छत्तीसगढ़ी दुनिया भर म बगरे हे- परदेशी राम वर्मा

Sahitya Parishad, Events

छत्तीसगढ़ी दिवस पर छत्तीसगढ़ी साहित्य परिषद का आयोजन

रायपुर(khabargali) छत्तीसगढ़ी की संस्कृति ने दुनिया को छत्तीसगढ़ी के माध्यम से समरसता का संदेश दिया है और श्रेष्ठता का सम्मान छत्तीसगढ़ का संस्कार है। मुख्य अतिथि परदेशी राम वर्मा ने उक्त विचार व्यक्त किए।
छत्तीसगढ़ी दिवस पर आज छत्तीसगढ़ी भाषा और साहित्य के वर्तमान स्वरुप एवं भविष्य पर गोष्ठी हुई और छत्तीसगढ़ी को कामकाज तथा प्रयोजनमूलक भाषा बनाने वाले विद्वानों का सम्मान किया गया। प्रारंभ में डॉ सुधीर शर्मा ने स्वागत भाषण दिया। सम्मान पर्याप्त करने वालों में जनकवि मीर अली मीर, गुरु घासीदास साहित्य एवं संस्कृति समिति, स्मार्ट सिटी के आशीष मिश्रा, आकाशवाणी के श्याम वर्मा, पत्रकार गुलाल वर्मा, दीनदयाल साहू, साहित्यकार सुधा वर्मा, छंदसम्राट अरूण निगम, आदि।
    गोष्ठी में डॉ चित्तरंजन कर ने कहा कि आज माहौल छत्तीसगढ़ी के लिए अनुकूल हुआ है। छत्तीसगढ़ी और हिंदी सहोदर भाषाएं हैं। राजकुमार सोनी ने कहा कि संस्कृति ने छत्तीसगढ़ी को दुनिया भर में पहुंचाया है। छत्तीसगढ़ी साहित्य परिषद के संरक्षक नंदकिशोर तिवारी ने कहा कि हमें सोचना चाहिए कि छत्तीसगढ़ी के लिए हमारा दायित्व करता है। भाषा के लिए केवल सरकार की ओर नहीं देखना चाहिए। छत्तीसगढ़ मित्र के संपादक डॉ सुशील त्रिवेदी ने कहा कि छत्तीसगढ़ी प्रारंभ से लोक के माध्यम से ज्ञान-विज्ञान की भाषा है। साथ ही यह संपर्क भाषा भी है। समारोह के मुख्य अतिथि डॉ परदेशी राम वर्मा ने कहा कि छत्तीसगढ़ की पहचान है छत्तीसगढ़ी। भाषा राज्य की अस्मिता होती है। छत्तीसगढ़ का निर्माण छत्तीसगढ़ी की बुनियाद पर हुआ है। समारोह के अध्यक्ष आशीष सिंह ने कहा कि छत्तीसगढ़ी भाषा छत्तीसगढ़ की प्राणवायु है। साहित्य और संस्कृति ने छत्तीसगढ़ी को समृद्ध किया है। डॉ विभाषा कर ने राजगीत प्रस्तुत किया।
    कार्यक्रम का संचालन प्रभात मिश्रा ने किया और आभार व्यक्त किया डॉ गीतेश अमरोहित ने। समारोह में डॉ जे आर सोनी, डॉ सुखदेव साहू, डॉ रामकुमार बेहार, सीमा चंद्राकर, नागेंद्र दुबे, डॉ महेंद्र ठाकुर, संजीव ठाकुर, संजीव तिवारी, रामेश्वर शर्मा, डॉ जेके डागर, गीता शर्मा, युक्ता राजश्री, विभाषा कर आदि उपस्थित थे।

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