मिलिए चर्चित कालम "गोठ झंगलू मंगलू " के  रचयिता विजय मिश्रा से 

vijay mishra

 सन 2000 से शुरू हुआ .. पत्रकार विजय मिश्रा का "गोठ झंगलू मंगलू " 19 साल का हुआ.. लगातार लगभग बार 7000 बार "गोठिया" चुका है

रायपुर (khabargali) राजधानीवसियों के लिखने- पढ़ने वाले वर्ग के बीच " गोठ झंगलू मंगलू के " कालम की चर्चा आम बात है, लेकिन हम उन लोगों के लिए यह विशेष लेख लेकर आए जो यह नहीं जानते कि झंगलू मंगलू का प्रणेता कौन है.. आखिर कौन इस कालम को सन 2000 से लगातार लिख रहा है... तो आइए हम आपका उस शख्स से परिचय कराते हैं। 

विजय मिश्रा जो कि राजधानी के सबसे पुराने सांध्य दैनिक अग्रदूत के वरिष्ठ पत्रकार हैं, ने इस कालम की शुरुआत  अक्टूबर सन 2000 में की। उन दिनों छत्तीसगढ़ राज्य बनने वाला ही था । खेल पत्रकारिता और कई खेल में पारंगत विजय ने खबरगली को बताया कि कुछ दिनों पहले उनके मन में विचार आया कि अपनी छत्तीसगढ़ी बोली - बात में एक प्रयोग किया जाय ।  सांध्य दैनिक अग्रदूत  के प्रधान संपादक स्व विष्णु सिन्हा जी की अनुमति से "गोठ झंगलू मंगलू " के शीर्षक के साथ कालम शुरू हुआ जो आज लगातार प्रकाशित होते- होते 19 साल का हो चुका है । श्री मिश्रा ने बताया कि सिन्हा जी के उत्साहवर्धन से सफर चलता रहा और अब प्रधान संपादक संजय सक्सेना जी के उत्साहवर्धन से झंगलू - मंगलू का सफर जारी है । यह कालम अमूमन प्रतिदिन प्रकाशित होता है वो भी प्रथम पृष्ठ पर ।

आम छत्तीसगढ़िया किरदार हैं झंगलू - मंगलू

विजय आगे बताते हैं कि  झंगलू - मंगलू बिल्कुल आम छत्तीसगढ़िया किरदार हैं और समसामयिक विषयों पर अपनी प्रतिक्रिया अपने गांव के चौपाल पर बैठ कर अपने ही अंदाज में व्यक्त करते हैं । अंदाज तीखा जरुर होता होगा लेकिन यकीन मानिए किसी के प्रति दुर्भावना या दुराग्रह नहीं है । हालाँकि इस पर लोगों की अलग - अलग राय हो सकती है , सहमति के साथ असहमति भी होगी तथापि सभी का स्वागत है ।

व्यंग्य के अलावा भी ...


उन्होंने बताया कि लोग इसे व्यंग्य कालम कहते हैं लेकिन ऐसा नहीं है । झंगलू - मंगलू की बातों में व्यंग्य के साथ - साथ कटाक्ष है , उलाहना है , ताना है , आक्रोश है , आक्षेप है  , दुख है , खुशी है , हास्य है , चुहुलबाजी है , हंसी - ठिठोली है , मजाक है , दर्द है और देशप्रेम भी है । आलोचना है तो प्रशंसा भी है । 

ऐसा कोई दावा मेरी ओर से नहीं है कि यह छत्तीसगढ़ी कालम है । आम छत्तीसगढ़िया जिस प्रकार आपस में बातें करते हैं , झंगलू - मंगलू भी उसी तरह आपस में वार्तालाप करते हैं । अंग्रेजी , हिन्दी के साथ उर्दू के शब्दों का उपयोग भी बेधडक करते हैं ।

"गोठ झंगलू मंगलू " के चर्चित होने की यह वजह

"गोठ झंगलू मंगलू " कालम के चर्चित होने की बड़ी  वजह है कि विजय मिश्रा हमेशा  समसामयिक विषयों पर झंगलू मंगलू के द्वारा त्वरित टिप्पणी करते हैं जिसे लोग पसंद करते हैं। विजय इस कालम को तमाम सोशल मीडिया ग्रुप में शेयर करते हैं और लोग उसे आगे बढ़ा देते हैं। खास कर छत्तीसगढ़ी भाषा को जानने- समझने वाले इसे बड़ी रुचि से पढ़ते हैं। इस कालम को पसंद करने वाले आम लोग से बड़े लोग भी रहे हैं । प्रदेश के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने भी "गोठ झंगलू मंगलू " को सोशल मीडिया में शेयर किया था।  पिछले 19 सालों से लिखते- लिखते लगभग 7000 के करीब इसकी कड़ी लोगों के सामने आ चुकी है। 

