प्लास्टिक का विकल्प बायोडिग्रेडेबल से बचेगा पर्यावरण
दुर्ग (khabargali) दुर्ग नगर पालिक निगम स्वच्छ भारत मिशन 2.0 के तहत, बढ़ते सिंगल यूज प्लास्टिक के उपयोग और उससे होने वाले बढ़ते प्रदूषण को रोकने के लिए महापौर श्री धीरज बाकलीवाल , आयुक्त श्री हरेश मंडावी ,स्वास्थ्य अधिकारी एवम जन संपर्क अधिकारी श्री गिरीश दीवान ,सहायक स्वास्थ अधिकारी श्री जावेद अली द्वारा बायोडिग्रेडबल कैरी बैग्स की जानकारी देते हुए ,वितरण किया गया है । जिससे चैंबर ऑफ कॉमर्स के अध्यक्ष श्री प्रहलाद रूंगटा एवम सदस्य, व्यापारियों व उपयोगकर्ताओं से जनसम्पर्क कर जागरूक किया गया ।
दुर्ग निगम के द्वारा नोटिफ़िकेशन no क्र/9/सूडा/ एसबीएम-2/2021-22/ 4686 दिनांक 29/11/2021 के तहत जनता को जागरूक करने के लिए दुकानों में स्टीकर चिपका कर प्रतिबंधित और उपयोग में आने वाली प्लास्टिक की जानकारी दी गई । निगम के सामने VPN CAFE में सबसे पहले स्टीकर चिपका कर जानकारी दी गई। स्वच्छ भारत मिशन २.० के तहत इस प्रकार के जन जागरूकता अभियान से दुर्ग शहर की स्वच्छता रेंकिंग में सुधार होगा।
पर्यावरण कार्यकर्ता लक्ष्मी शर्मा के द्वारा 25000 बायोडिग्रेडेबल बैग वितरण के लिए निगम को निशुल्क उपलब्ध कराए गए । पर्यावरण कार्यकर्ता लक्ष्मी शर्मा पिछले 5 सालों से प्लास्टिक के विकल्प के लिए लोगों को जागरूक कर पर्यावरण के हित में कार्य कर रही है।
बायोडिग्रेडेबल कैरी बैग उपयोग करने के बाद खुले वातावरण में फ़ेक दिये जाने पर 180 दिनों में पूर्णतया जैव विघटित हो कर मिट्टी में बदल जाता है।
ख़बरगली ने पर्यावरण कार्यकर्ता लक्ष्मी शर्मा से बायोडिग्रेडेबल से जुड़े कुछ प्रश्न किए जिनके जवाब यहाँ पाठकों के लिए प्रस्तुत हैं-
प्रश्न(1) बायोडिग्रेडेबल क्या है?
कोई भी वस्तु जो खुले वातावरण में जैविक प्रक्रिया से मिट्टी खाद अथवा गैस में बदल जाता है । इस प्रक्रिया को बायोडिग्रेडेशन कहते है। जैसे पेड़ की पत्तियाँ, काग़ज़ ,अन्य बायो कचरा। बायोडिग्रेरेडेबल कैरी बैग उपयोग करने के बाद खुले वातावरण में फ़ेक दिये जाने पर 180 दिनों में पूर्णतया जैव विघटित हो कर मिट्टी में बदल जाता है।
प्रश्न (2) बायोडिग्रेडेबल से पर्यावरण कैसे बचेगा?
बायोडिग्रेडेबल का उपयोग कर, सिंगल यूज प्लास्टिक के बढ़ते उपयोग को कम कर पर्यावरण को बचाया जा सकता है।
प्रश्न(3) क्या बायोडिग्रेडेबल महंगा होता है?
जी नही, प्लास्टिक के मुकाबले यह एक सस्ता और पर्यावरण के अनुकूल है। नॉन वोवन क्या है? नॉन वोवन से बने झोले को सिंगल यूज प्लास्टिक की श्रेणी में रखा गया है। इस लिए छत्तीसगढ़ राज्य में नॉन वोवन से बने झोले को पूर्णतया बैन किया गया है। नॉन वोवन झोला सिंथेटिक फाइबर (पॉलीप्रोपलीन पीपीई) से बने होने के कारण पर्यावरण को नुकसान पहुंचाते है। और नॉन वोवन से स्किन संबंधी बीमारी , दमा,और कैंसर जैसी खतरनाक बीमारी होने की संभावना बनी हुई है।
नॉन वोवन के बारीक रेशे जो हमे नग्न आंखों से दिखाई भी नहीं पड़ते है,जो हमारे शरीर में पानी के श्रोत से , हमारी आंखों से , एवम सांस के जरिए हमारे शरीर में प्रवेश करते है।नॉन वोवन जितना मानव के लिए हानिकारक है ,उतना ही हमारे जीव जंतु ,पेड़ पौधे, और हमारी धरती के लिए भी हानिकारक है ।
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