ज्ञानवापी केस में बड़ा फैसला : 'शिवलिंग' की साफ सफाई कर पाएंगे हिंदू...मजिस्ट्रेट करेंगे निगरानी

Shivling located in the controversial Gyanvapi structure of Varanasi, big decision in Gyanvapi case, Hindus will be able to clean 'Shivling', magistrate will monitor, stink was coming from dead fish, Supreme Court, Khabargali

कुंड से मरी हुई मछलियों से आ रही थी बदबू

नई दिल्ली (khabargali) सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को वाराणसी के विवादित ज्ञानवापी ढाँचे में स्थित शिवलिंग वाले स्थान को साफ़ करवाने की अनुमति हिन्दू पक्ष को दे दी. इस जगह को मुस्लिम पक्ष वुजुखाना (पानी का टैंक) कहता है, जहाँ नमाज पढ़ने से मुँह और हाथ-पैर धोया जाता है. यहाँ से मई 2022 में सर्वे के दौरान शिवलिंग मिला था. प्रधान न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने जिला प्रशासन को पानी की टंकी से मरी हुई मछलियों को हटावाने और सफाई की निगरानी करने को कहा. अब यहाँ वाराणसी के डीएम की उपस्थिति में सफाई करवाया जाएगा.

शीर्ष अदालत के समक्ष दायर अपने आवेदन में, हिंदू वादी ने कहा कि मरी हुई मछलियों की उपस्थिति के कारण टैंक से दुर्गंध आ रही थी और जिला मजिस्ट्रेट को सील किए गए क्षेत्र को साफ करने का निर्देश दिया जाना चाहिए. आवेदन में कहा गया है, “चूंकि वहां एक शिवलिंग मौजूद है जो हिंदुओं के लिए पवित्र है, इसे सभी गंदगी, गंदगी, मृत जानवरों आदि से दूर रखा जाना चाहिए और यह साफ स्थिति में होना चाहिए. यह इस समय मरी हुई मछलियों के बीच में है, जो भगवान शिव के भक्तों की भावनाओं को आहत करने वाला है.”

रिपोर्ट्स के अनुसार, हिन्दू पक्ष ने मछलियों के मरने के लिए मस्जिद की अंजुमन इस्लामिया कमिटी को जिम्मेदार ठहराया है.हिंदू पक्ष ने कहा कि अंजुमन इस्लामिया कमिटी पर इस पूरे परिसर के प्रबन्धन का प्रभार है. इसलिए इस बात को ध्यान में रखते हुए उस जगह की सफाई की अनुमति दी जाए.

हिंदू वादी पक्ष ने मां श्रृंगार गौरी स्थल पर निर्बाध पूजा के अधिकार की मांग करते हुए वाराणसी अदालत में मुकदमा दायर किया था. हालांकि, अंजुमन इंतेज़ामिया मस्जिद कमेटी इस बात से इनकार करती है कि मस्जिद मंदिर को ढहाकर बनाई गई थी. हाल ही में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने मस्जिद परिसर (‘वजूखाना’ को छोड़कर) का सर्वेक्षण करने के बाद जिला अदालत के समक्ष एक सीलबंद कवर में वैज्ञानिक सर्वेक्षण रिपोर्ट दाखिल की है.

वाराणसी जिला अदालत ने पिछले साल 21 जुलाई को भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) को यह पता लगाने के लिए ‘विस्तृत वैज्ञानिक सर्वेक्षण’ करने का निर्देश दिया था कि काशी विश्वनाथ मंदिर के बगल में स्थित मस्जिद का निर्माण किसी मंदिर की पहले से मौजूद संरचना पर किया गया है या नहीं. उच्चतम न्यायालय ने मस्जिद परिसर के वजूखाने को संरक्षित रखने का पहले आदेश दिया था, जिसके कारण यह हिस्सा सर्वेक्षण का हिस्सा नहीं होगा.

हिंदू वादियों ने इस स्थान पर ‘शिवलिंग’ होने का दावा किया है. हिंदू कार्यकर्ताओं का दावा है कि इस स्थान पर पहले एक मंदिर था और 17वीं शताब्दी में मुगल सम्राट औरंगजेब के आदेश पर इसे ध्वस्त कर दिया गया था. .