आज की अनिवार्य ज़रूरत: दंत स्वास्थ्य पर समग्र ध्यान

Today's must-have: Holistic focus on dental health, teeth and gum health, Cosmetic Dental Surgeon Dr Charu Sheela Baghel, Bilaspur, Chhattisgarh, KhabarGali

कॉस्मेटिक डेंटल सर्जन डॉ चारु शीला बघेल बता रहीं हैँ कि किन बातों का रखें ध्यान

खबरगली (हेल्थ डेस्क) आधुनिक जीवनशैली में जहाँ हम फिटनेस और पोषण पर बहुत ध्यान देते हैं, वहीं अक्सर एक महत्वपूर्ण पहलू अनदेखी हो जाती है - और वह है हमारे दाँतों और मसूड़ों का स्वास्थ्य। दाँत केवल भोजन चबाने का एक जरिया या मुस्कान की सुंदरता बढ़ाने का साधन मात्र नहीं हैं; वे हमारे सम्पूर्ण स्वास्थ्य का प्रवेश द्वार हैं। मुख स्वास्थ्य और समग्र स्वास्थ्य का गहरा संबंध वैज्ञानिक रिसर्च ने प्रूफ किया है कि अस्वस्थ मुख गुहा (Oral Cavity) पूरे शरीर के लिए समस्याएँ खड़ी कर सकती है। मसूड़ों की बीमारी (पीरियोडोंटाइटिस) में मौजूद हानिकारक बैक्टीरिया ब्लड फ्लो के माध्यम से शरीर के अन्य भागों में पहुँच सकते हैं। इसके गंभीर परिणाम हो सकते हैं:

✅ हृदय रोग

ये बैक्टीरिया धमनियों में सूजन पैदा कर सकते हैं, जिससे धमनियों का सख्त होना (एथेरोस्क्लेरोसिस), हृदयाघात और स्ट्रोक का खतरा बढ़ जाता है।

✅मधुमेह (डायबिटीज)

मसूड़ों की बीमारी और मधुमेह का दो-तरफा रिश्ता है। डायबिटीज मसूड़ों की बीमारी का खतरा बढ़ाती है और मसूड़ों की गंभीर सूजन ब्लड शुगर नियंत्रित करना मुश्किल बना सकती है।

✅श्वसन संक्रमण

मुंह के बैक्टीरिया सांस के जरिए फेफड़ों में जाकर निमोनिया और सीओपीडी जैसी बीमारियों को बढ़ावा दे सकते हैं।

✅ गर्भावस्था में मुश्किलें

मसूड़ों की बीमारी समय से पहले प्रसव और कम वजन के बच्चे के जन्म का एक जोखिम कारक मानी जाती है। इसलिए, दाँतों की देखभाल सिर्फ एक सौंदर्य प्रक्रिया नहीं, बल्कि एक आवश्यक स्वास्थ्य उपाय है। दाँतों और मसूड़ों को स्वस्थ रखने के लिए व्यावहारिक दैनिक दिनचर्या कैसा होना चाहिए, स्वस्थ दाँतों के लिए केवल ब्रश करना ही काफी नहीं है। एक समग्र दिनचर्या अपनानी जरूरी है।

✔️1. सही तरीके से और नियमित ब्रश करें

समय: दिन में दो बार - सुबह नाश्ते के बाद और रात को सोने से ठीक पहले। रात का ब्रश सबसे महत्वपूर्ण है क्योंकि सोते समय लार का प्रवाह कम हो जाता है, जिससे बैक्टीरिया और कीटाणुओं के पनपने का खतरा बढ़ जाता है। तकनीक: कोमल, गोलाकार गति में ब्रश करें। जोर लगाकर ब्रश करने से दाँतों का इनेमल घिस सकता है और मसूड़े छिल सकते हैं। टूथब्रश: नरम ब्रिसल्स वाला टूथब्रश इस्तेमाल करें और उसे हर 3 महीने में या ब्रिसल्स के फैलते ही बदल दें।

