रायपुर (khabargali) वैश्विक महामारी कोरोना ने जिन परिवारों से उनका भरण-पोषण करने वाले मुखिया को छीन लिया, ऐसे असहाय परिवारों के सदस्यों की दीर्घकालिक पीड़ा को दूर करने जैन संवेदना ट्रस्ट ने अपने सहायता प्रकल्प स्वाभिमान से स्वावलम्बन की ओर के अंतर्गत उन्हें हरसंभव मदद देकर स्वावलम्बी बनाने का बीड़ा उठाया है ।
भगवान महावीर जन्मकल्याणक के अवसर पर कोरोना की इस दूसरी लहर ने कई परिवारों से उनका सहारा ही छीन लिया, अनेक युवावस्था में ही अकाल ही काल की गाल में समा गए. इनमें से कई ऐसे परिवार जिनसे इस महामारी ने उनका एकमात्र सहारा ही छीन लिया, जीविकोपार्जन करने वाले एकमात्र मुखिया के चले जाने से उनके समक्ष आजीविका का संकट उत्पन्न हो गया है. बहुत से परिवार इस हाल में हैं कि वहां केवल माँ और छोटे-छोटे बच्चे ही हैं, कोरोना संकट के काले बादल छंटते तक ऐसे परिवारों को दो वक्त खाना, महीनेभर का राशन, बच्चों की स्कूल फीस आदि की मदद पहुंचाने अनेक समाजसेवी संगठनों की पहल वंदनीय अवश्य है. किंतु सवाल यह है कि क्या साल-दो साल इस तरह की मदद देने के बाद भी ऐसे असहाय परिवारों के जीवनभर का संकट दूर हो जाएगा? उनके लिए आजीविका का संसाधन जुटाकर उन्हें स्वावलम्बी बनाना ही उनके दीर्घकालिक संकट को दूर करने का एकमात्र उपाय है. जैन संवेदना ट्रस्ट ने इसी दिशा में अपनी सहायता योजना बनाई है.
विविध सलाहकारों, प्रशिक्षकों की केंद्रीय समिति का शीघ्र होगा गठन
इसके लिए ट्रस्ट की सात सदस्यीय एक प्रमुख समिति का गठन भी किया जा चुका है. महेन्द्र कोचर, विजय चोपड़ा, कमल भंसाली , चन्द्रेश शाह ,प्रवीण जैन निर्मल गोलछा महावीर कोचर इन युवा सेवाभावियों की यह मेन कमेटी अभी हाल में एक केंद्रीय सहायता समिति के गठन में जुटी हुई है, जिसमें विधि एवं वित्त सलाहकार-सीए, कानून के जानकारों अधिवक्ता, व्यापार विशेषज्ञ, पारिवारिक-सामाजिक, बैंक-बीमा आदि मामलों के विशेषज्ञों-समन्वयकों और बुद्धिजीवियों को शामिल किया जा रहा है. ट्रस्ट के प्रमुख महेन्द्र कोचर व विजय चोपड़ा ने बताया कि यह केंद्रीय समिति समाज के ऐसे संकटग्रस्त जैन परिवारों की सहायता करेगी. उन परिवारों में जो भी बड़ा सदस्य चाहे वह महिला हो या पुरुष, उसे भावी जीविकोपार्जन के लिए अनुकूल विकल्प सुझाकर उसी दिशा में बढ़ने सहायता पहुंचाई जाएगी.
व्यापार, व्यवसाय, रोजगार, बैंक संबंधी कार्यों के लिए दी जाएगी मदद
इन संकटग्रस्त परिवारों के मुखिया के नाम यदि बीमा है या नहीं है, और यदि है तो उस राशि को कंपनी से कैसे दिलाया जाए, उस राशि का कैसा उपयोग हो ताकि परिवार कीउम्रभर जीविका चले. यदि बैंक खाते में फिक्स डिपाजिट है या अन्य किसी खाते में कुछ राशि जमा है तो उसके आहरण के लिए आवश्यक कागजात कैसे जुटाने हैं, और यदि उस परिवार में कुछ भी सम्पत्ति या राशि अब शेष नहीं है तो उस परिवार को कैसे भरण-पोषण के संसाधन जुटाने समक्ष बनाया जाए, कौन सा व्यवसाय उनके अनुकूल है जिसमें उन्हें प्रशिक्षित किया जाए, यदि उस परिवार को मुखिया कोई पैतृक या पुराने व्यवसाय का संचालन कर रहा था, तो उस व्यवसाय का पुर्नसंचालन किस तरह किया जाए, यदि परिवार का मुखिया किसी शासकीय या अर्धशासकीय सेवा में था तो उसके उत्तराधिकारी सदस्य को अनुकम्पा नियुक्ति किसी विधि दिलाई जाए, आदि इस तरह की अनेक समस्याओं का समाधान विभिन्न क्षेत्रों के एक्सपर्ट्स की मेन कमेटी द्वारा किया जाएगा. ऐसे संकटग्रस्त परिवारों को उन्हीं के संसाधनों से हरसंभव उन्हें मदद पहुंचाना, उन्हें उनके अधिकारों के प्रति सजग व सक्षम बनाना यह इस केंद्रीय समिति का प्रमुख कार्य होगा. ताकि वे कोविड काल के बाद भविष्य में किसी की मदद के मोहताज न रहकर स्वावलम्बी जीवन जीएं.
पहले चरण में 70 वार्डों में बनाई जाएंगी युवाओं की चार सदस्यीय टीमें
जैन संवेदना ट्रस्ट की तात्कालिक सात सदस्यीय प्रमुख समिति के महेन्द्र कोचर, कमल भंसाली ने बताया कि इस महत्वपूर्ण सेवा कार्य को अंजाम देने पहले चरण में राजधानी रायपुर के सभी 70 वार्डों में से हर एक वार्ड में युवाओं की चार सदस्यीय टीमें गठित की जाएंगी. युवाओं की ये टीमें ऐसे मुखियाविहीन संकटग्रस्त परिवारों को चिन्हित करेंगी. व उनकी समस्याओं की जानकारी एकत्र किया जावेगा ।
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