कोरोना को एक चुनौती की तरह लेने की जरुरत - मिश्र

Khabargali, Social worker, Doctor, Dr. Dinesh Mishra, Corona, Corona's havoc , Lockdown

अपने को और अपने परिवार को बचाने के लिए खुद आगे आएं, सावधानी रखें, संक्रमण की चैन को रोकने में योगदान दें

रायपुर (khabargali) सामाजिक कार्यकर्ता और चिकित्सक डॉ. दिनेश मिश्र का कहना है कि कोरोना को एक चुनौती की तरह लेने की जरूरत है, यह एक ऐसा युद्ध है, जिसमें सामने एक ऐसा शत्रु है जो नजर नहीं आता पर पूरी दुनिया पर कहर बन के छा गया है, जिससे हर हाल में जीतना है, लाखों डॉक्टरों, स्वास्थ्य कर्मी, प्रशासन, पुलिस, सफाई कर्मी जो मरीजों का इलाज, देखभाल, व्यवस्था, सफाई ,जैसे कामों में अपनी जान खतरे में डाल कर भी लगे हुए है और अनेक अपने प्राण निछावर भी कर चुके हैं। एक बार उनके परिश्रम, हौसले, हिम्मत, समर्पण को याद कर सिर्फ अपने को अपने परिवार को बचाने के लिए खुद आगे आएं, सावधानी रखें, संक्रमण की चैन को रोकने में योगदान दें।

उन्होंने कहा कि एक छोटे से वायरस ने सारी दुनिया में कहर बरपा कर रखा है, सिर्फ भारत में ही 53 लाख से अधिक मामले 86 हजार मौतें, छत्तीसगढ़ में 84 हजार से अधिक मामले, दिन प्रतिदिन बढ़ते हजारों मरीजो की संख्या चिंता का विषय बनती जा रही है। यह तो एक राहत की बात है इस बीमारी में मृत्यु का प्रतिशत बहुत कम है तथा पुन: स्वस्थ होने वालों की दर अधिक है, उसके बाद भी हमारे देश में जनसंख्या और सघन आबादी क्षेत्र की बहुलता होने के कारण सरकारों के इंतजाम नाकाफी साबित हो रहे हैं। डॉ. मिश्र ने कहा कि बहुत सारे लोग जो कोरोना का मजाक उड़ा रहे थे, कोरोना को सामान्य सर्दी बुखार बता रहे थे वो, उनमें से ही अनेक खुद या उनके परिजन इसका शिकार बन चुके हैं। कुछ लोग जो अपनी और अपने परिजनों की जान की भी परवाह न कर इस मसले पर भी राजनीति,चुटकुले बाजी कर रहे थे आज उनमें से ही कुछ अस्पताल के एक बेड के लिए लाचार और बेबस नजर आ रहे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि याद रखें वायरस किसी का सगा नहीं है, वह किसी बड़े छोटे, स्त्री, पुरूष, वी आई पी, आम व्यक्ति में भेदभाव नही करता, आप कोई भी हों, अधिक ओवर कॉन्फिडेंस में मत रहें। जो बीमारी इतनी ज़्यादा संक्रामक हो, जिसका कोई ईलाज न पता हो। जिम्मेदारों ने जिसके सामने लगभग अपने हाथ खड़े कर रखे हों, उससे बचना ही एकमात्र उपाय है। और बचाव का एक मात्र तरीक़ा है सोशल डिस्टेन्स मेंटेन करना, लॉक्डाउन से कुछ हद तक संभव है, लोगों को स्वयं अपने आपको अपने घरों में कैद करना होगा। बिना काम के तो मत ही निकलिए और अगर काम हो तो भी उसे जब तक टाल सकते हैं टालिए, कम से कम में काम चलाइए...लेकिन घर से बाहर कम से कम जाइए। खास तौर पर रायपुर सहित छत्तीसगढ़ के सभी शहरों की स्थिति बहुत खऱाब होती जा रही है , रोज सामान्य से कई गुना मौतें हो रही हैं, रोजाना हजारों मरीज़ सामने आ रहे हैं लेकिन पूरे देश में असली संख्या इससे कई गुना हैं जो पकड़ में तो नहीं ही आ रहे, बल्कि साथ में कई लोगों को और बीमारी बांट रहे हैं।

डॉ. मिश्र ने कहा कि अस्पतालों में बेड खाली नहीं हैं, आप बड़े से बड़े आदमी से फ़ोन लगवा लीजिए फिऱ भी नहीं मिल रहे लोगों को बेड। इसीलिए अगले कम से कम दो सप्ताह निर्णायक होंगे, अगर जनता खुद संयम रख लेती है ,तो शायद स्थिति सुधर जाए, वरना सबको बुरी से बुरी स्थिति का सामना करना पड़ेगा। आप ख़ुद ही देखिए पिछले कुछ दिनों से रायपुर, जबलपुर, नागपुर सहित अनेक शहरों के अखबार मौत की खबरों से भरे है, यहां तक श्मशानगृहों में अंतिम संस्कार के लिए लाइन लग रही है ,डर ऐसा कि परिजनों की लाश लेने तक लोग नही पहुंच रहे है ,आठ दस दिनों तक शव चीरघर में ही पड़े हैं,प्रशासन को ही अंतिम संस्कार तक करना पड़ रहा है। इससे अधिक दु:खद स्थिति और क्या हो सकती है, कि व्यक्ति अपने परिजन के अंतिम संस्कार में जाने तक की हिम्मत नही जुटा पा रहा है। ऐसे में हमारे सामने सिर्फ एक ही लक्ष्य होना चाहिए कि यथासम्भव कोरोना से अपना, अपने परिवार का बचाव के लिए मास्क पहिनने, हाथ धोने, सोशल डिस्टेन्स, सहित जितने तरीके बताये जा रहे है उनका खुद कड़ाई से पालन करें। अपने डॉक्टर के सम्पर्क में रहे, बीमार होने पर टेस्ट कराएं और बिना किसी भ्रम में रहे इलाज कराएं। कोई भी अनजान दवा, फॉर्मूले पर यकीन न करें. कोरोना से संक्रमित लोग वापस स्वस्थ भी होते जा रहे हैं , बीमारी छिपाने से, लापरवाही, इलाज न कराने से गम्भीर होने लगती है।