गोदना शिल्प से वनांचल की महिलाओं को मिल रहा रोजगार

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हस्तशिल्प विकास बोर्ड शिल्प कला के विकास एवं संवर्धन के लिए दे रहा प्रशिक्षण

रायपुर (khabargali) शहरी जनजीवन में दिन प्रतिदिन गोदना शिल्प के कपड़ों की मांग और प्रसिद्धि राज्य के साथ-साथ पूरे देश में देखने को मिल रही है। इसे देखते हुए छत्तीसगढ़ राज्य में विविध प्रकार की प्राचीन शिल्प कलाओं की परम्परा को हस्तशिल्प बोर्ड द्वारा पुनर्जीवित किया जा रहा है। साथ ही इनके माध्यम से वनांचल में रहने वाली महिलाओं को रोजगार भी उपलब्ध कराया जा रहा है।

उल्लेखनीय है कि ग्रामोद्योग मंत्री गुरु रूद्रकुमार ने विभागीय समीक्षा में रोजारोन्मुखी प्रशिक्षण कार्यक्रम के लिए हस्तशिल्प विकास बोर्ड द्वारा किए जा रहे कार्यों की सराहना की है। राज्य के हस्तशिल्प विकास बोर्ड द्वारा परम्परागत गोदना शिल्प कला सरगुजा जिले के जमघटा, रजपुरी, लटोरी और मलगवा जैसे शिल्प बाहुल्य ग्रामों में नए हितग्राहियों को हस्त शिल्प में प्रशिक्षण के माध्यम से स्व-रोजगार उपलब्ध करा रहा है। गोदना शिल्प प्राचीन शिल्प कला में प्रमुख स्थान प्राप्त है। जो आदिकाल से जनजाति महिलाओं के द्वारा अपने शारीरिक सुंदरता को बढ़ाने के लिए अमिट छाप के रूप में गुदवाया जाता रहा है। इसके पीछे मान्यता है कि गोदना सुख और समृद्धि लाती है। वर्तमान में इस शिल्प को साड़ी, दुपट्टा, सलवार सूट, टेबल क्लॉथ एवं रुमाल पर उपयोग किया जा रहा है। राज्योत्सव जैसे अन्य आयोजनों में बने शिल्पग्राम में गोदना शिल्प वस्त्रों की लोगों ने काफी सराहना की और इसकी बिक्री हाथों-हाथ हुई थी। छत्तीसगढ़ में आयोजित होने वाले हस्तशिल्प मेलों में गोदना शिल्प लोगों के लिए विशेष आकर्षण का केंद्र होता है। हस्तशिल्प विकास बोर्ड द्वारा प्रशिक्षण एवं विपणन सुविधाओं के माध्यम से गोदना शिल्प का अन्य क्षेत्रों में भी विस्तार किया जा रहा है।

 

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