्वारा इस परियोजना के विरोध में कई तरह की भ्रांतियां फैलाने के कारण प्रभावितों इलाकों में भ्रम की स्थिति पैदा कर दी है। जिसके दबाव में आकर तत्कालिक सरकार द्वारा परसा कोल परियोजना को रद्द करने का मन बना लिया है।

इस स्थिति में एक बार फिर हमारे सामने भुखमरी की स्थिति पैदा होने लगी है। इसका कारण यह है की हमारी जमीन बिकने के बाद भी अब तक नौकरी नहीं मिल पाई है जिसका मुख्य कारण परसा कोल परियोजना का ऑपरेशन अब तक शुरू न हो पाना। इस वजह से गुजर बसर करने के लिए अब ना तो कृषि कर पा रहे हैं और न ही अब तक नौकरी मिल पाई है। अब हमें अपने परिवार के गुजर बसर के लिए मुआवजे की राशि खर्च करनी पड़ रही है। जो की एक तरह से हमारे परिवार के लिए भविष्य निधि की तरह है।" कलेक्टर विलास भोसकर ने ग्रामीणों की बातें बड़े ध्यान से सुनी और इसके जल्द से जल्द निराकरण का भरोसा दिलाया।

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