
गृह मंत्रालय ने एक आदेश जारी किया
नई दिल्ली (khabargali) गृह मंत्रालय ने एक आदेश जारी करते हुए सरकारी कर्मचारियों के राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की गतिविधियों में शामिल होने पर लगा प्रतिबंध हटा लिया है। इस आदेश में केंद्र सरकारों के द्वारा 1966, 1970 और 1980 के उन आदेशों में संशोधन किया गया है, जिनमें कुछ अन्य संस्थाओं के साथ-साथ आरएसएस की शाखाओं और अन्य गतिविधियों में शामिल होने पर सरकारी कर्मचारियों पर कड़े दंडात्मक प्रावधान लागू किए गए थे।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने इस आदेश का स्वागत किया है। दरअसल, आरोप है कि पूर्व की कांग्रेस सरकारों ने समय-समय पर सरकारी कर्मचारियों की संघ के कार्यक्रमों में शामिल होने पर रोक लगा दी थी। आरएसएस की गतिविधियों में शामिल होने पर कर्मचारियों को कड़ी सजा देने तक का प्रावधान लागू किया गया था। सेवानिवृत होने के बाद पेंशन लाभ इत्यादि को ध्यान में रखते हुए भी अनेक सरकारी कर्मचारी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की गतिविधियों में शामिल होने से बचते थे। हालांकि, इस बीच मध्यप्रदेश सहित कई राज्य सरकारों ने इस आदेश को निरस्त कर दिया था, लेकिन इसके बाद भी केंद्र सरकार के स्तर पर यह वैध बना हुआ था। इस मामले में एक वाद इंदौर की अदालत में चल रहा था, जिस पर अदालत ने केंद्र सरकार से सफाई मांगी थी।
आदेश पर संसद में हंगामा होने के आसार
केंद्र सरकार ने यह आदेश ऐसे समय में जारी किया है, जब कथित तौर पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और भाजपा में कुछ तनातनी की खबरें आती रही हैं। लोकसभा चुनावों में मजबूत होकर उभरा विपक्ष इस आदेश को लेकर केंद्र पर हमलावर रुख अपना सकता है। सोमवार 22 जुलाई से ही संसद का सत्र आगे बढ़ाया जाएगा, जिसमें केंद्र सरकार द्वारा वर्तमान वित्त वर्ष के लिए बजट भी पेश किया जाने वाला है।
प्रतिबंध बिल्कुल गलत था- आरएसएस
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के वरिष्ठ पदाधिकारी राजीव तुली ने कहा कि केंद्र सरकार का यह निर्णय स्वागत योग्य है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ देश के निर्माण में लगा हुआ संगठन है। यह पूरे देश में हर एक जगह पर काम करता है और समाज के किसी भी वर्ग से किसी प्रकार के भेदभाव के बिना इसमें सब के शामिल होने और राष्ट्र निर्माण के लिए कार्य करने की आजादी रहती है।
वहीँ पांचजन्य के पूर्व संपादक तरुण विजय ने कहा कि पूरी दुनिया में आरएसएस एक राष्ट्र निर्माण करने वाले संगठन के रूप में देखा जाता है। केवल राजनीतिक विद्वेष के कारण पूर्व की कांग्रेस सरकारों ने समय-समय पर आरएसएस पर इस तरह के प्रतिबंध लगाए, जिससे लोगों को आरएसएस में शामिल होने से रोका जा सके। लेकिन इतिहास बताता है कि कांग्रेसी सरकारों की यह सोच कभी कामयाब नहीं हो पाई। लोग सरकारी नौकरी में रहकर भी आरएसएस से जुड़े और देश के लिए काम करते रहे।
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