अंतरिक्ष में नया इतिहास लिखेगा भारत, शुभांशु शुक्ला 29 मई को स्पेस स्टेशन के लिए भरेंगे उड़ान

India will write a new history in space, Shubhanshu Shukla will fly to the space station on May 29, for the first time in 40 years there will be an Indian astronaut, Axiom-4 mission, Khabargali

40 साल में पहली बार इंडियन एस्ट्रोनॉट होंगे

नई दिल्ली (खबरगली) अगले महीने के अंत में लॉन्च होने वाले एक्सिओम-4 मिशन में भारतीय वायुसेना के ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन जाने वाले पहले भारतीय बनेंगे। यह नासा और इसरो की संयुक्त पहल है, जिसमें भारत, पोलैंड और हंगरी मिलकर हिस्सा ले रहे हैं शुभांशु शुक्ला इस मिशन में पायलट की भूमिका निभाएंगे इस यात्रा के दौरान अमेरिका, हंगरी और पोलैंड के अंतरिक्ष यात्री भी शामिल होंगे। वे दो हफ्ते तक आईएसएस पर रुकेंगे। राकेश शर्मा के बाद शुभांशु शुक्ला अंतरिक्ष में जाने वाले दूसरे भारतीय बनेंगे। राकेश शर्मा 1984 में सोवियत संघ के इंटरकोस्मोस कार्यक्रम के तहत सोयुज टी-11 यान से अंतरिक्ष गए थे।

क्या है एक्सिओम मिशन 4?

यह मिशन भारत के लिए ऐतिहासिक होगा, साथ ही पोलैंड और हंगरी के लिए भी। ये दोनों देश 40 साल बाद पहली बार मानव अंतरिक्ष उड़ान में हिस्सा लेंगे। शुभांशु 29 मई को रात 10:33 बजे IST पर स्पेसएक्स ड्रैगन अंतरिक्षयान में सवार होकर उड़ान भरेंगे। वह अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पर 14 दिन के प्रवास के दौरान 7 प्रयोग करेंगे, जिसमें फसल उगाना और अंतरिक्ष में सूक्ष्मजीव (वॉटर बीयर्स) के बारे में अध्ययन करना भी शामिल है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो), नासा और यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी (ईएसए) के सहयोग से मई के अंत में निर्धारित एक्सिओम मिशन-4 (एक्स-4) के दौरान सात प्रयोग करेगा। नासा और वॉयेजर के साथ साझेदारी में इसरो अंतरिक्ष में सूक्ष्म जीव ‘टार्डिग्रेड्स’ के बारे में अध्ययन कर रहा है। टार्डिग्रेड्स सूक्ष्म जीव होते हैं और यह चरम स्थितियों में जीवित रहने की क्षमता के लिए जाने जाते हैं। टार्डिग्रेड्स लगभग 60 करोड़ वर्ष से पृथ्वी पर मौजूद हैं और निकट भविष्य में भी वे दुनिया की जलवायु में होने वाले किसी भी बड़े बदलाव को झेलने में सक्षम होंगे। इस प्रयोग के दौरान अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पर टार्डिग्रेड्स के पुनरुत्थान, अस्तित्व और प्रजनन की जांच की जाएगी।

किस तरह की होगी रिसर्च

 एक्सिओम स्पेस ने कहा कि टार्डिग्रेड्स के बारे में अध्ययन करने से उनके आणविक तंत्र को समझने से भविष्य में अंतरिक्ष अन्वेषण में मदद मिल सकती है। साथ ही, पृथ्वी पर जैव प्रौद्योगिकी के नए प्रयोगों को बढ़ावा मिल सकता है। केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने बीते दिनों कहा कि शुभांशु शुक्ला अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन की यात्रा करेंगे। यह यात्रा राकेश शर्मा की रूस के सोयूज अंतरिक्ष यान से अंतरिक्ष में जाने की ऐतिहासिक यात्रा के चार दशक बाद होगी। उन्होंने कहा, ‘ग्रुप कैप्टन शुक्ला की यात्रा महज एक उड़ान नहीं है। यह एक संकेत है कि भारत अंतरिक्ष अन्वेषण के नए युग में साहस के साथ कदम रख रहा है।’

शुभांशु शुक्ला कौन हैं?

उनका जन्म 10 अक्टूबर 1985 को उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में हुआ। वह भारतीय वायुसेना के ग्रुप कैप्टन के पद पर हैं। उनके पास 2,000 घंटे से अधिक समय की उड़ान का अनुभव है। उन्होंने जून 2006 में वायुसेना की फाइटर विंग में कमीशन प्राप्त किया। एक्स-4 वेबसाइट के अनुसार, उन्होंने सुखोई-30 एमकेआई, मिग-21, मिग-29, जगुआर, हॉक, डोर्नियर और एएन-32 जैसे कई विमान उड़ाए हैं। उन्हें मार्च 2024 में ग्रुप कैप्टन के पद पर पदोन्नति मिली। वह भारत के गगनयान मानव अंतरिक्ष मिशन के लिए चयनित अंतरिक्ष यात्री भी हैं। उनकी अंतरिक्ष यात्रा की शुरुआत 2019 में हुई, जब उन्हें इसरो की ओर से बुलावा आया। इसके बाद उन्होंने रूस के यूरी गागरिन कॉसमोनॉट प्रशिक्षण केंद्र (स्टार सिटी) में एक वर्ष का कठोर प्रशिक्षण लिया।