पॉलीसिस्टिक किडनी की बीमारी से जूझ रहे प्रेमानंद महाराज : इसमें मौत का खतरा कितना ज्यादा?

Premanand Maharaj battling polycystic kidney disease: How high is the risk of death from this, famous saint of Vrindavan, Khabargali

वृंदावन (खबरगली) पावन तीर्थ वृंदावन के प्रसिद्ध संत श्री हित प्रेमानंद गोविंद शरण महाराज, जिन्हें लोग प्रेमानंद महाराज के नाम से जानते हैं, इन दिनों अस्वस्थ चल रहे हैं। उनकी तबीयत ठीक न होने के कारण उनकी सुबह की पदयात्रा को अनिश्चित काल के लिए स्थगित कर दिया गया है। इससे उनके अनुयायियों में चिंता का माहौल है और कई लोग यह जानना चाहते हैं कि आखिर महाराज को कौन सी बीमारी है।

दोनों किडनियाँ खराब, रोजाना होता है डायलिसिस

प्रेमानंद महाराज ने कई बार अपने प्रवचनों में बताया है कि उनकी दोनों किडनियाँ खराब हैं और उन्हें हर दिन डायलिसिस करवाना पड़ता है। साल 2006 में पेट दर्द की शिकायत के बाद जब उन्होंने जांच कराई, तो उन्हें पॉलीसिस्टिक किडनी डिजीज (Polycystic Kidney Disease – PKD) होने का पता चला। यह बीमारी किडनी को धीरे-धीरे निष्क्रिय बना देती है।

क्या है पॉलीसिस्टिक किडनी डिजीज?

पॉलीसिस्टिक किडनी डिजीज (PKD) एक जेनेटिक बीमारी है, जो जीन में म्यूटेशन के कारण होती है। इसमें किडनी के अंदर सिस्ट (गांठें) बनने लगती हैं, जो धीरे-धीरे बढ़कर किडनी के आकार को बड़ा कर देती हैं और किडनी की फिल्टर करने की क्षमता घटा देती हैं। इसके कारण हाई ब्लड प्रेशर, दर्द और किडनी फेल्योर जैसी समस्याएँ हो सकती हैं। गंभीर स्थिति में किडनी का वजन 13 किलो तक बढ़ सकता है।

पीकेडी के दो प्रकार

ऑटोसोमल डोमिनेंट पीकेडी (ADPKD): यह सबसे सामान्य प्रकार है और आमतौर पर 30 से 50 वर्ष की उम्र में सामने आता है। यह तब होता है जब माता-पिता में से किसी एक को यह बीमारी होती है। ऑटोसोमल रिसेसिव पीकेडी (ARPKD): यह दुर्लभ और गंभीर रूप है, जो नवजात शिशुओं को प्रभावित करता है। इसे कंजेनिटल या इनफेंटाइल पीकेडी भी कहा जाता है और यह जीन म्यूटेशन के कारण गर्भावस्था के दौरान विकसित होता है।

पॉलीसिस्टिक किडनी डिजीज के लक्षण

पीठ या बाजू में लगातार दर्द, हाई ब्लड प्रेशर, सिरदर्द, पेशाब में खून आना (हेमैच्यूरिया), बार-बार यूटीआई (मूत्र संक्रमण), किडनी स्टोन, बच्चों में पेट सूजना और सांस लेने में कठिनाई, पीकेडी का इलाज और नियंत्रण हालांकि PKD का पूरी तरह इलाज संभव नहीं है, लेकिन इसकी गति को धीमा करने और लक्षणों को नियंत्रित करने के तरीके मौजूद हैं।

ब्लड प्रेशर नियंत्रित रखें

डॉक्टर डाइट, एक्सरसाइज और दवाओं से BP कंट्रोल में रखने की सलाह देते हैं।

डायलिसिस: जब किडनी काम करना बंद कर देती है, तो खून को साफ करने के लिए डायलिसिस की जरूरत पड़ती है।

किडनी ट्रांसप्लांट: गंभीर मामलों में डोनर किडनी प्रत्यारोपित की जाती है।

दर्द नियंत्रण: संक्रमण या सिस्ट फटने से होने वाले दर्द के लिए दवाएं दी जाती हैं, लेकिन बिना परामर्श के दवा लेना खतरनाक हो सकता है।

क्या कहते हैं विशेषज्ञ*

नेफ्रोलॉजिस्ट्स का कहना है कि PKD को रोका नहीं जा सकता, लेकिन एक स्वस्थ जीवनशैली अपनाकर इसके प्रभाव को काफी हद तक कम किया जा सकता है। नियमित व्यायाम करें, तनाव से दूर रहें, ब्लड प्रेशर कंट्रोल में रखें, धूम्रपान और शराब से बचें, संतुलित आहार लें और वजन नियंत्रित रखें।