हनुमानजी के जन्म स्थान के 6 दावे..जानें कहां- कहां और क्या है पौराणिक महत्व

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ख़बरगली (फीचर डेस्क) महाकाव्य रामायण में हनुमानजी को भगवान राम का सबसे बड़ा भक्त बताया गया है। पुराणों के अनुसार भगवान हनुमानजी को शिव जी का रुद्रावतार माना जाता है। शिव पुराण के अनुसार हनुमान जी ही शिवजी के 11वें अवतार हैं। ज्योतिषियों की गणना के अनुसार, हनुमान जी का जन्म 1 करोड़ 85 लाख 58 हजार 120 वर्ष पहले चैत्र पूर्णिमा को मंगलवार के दिन चित्रा नक्षत्र व मेष लग्न के योग में सुबह 6.03 बजे हुआ था। हनुमान जी का जन्म भारत की पावन भूमि पर ही हुआ था लेकिन भारत में कई ऐसे स्थान है जहां कई जानकारी हनुमान जी के जन्म लेने का दावा करते हैं। भले ही जानकारों के मुताबिक भारत के अलग-अलग जगहों को हनुमान जी की जन्मस्थली बताया जा रहा है लेकिन इन जगहों पर हनुमान और माता अंजनी से जुड़े कोई ना कोई साक्ष्य जरूर मिलते हैं जो ये बताते हैं कि इन जगहों का हनुमान जी के जन्म से गहरा रिश्ता है। आइए जानते हैं इनके बारे में…

1.अंजनाद्रि पर्वत तिरुमाला

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तिरुमाला में भगवान वेंकटेश्वर के प्राचीन मंदिर के व्यवस्थापक तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम (टीटीडी) ने अंजनाद्रि को भगवान हनुमान की जन्मस्थली घोषित कर दिया है। अंजनाद्रि पर्वत तिरुमाला से पांच किलोमीटर दूर उत्तर में पर्वत के शिखर पर जपाली तीर्थम में स्थित है। तमिलनाडु के राज्यपाल बनवारी लाल पुरोहित की मौजूदगी में विशेष रूप से रामनवमी के शुभ अवसर पर यह घोषणा की गई है। नेशनल संस्कृत यूनिवर्सिटी के कुलपति प्रोफेसर मुरलीधर शर्मा के नेतृत्व में टीटीडी ने समिति का गठन किया है। इस पैनल में वैदिक विद्वानों, पुरातत्वविदों और एक इसरो वैज्ञानिक शामिल हैं।इस समिति ने घोषणा की है कि अंजनि पुत्र भगवान हनुमान का जन्म अंजनाद्रि में ही हुआ था। यह स्थान दक्षिण भारत में श्री अंजनेया स्वामी के नाम से भी विख्यात है। भगवान वेंकटेश्वर का मंदिर सातवें पर्वत वेंकटाद्रि पर स्थित है। तिरुमाला की अन्य पर्वत श्रृंखलाओं में नयनाद्रि, शेषाद्रि और गरुणाद्रि भी शामिल हैं। वायु पुत्र भी कहे जाने वाले हनुमान अंजनी देवी के पुत्र हैं। उन्होंने तिरुमाला की सात पर्वतमालाओं में से एक पर तप किया था। इसीलिए इस पर्वत का नाम अंजनाद्रि पड़ गया है।

शिवमोगा की रामचंद्रपुरा मठ के प्रमुख राघवेश्वरा भारती रामायण का जिक्र करते हुए कहते हैं कि हनुमान ने सीताजी को बताया था कि उनका जन्म समुद्र तटीय गोकर्ण में हुआ था। उन्होंने कहा, "रामायण में साक्ष्यों के आधार पर, हम कह सकते हैं कि गोकर्ण हनुमान की जन्मभूमि है और किष्किन्धा में अंजनद्री उनकी कर्मभूमि थी।"

