जानिए ईरान और अमेरिका के बीच जारी तनाव का भारत पर क्या असर पड़ेगा?

Continued tensions between Iran and America

खाड़ी देशों में अमेरिका बढ़ा रहा सैनिक, ईरान बोला- बदला लेंगे

नई दिल्ली (khabargali) अमेरिकी हवाई हमले में ईरान के कमांडर कासिम सुलेमानी की मौत हो गई. इसके बाद ईरान और अमेरिका आमने-सामने खड़े दिखाई दे रहे हैं.  ईरान ने साफ कह दिया है कि वो बदला लेकर रहेगा और अमेरिका खतरा भांप कर खाड़ी देशों में अपने सैनिकों की संख्या बढ़ा रहा है. करीब 3500 सैनिक हाल ही में अमेरिका ने खाड़ी में भेजे हैं. गौरतलब है कि ट्वीटर और अन्य सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर वर्ल्डवॉर-3 की चर्चा हो रही है और पूरी दुनिया के लोग चिंता कर रहे हैं.

ईरानी राष्ट्रपति ने ट्वीट कर अमेरिका को चेतावनी दी

ईरान की धमकी के बाद अमेरिका ने अपने नागरिकों को तुंरत बगदाद छोड़कर चले जाने को कहा है. ईरानी राष्ट्रपति हसन रुहानी ने ट्वीट कर अमेरिका को चेतावनी दी है जिसे अमेरिका के राष्ट्रपति ने  डोनाल्ड ट्रंप ने बेहद गंभीरता से लिया है. अमेरिका और ईरान के बीच स्थिति तनावपूर्ण होने के बाद दुनिया के अन्य देश भी चौकन्ने हो गए हैं. भारत भी पूरी स्थिति पर नजर बनाए हुए है.

 भारत पर क्या असर पड़ेगा?

अगर अमेरिका और ईरान के बीच युद्ध होता है तो यह लड़ाई लंबी चल सकती है. दोनों देशों के बीच जारी विवाद अगर युद्ध में बदलता है तो यह भारत के लिए काफी बड़ी परेशानी का कारण बनेगा. भारत के लिए ईरान प्रमुख व्यापारिक भागीदारों में एक हैं. ईरान द्वारा भारत को कच्चे तेल, उर्वरक और रसायन का निर्यात किया जाता है. वहीं वह भारत से मोटे अनाज, चाय, कॉफी, बासमती चावल, मसालों का आयात करता है. भारत अपनी जरूरत का करीब 80 प्रतिशत हिस्सा आयात करता है. युद्ध की स्थिति में तेल के दाम बढ़ेंगे. तेल के दाम बढ़ने से भारत को इसके लिए ज्यादा रकम चुकानी होगी. इस कारण सरकार का वित्तिय घाटा भी बढ़ जाएगा. भारत में महंगाई और बढ़ सकती है. जानकारों की माने तो भारत के पास मौजूदा वक्त में करीब 10 दिन का तेल है. ऐसे में तेल की कीमत बढ़ने का असर हर नागरिक पर पड़ सकता है. तेल के दाम बढ़ने से हवाई यात्रा भी महंगी हो सकती है. जानकारों का कहना है कि भारत को एक जैसे सोच रखने वाले देशों को युद्ध रोकने की कोशिश करनी चाहिए.
वित्त वर्ष 2018-19 में ईरान को भारत का निर्यात 3.51 अरब डॉलर या 24,920 करोड़ रुपए का रहा था. वहीं इस दौरान आयात 13.52 अरब डॉलर या 96,000 करोड़ रुपए रहा था. व्यापार असंतुलन की प्रमुख वजह भारत द्वारा ईरान से बड़ी मात्रा में कच्चे तेल का आयात है. अभी दोनों देश आपसी व्यापार बढ़ाने के लिए द्विपक्षीय तरजीही व्यापार करार (पीटीए) को लेकर वार्ताएं कर रहे हैं.