झंगलू के मन में बड़े प्रश्न रहते हैं मंगलू जिनका सटीक जवाब देता है

विजय द्वारा लिखे जा रहे इस कालम की एक खास बात यह है कि हमेशा भोला झंगलू ही जिसके मन में हालिया घटनाओं और खबरों को लेकर कोई प्रश्न रहता है जो वह मंगलू से पूछता है और मंगलू जो कि बड़ा जानकार है .. अपने हाजिर जवाब से झंगलू को लगभग संतुष्ट करने में कामयाब हो ही जाता है।

 एक बानगी देखिए झंगलू मंगलू की

 

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प्रदेश के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने"गोठ झंगलू मंगलू " को सोशल मीडिया में शेयर किया था

 

 

गोठ झंगलू मंगलू के…
1. झंगलू :- भइया मंगलू , कल रात एक महंगा बार में अपन संगवारी मन संग महंगा महंगा शराब काबर पीयत रहेस ** महंगा महंगा सिगरेट भी फूंकत रहेस ?
मंगलू :– कुछ नइ झंगलू , अपन कालेज के संगवारी मन संग ” रम ” पीके ” गम ” मनावत रहेंव । हमर यूनिवर्सिटी हा 10 रुपिया के फीस ला बढ़ा के 300 रुपिया कर दिस ** अय्याशी करे के हमर आजादी ला छीन लिस

2. झंगलू :– भइया मंगलू , देश भर में हमर रायपुर पांचवा नंबर आय हे ** यहां नल से ” साफ पानी ” निकलथे 
मंगलू :– नइ झंगलू , तात्यापारा वार्ड से खबर आय हे ** यहां नल से ” सांप पानी ” निकलथे

3. झंगलू :--  भारत में आजकल का चलत हे मंगलू  ?
मंगलू :--  भारत में तो आजकल " रेप " अउ " केब " ही चलत हे झंगलू 

4. झंगलू :-- भइया मंगलू , पैड न्यूज का होथे ** पैड न्यूज के पहिचान कइसे होथे  ?
मंगलू :-- * प्रत्याशी के विशेष इंटरव्यू * जबरदस्ती के इंटरव्यू * गिने - चुने वार्ड ( जहां से " हड्डी " मिल गे ) के चुनावी समीक्षा  * व्यापक जनसमर्थन * रैली में जनसैलाब उमड़ा * चुनाव प्रचार में सबसे आगे * प्रतिद्वंद्वी को नहीं मिल रहे कार्यकर्ता * आपराधिक रिकार्ड * गुंडे की छवि * मतदाताओं में भारी नाराजगी * मजा चखाने के मूड में *  वार्ड को चमन बना दुंगा * जनसेवा के लिए राजनीति में आया *  जीत तय 

5. झंगलू :-- भइया मंगलू , अइसे काबर बोलथें कि इतिहास हा अपन आप ला दोहराथे ** कुछ उदाहरण दे के समझाबे  ?
मंगलू :-- हमर परमोद भइया ताजा उदाहरण हे झंगलू । पार्षद चुनाव लड़ के अपन राजनीतिक जीवन के शुरुआत करिस * पार्षद के बाद महापौर चुनाव लड़िस । महापौर के बाद सांसद के चुनाव लड़िस अउ सांसद के बाद फिर से पार्षद के चुनाव लड़त हे * पब्लिक हा एला वर्ल्ड रिकार्ड बोलत हे । परमोद भइया हा अपन राजनीतिक कलाबाजी से राजधानी के राजनीति ला भौंचक कर दिस ** विधायक के टिकट ठुकरा दिस लेकिन पार्षद के टिकट बर जी जान लगा दिस 

6. झंगलू :-- भइया मंगलू , कांग्रेस हा बागी प्रत्याशी मन ला धमकावत हे ** निर्दलीय लड़ने वाला अउ भीतरघात करने वाला मन पार्टी से निष्कासित होहिं बोलत हे 
मंगलू :-- ये धमकी - चमकी के कोई मतलब नइ हे झंगलू । निर्दलीय लड़ने वाला या भीतरघात करने वाला मन ला सजा नइ बल्कि इनाम मिलथे ** पार्षद , विधायक , महापौर अउ सांसद के टिकिट मिलथे , निगम - मंडल - आयोग में लालबत्ती भी मिलथे 

7. झंगलू :--  " कंसोल " के का मतलब होथे मंगलू , आजकल बिक्कट चर्चा होवत हे   ?
मंगलू :-- बाई गाड झंगलू , कंसोल के बारे में मोला कुछ नइ मालूम । मालूम भी होहि तो कुछ नइ बोल सकंव ** आखिर महूं ओखर " नमक " खाय हंव