नवरात्रि के पांचवे दिन मां स्कंदमाता को इस मंत्र से करें खुश

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जानें पूजा-विधि, शुभ-मुहूर्त, भोग और शुभ रंग

ख़बरगली @ सहित्य डेस्क

हिंदू धर्म में आदिशक्ति मां दुर्गा के भक्तों के लिए खास होता है. नवरात्रि के पावन दिनों में मां दुर्गा के नौ अलग-अलग स्वरूपों की पूजा की जाती है. इस साल चैत्र नवरात्रि 2 अप्रैल से प्रारंभ हो चुके हैं, जो कि 11 अप्रैल को समाप्त होंगे. 6 अप्रैल को चैत्र नवरात्रि का पांचवां दिन है. नवरात्रि के पांचवे दिन मां के पंचम स्वरूप माता स्कंदमाता की पूजा- अर्चना की जाती है। मां अपने भक्तों पर पुत्र के समान स्नेह लुटाती हैं. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, मां की उपासना से नकारात्मक शक्तियों का नाश होता है. मां का स्मरण करने से ही असंभव कार्य संभव हो जाते हैं.

ऐसा माना जाता है कि बुद्ध ग्रह देवी स्कंदमाता द्वारा शासित हैं. स्कंद का अर्थ होता है ज्ञान को व्यवहार में लाते हुए कर्म करना और स्कंदमाता ऊर्जा का वो रूप है जिसकी उपासना से ज्ञान को व्यवहारिकता में लाकर पवित्र कर्म का आधार बनाया जा सकता है. इस तरह है ये इच्छा शक्ति, ज्ञानशक्ति और क्रिया शक्ति का समागम है. शिव तत्व का मिलन जब त्रिशक्ति के साथ होता है तो स्कंद ‘कार्तिकेय’ का जन्म होता है.

मां की कृपा से मिलता है संतान सुख

मां अपने भक्तों पर पुत्र के समान स्नेह लुटाती हैं. मां की पूजा करने से नकारात्मक शक्तियों का नाश होता है. मां का स्मरण करने से ही असंभव कार्य संभव हो जाते हैं. मां स्कंदमाता की कृपा से संतान सुख की प्राप्ति होती है. मां को विद्यावाहिनी दुर्गा देवी भी कहा जाता है.

नवरात्रि का पांचवां दिन-ये है शुभ मुहूर्त

ब्रह्म मुहूर्त: सुबह- 4:34 से शाम 5:20 विजय मुहूर्त: सुबह- 2:30 से शाम 3:20 गोधूलि मुहूर्त: सुबह- 6:29 से शाम 6:53 अमृत काल: सुबह- 4:06 शाम से 05:53 सर्वार्थ सिद्धि योग: पूरे दिन रहेगा रवि योग: शाम-7:40 से सुबह 6:05, अप्रैल 07

मां स्कंदमाता की पूजा

चैत्र नवरात्रि की पंचम तिथि को स्नान वगैराह करके बाद में माता की पूजा शुरू करें. मां की प्रतिमा या चित्र को गंगा जल से शुद्ध करें. इसके बाद कुमकुम, अक्षत, फूल, फल आदि अर्पित करें. मिष्ठान का भोग लगाएं. माता के सामने घी का दीपक जलाएं. उसके बाद पूरे विधि विधान और सच्चे मन से मां की पूजा करें. फिर, मां की आरती उतारें, कथा पढ़ें और आखिरी में मां स्कंदमाता के मंत्रों का जाप करें.

ऐसा है मां स्कंदमाता का स्वरूप

स्कंदमाता कमल के आसन पर विराजमान हैं, जिसके कारण उन्हें पद्मासना देवी भी कहा जाता है. मां स्कंदमाता को पार्वती एवं उमा नाम से भी जाना जाता है. मां स्कंदमाता सूर्यमंडल की अधिष्ठात्री देवी हैं.

स्कंदमाता का मंत्र

या देवी सर्वभूतेषु माँ स्कंदमाता रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।

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