✔️2. फ्लॉसिंग को अनिवार्य बनाएँ

ब्रश करने से केवल दाँतों की 60% सतह ही साफ हो पाती है। बाकी 40% सतह (दाँतों के बीच का स्थान) सिर्फ फ्लॉस से ही साफ हो सकती है। रोजाना फ्लॉस करने से दाँतों के बीच फंसे भोजन और प्लाक (कीटाणुओं की परत) निकल जाता है, जिससे cavities और मसूड़ों की बीमारी का खतरा कम होता है।

✔️3. जीभ की सफाई जरूर करें

जीभ बैक्टीरिया और dead cells का अड्डा होती है, जो मुंह की दुर्गंध (बदबूदार सांस) का प्रमुख कारण है। टंग क्लीनर की मदद से रोजाना जीभ को हल्के से साफ करें।

✔️4. खान-पान में सुधार: · चीनी कम करें

चीनी, चिपचिपी मिठाइयाँ, सोडा और प्रोसेस्ड फूड दाँतों के दुश्मन हैं। ये बैक्टीरिया को एसिड बनाने के लिए ईंधन देते हैं, जो दाँतों के इनेमल को नुकसान पहुँचाता है।

· पोषक आहार लें: कैल्शियम (दूध, दही, पनीर), फॉस्फोरस (अंडे, मछली) और विटामिन्स (हरी पत्तेदार सब्जियाँ, फल) से भरपूर आहार दाँतों और मसूड़ों को मजबूत बनाते हैं। · पानी खूब पिएँ: भोजन के बाद पानी पीने से मुंह में फंसे food particles धुल जाते हैं और मुंह का pH स्तर balanced रहता है।

✔️5. धूम्रपान और तंबाकू से तुरंत छुटकारा पाएँ

तंबाकू, गुटखा, पान मसाला आदि न केवल दाँतों को पीला और दागदार बनाते हैं, बल्कि मसूड़ों को कमजोर करते हैं, घाव भरने की प्रक्रिया धीमी करते हैं और माउथ कैंसर का सबसे बड़ा और प्रत्यक्ष कारण हैं।

☑️नियमित डेंटल चेक-अप

सबसे बुद्धिमानी की बात सबसे बड़ी भूल यह सोचना है कि "दाँत में दर्द नहीं है, तो डॉक्टर के पास जाने की क्या जरूरत है?" दंत समस्याएँ अक्सर दर्द रहित शुरुआत करती हैं।

✅हर 6 महीने में दंत चिकित्सक से मिलें

डॉक्टर एक विशेषज्ञ की नजर से आपके दाँतों और मसूड़ों की जाँच कर सकते हैं और छोटी-छोटी समस्याओं (जैसे शुरुआती कैविटी, प्लाक का जमाव, मसूड़ों में हल्की सूजन) का पता लगा सकते हैं, जिन पर आपकी नजर नहीं जा पाती।

✅ स्केलिंग (Professional Cleaning)

दाँतों पर जमा हुआ पथरी (Tartar) सिर्फ ब्रश से नहीं जाती। इसके लिए हर 6 महीने से 1 साल में स्केलिंग कराना जरूरी है। यह मसूड़ों की बीमारी को रोकने की सबसे प्रभावी विधि है।

"इलाज महँगा नहीं है, देरी महँगी है"

एक छोटी सी कैविटी का इलाज (फिलिंग) साधारण है। लेकिन अगर उसे नजरअंदाज किया जाए, तो वही कैविटी दाँत की नस (पल्प) तक पहुँच सकती है, जिसके इलाज (Root Canal Treatment) की लागत और समय दोनों ज्यादा होते हैं। और अगर दाँत बचने लायक भी न रहें, तो उसकी जगह implant या bridge लगवाना एक लंबी और बहुत महँगी प्रक्रिया है। निवेश करें अपनी मुस्कान और सेहत में। एक छोटा सा कदम आज भविष्य में बचा सकता है आपको तकलीफ़ और खर्चे से।

डॉ चारु शीला बघेल, कॉस्मेटिक डेंटल सर्जन

संपर्क :+91 89629 29850