2. झारखंड के गुमला जिले के आंजन गांव की एक गुफा

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धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, हनुमानजी का जन्म झारखंड राज्य के गुमला जिला मुख्यालय से 21 किलोमीटर दूर आंजन गांव की एक गुफा में हुआ था। इसलिए इसका नाम आंजन धाम और आंजनेय रखा गया है। माता अंजनी का निवास स्थान होने की वजह से इस स्थान का एक नाम आंजनेय भी है। जंगल और पहाड़ों में से घिरे इस आंजन गांव में एक अति प्राचीन गुफा है। यह गुफा पहाड़ की चोटी पर स्थित है। माना जाता है कि यहीं पर माता अंजना और पिता केसरी रहते थे। यहीं पर हनुमानजी का जन्म हुआ था। गुफा का द्वार बड़े पत्थरों से बंद है लेकिन छोटे छिद्र से आदिवासी लोग उस स्थान के दर्शन करते हैं और अक्षत व पुष्प चढ़ाते हैं। लेकिन कुछ लोग मानते हैं कि यह स्थान माता अंजना के जन्म से जुड़ा है।इसी विश्वास के साथ यहां की जनजाति भी बड़ी संख्या में भक्ति और श्रद्धा के साथ माता अंजनी और भगवान महावीर की पूजा करती है। यहां बालक पवन सुत हनुमान को माता अंजनी की गोद में लिए हुए एक पत्थर की प्राचीन मूर्ति स्थापित है। इसी जिले में पालकोट प्रखंड में बालि और सुग्रीव का राज्य था। माना यह भी जाता है कि यहीं पर शबरी का आश्रम था। इन पवित्र पहाड़ों में एक ऐसी भी गुफा है जिसका संबंध सीधा-सीधा रामायण काल से जुड़ा है। यह भी माना जाता है कि माता अंजनी इस स्थान पर हर रोज भगवान शिव की आराधना करने आती थीं और इसी कारण से यहां 360 शिवलिंग स्थापित हैं। यहां सात जनजातियां निवास करतीं थीं- 1.शबर, 2.वानर, 3.निषाद्, 4.गृद्धख् 5.नाग, 6.किन्नर व 7.राक्षस।

3. हरियाणा का कैथल

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माता-पिता के नाम के कारण हनुमानजी को आंजनेय और केसरीनंदन कहा जाता है । केसरीजी को कपिराज कहा जाता था, क्योंकि वे वानरों की कपि नाम की जाति से थे। केसरीजी कपि क्षेत्र के राजा थे। कपिस्थल कुरु साम्राज्य का एक प्रमुख भाग था। कपि के राजा होने की वजह से हनुमान जी के पिता केसरी को कपिराज कहा जाता था। हरियाणा का कैथल पहले करनाल जिले का भाग था। यह कैथल ही पहले कपिस्थल था। पुराणों के अनुसार इसे वानर राज हनुमान का जन्म स्थान माना जाता है। इसकी एक पहचान पार्क रोड स्थित प्राचीन हनुमान मंदिर भी है, जो अंजनी मां के टीले के नाम से मशहूर है।

4.अंजनी पर्वत , गुजरात स्थित डांग जिला

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गुजरात स्थित डांग जिला रामायण काल में दंडकारण्य प्रदेश के रूप में पहचाना जाता था। मान्यता के अनुसार, यहीं भगवान राम व लक्ष्मण को शबरी ने बेर खिलाए थे। आज यह स्थल शबरीधाम नाम से जाना जाता है। डांग जिले के आदिवासियों की सबसे प्रबल मान्‍यता यह भी है कि डांग जिले के अंजनी पर्वत में स्थित अंजनी गुफा में ही हनुमानजी का भी जन्म हुआ था। कहा जाता है कि अंजनी माता ने अंजनी पर्वत पर ही कठोर तपस्या की थी और इसी तपस्या के फलस्वरूप उन्हें पुत्र रत्न यानी कि हनुमानजी की प्राप्ति हुई थी। कुछ जानकारों का मानना है कि गुजरात के नवसारी स्थित डांग जिले को पूर्व काल में दंडकारण्य प्रदेश के रुप में जाना जाता था। जहां श्रीराम ने अपने जीवन के 10 साल गुजारे थे।

5. शबरी गुफा , हंपी, कर्नाटक, 

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कर्नाटक के बेल्लारी जिले के हंपी नामक नगर में हनुमान जी का एक प्राचीन मंदिर स्थापित है। हंपी के निकट बसे हुए ग्राम अनेगुंदी को रामायणकालीन प्राचीन किष्किंधा नगरी है और इसका उल्लेख वाल्मिकि रामायण व रामचरित मानस में मिलता है। मान्यता है कि प्राचीन काल की इस किष्किंधा नगरी में ही हनुमान जी का ज्नम हुआ था और इसी जगह पर हनुमान जी का अपने प्रभू श्रीराम से पहली बार मिलन हुआ था। तुंगभद्रा नदी को पार करने पर अनेगुंदी जाते समय मुख्य मार्ग से कुछ हटकर बाईं ओर पश्चिम दिशा में, पंपासरोवर स्थित है । यहां स्थित एक पर्वत में एक गुफा भी है जिसे रामभक्त शबरी के नाम पर शबरी गुफा कहते हैं।

6. अंजनेरी पर्वत ,नासिक जिला, महाराष्ट्र

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कुछ लोगो का मानना है की हनुमान का जन्म अंजनेरी पर्वत पर हुआ था। ये स्थान त्र्यंबकेश्वर से करीब सात किलोमीटर दूर नासिक जिले में है। कहा जाता है कि इसी स्थान पर हजारों साल पहले हनुमान जी का जन्म हुआ था। अंजनेरी पर्वत पर माता अंजनी का मंदिर है और हनुमान जी का मंदिर उससे और अधिक ऊंचाई पर स्थित है. लेकिन यहां तक पहुंचने के लिए लंबा और कठिन सफर तय करना पड़ता है।

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