
पांच प्वाइंट्स में समझें फैसले का सार
नई दिल्ली (खबरगली) कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) ने अपने सदस्यों की सुविधा को ध्यान में रखते हुए आंशिक निकासी के नियमों को सरल और लचीला बना दिया है। अब सदस्य आवश्यकताओं, आवास और विशेष परिस्थितियों के तहत 100% तक निकासी कर सकते हैं। न्यूनतम सेवा अवधि 12 माह कर दी गई है और दस्तावेजों की आवश्यकता नहीं होगी। अब ईपीएफ खाताधारक अपनी आवश्यकताओं के अनुसार अधिक आसानी से और पारदर्शिता के साथ पैसा निकाल सकते हैं। इन बदलावों से न केवल प्रक्रिया तेज़ होगी, बल्कि सदस्यों को वित्तीय संकट के समय त्वरित सहायता भी मिल सकेगी।
पांच प्वाइंट्स में समझें ईपीएफओ के फैसले का पूरा सार।
1. निकासी के नियमों को बनाया आसान
अब ईपीएफ योजना के तहत आंशिक निकासी के लिए 13 जटिल प्रावधानों को मिलाकर केवल तीन श्रेणियों में बांटा गया है। ये हैं आवश्यक जरूरतें (बीमारी, शिक्षा, शादी), आवास संबंधी जरूरतें और विशेष परिस्थितियां। इससे प्रक्रिया सरल और समझने में आसान हो गई है।
2. 100% तक आंशिक निकासी की अनुमति
अब इपीएफ के सदस्य कर्मचारी और नियोक्ता दोनों के अंशदान सहित अपने खाते से 100% तक की राशि आंशिक रूप में निकाल सकते हैं। पहले यह सीमा सीमित थी, लेकिन अब इसे पूरी तरह से उदार बना दिया गया है।
3. नए कर्मचारियों को भी जल्दी लाभ मिल सकेगा
पहले आंशिक निकासी के लिए अलग-अलग मामलों में अलग-अलग सेवा अवधि की आवश्यकता होती थी। अब इसे सभी प्रकार की निकासी के लिए केवल 12 महीने कर दिया गया है, जिससे नए कर्मचारियों को भी जल्दी लाभ मिल सकेगा।
4. कारण बताने की जरुरत नहीं
विशेष परिस्थितियों जैसे प्राकृतिक आपदा, बेरोजगारी आदि में अब ईपीएफ खाते से पैसा निकालने के लिए कारण बताने की जरूरत नहीं है। सदस्य बिना किसी कारण बताए इस श्रेणी में निकासी के लिए आवेदन कर सकते हैं। इससे दावों के अस्वीकृत होने की संभावना कम हो गई है।
5. न्यूनतम बैलेंस बनाए रखना जरूरी
ईपीएफओ ने सदस्य के खाते में 25% राशि को न्यूनतम बैलेंस के रूप में बनाए रखना अनिवार्य किया गया है। इससे सदस्य को ईपीएफओ की ओर से दिए जाने वाले उच्च ब्याज दर (वर्तमान में 8.25% प्रतिवर्ष) का लाभ मिलता रहेगा और उनका रिटायरमेंट फंड सुरक्षित रहेगा। इसके साथ ही ग्राहक को चक्रवृद्धि ब्याज भी मिलती रहेगी।
- Log in to post comments