जानें इस देसी कॉर्वेट में क्या खास है
नई दिल्ली (khabargali) भारतीय नौसेना के बेड़े में आज एक खास जहाज की एंट्री हुई है। ऐंटी-सबमरीन वारफेयर के लिए बना आईएनएस कवरत्ती गुरुवार को औपचारिक रूप से नौसेना में शामिल हो गया। आर्मी चीफ जनरल मनोज मुकुंद नरवणे ने इस स्वदेशी कॉर्वेट को नेवी का हिस्सा बनाया। जहाज ने अपने सभी सिस्टम के साथ ट्रायल पूरे कर लिए हैं और वह एक कॉम्बैट-रेडी प्लेटफॉर्म की तरह नेवी में शामिल हुआ है। आपको बता दें कि आईएनएस कवरत्ती को डायरेक्टोरेट ऑफ नेवल डिजाइन ने डिजाइन किया है।
इस जहाज में ये है खास
आईएनएस कवरत्ती 'प्रॉजेक्ट 28' के तहत बनाया गया है। 2003 में अप्रूव हुए इस प्रॉजेक्ट का यह आखिरी जहाज है। इससे पहले आईएनएस कमोर्ता 2014 में, आईएनएस कदमट्ट 2016 में और आईएनएस किलटन 2017 में नेवी का हिस्सा बन चुके हैं। आईएनएस कवरत्ती का 90% हिस्सा पूरी तरह स्वदेशी है। इसमें कॉर्बन कम्पोजिट्स यूज किए गए हैं जो भारतीय शिपबिल्डिंग की एक बड़ी उपलब्धि बताया जाता है। इसे कोलकाता के गार्डन रिसर्च शिपबिल्डर्स ऐंड इंजिनियर्स (GRSE) ने बनाया है।
25 नॉट्स की मैक्सिमम स्पीड, 109 मीटर लंबाई
2015 में आईएनएस कवरत्ती को लॉन्च किया गया था। 109 मीटर लंबे और 12.8 मीटर लंबे इस जहाज को समुद्र में किसी तलवार की तरह चलाया जा सकता है। 25 नॉट्स की अधिकतम रफ्तार से चलने वाले आईएनएस कवरत्ती में 4 डीजल इंजन लगे हैं जो 3000 किलोवाट की पावर पैदा करते हैं। इसके अलावा प्रॉपेलिंग के लिए इसमें 3,888 किलोवाट के 4 डीजल इंजन भी लगे हैं जो 1,050rpm पर ऑपरेट करते हैं। यह कॉर्वेट परमाणु, केमिकल और बायलॉजिकल युद्ध की स्थिति में भी काम करेगा।
दुश्मन की नजर में नहीं आएगा कवरत्ती
आईएनएस कवरत्ती में अपनी तरह के खास हथियार और सेंसर सुइट लगाए गए हैं। यह पनडुब्बियों को डिटेक्ट करने से लेकर उनका पीछा करने में माहिर है। पनडुब्बियों के खिलाफ तो यह कारगर है ही, आईएनएस कवरत्ती में सेल्फ डिफेंस का भी इंतजाम है। GRSE का दावा है कि यह आईएनएस कवरत्ती के स्टील्थ फीचर्स ऐसे हैं जो दुश्मन की नजरों से इसे गायब कर देते हैं।
- Log in to post comments