जै जै म्हारै हिंद की सेना,जग में थारी जै जै जयकार । डर डर भागै बैरी सेना,सुणताँ ही थारी आ ललकार..

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जै जै राजस्थान स्ट्रीमयार्ड स्टूडियो में आयोजित राष्ट्रीय राजस्थानी कवि सम्मेलन में कवयित्री उर्मिला देवी उर्मि ने पढ़ी ये पंक्तियां

रायपुर (khabargali) जै जै म्हारै हिंद की सेना जग में थारी जै जै जयकार । डर डर भागै बैरी सेना सुणताँ ही थारी आ ललकार । हिंद नै देख्यो बुरी नजर से तो टुकड़ा होसी थारा हजार । . हिंदुस्तान की बहादुर सेना की शान में ये पंक्तियाँ पढ़ीं छत्तीसगढ का प्रतिनिधित्व कर रही कवयित्री उर्मिला देवी उर्मि ने । मौका था जै जै राजस्थान स्ट्रीमयार्ड स्टूडियो में आयोजित वर्चुअल राजस्थानी कवि सम्मेलन का । राष्ट्रीय स्तर के इस कवि सम्मेलन में देश के जाने माने कलमकारों ने राजस्थानी भाषा में एक से बढ़कर एक कविताओं की बेहतरीन प्रस्तुति से देश विदेश के दर्शकों की खूब वाह वाही प्राप्त की ।

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गुलाबी नगरी जयपुर के लोकप्रिय कवि भगवान सहाय पारीक की पंक्तियां- करोना थारै आग लगै । क्यूँ घणो रह्यो इतराय , तनै लोग रह्या दुत्कार कोरोना थारे आग लगै । जोधपुर राजस्थान की कवयित्री निर्मला राठौड़ ने संस्कारों के बारे में ये पंक्तियां पढ़ी -- पूजूं कड़ाव कोड सूं, हरख हियै में लाय। गणपत भोग लगावणै, लापसी रंधवाय।। लीली घोड़ी नवलखी, मोत्यां जड़ी लगाम। मधरी मधरी चाल थूं, धण नै करूं सलाम।। मुकुंद गढ़ राजस्थान की कवयित्री सीमा राठौर ने मन- पंछी की बातों को कुछ इस प्रकार बयां किया- म्हारो मन रो पंछी उड़तो जाय लंबी लंबी उड़ाणां भरतो जाय दुनिया रा देखै यो नित नया करतब, कठै हेत री हिलोर ,कठै पापी अर चोर राजस्थानी भाषा के इस कवि सम्मेलन का संचालन सीमा राठौड़ ने किया ।