अनुकरणीय: दो नेत्रहीनों के जीवन में रंग भरेंगी अनिल वैद्य जी की आँखे 

late shri anil vaidya

देश में 4.6 मिलियन लोग कॉर्नियल ब्लाइंडनेस से पीड़ित


जिंदगी के लम्हें हैं कम,
हर लम्हों में जी लो जीवन,
मौत कभी भी है अनजान,
अमर रहना है,  तो कर दो नेत्रदान |
संसार में चाहे, न किया हो किसी का भला,
जीवन भर कहते रहे,  तुम्हारा तुम देखो – मैं चला,
जाने से पहले,  किसी को दे दो जीवनदान,
अमर रहना है,   तो कर दो नेत्रदान |
तुम्हारी आँखों से,  वह देखेगा ख़ुशी से,
साकार करेगा ,  अपने सपनों को मर्जी से,
उसकी दुआओं को, मरने से पहले कर लो ग्रहण,
अमर रहना है,  तो कर दो नेत्रदान | (सुनंदा कुंभार की कविता)

रायपुर (khabargali) उक्त कविता की पंक्तियों को सिद्ध किया कोटा रायपुर निवासी श्रीे अनिल वैद्य जी के परिवार ने। 72 वर्षीय स्व. श्री अनिल वैद्य का 1 दिसंबर 2019 की सुबह 8 बजे निधन हो गया।  शोकाकुल परिजन एक- दूसरे को सम्हालने का प्रयास कर रहे थेे। इस दुखद घटना की जानकारी मिलने पर उनके परिजनों को ढांढस बंधाते हुए नेत्रदान का महत्व समझते हुए प्रेरित किया गया।  " उनकी आँखों से 2 नेत्रहीन बच्चों की दुनिया रोशन हो सकेगी ये समझने के बाद शोक संतप्त परिजन छाया दाभड़कर द्वारा उनके नेत्रदान की सहमति दी गयी। तब Eye Bank मेकाहारा की टीम द्वारा  सफलतापूर्वक उनके कार्निया को सुरक्षित रखने का कार्य संपन्न किया गया। इस कार्य में महाराष्ट्र मंडल ने भी सहयोग किया ।"अनिल जी की आँखे" ,अब भी इस दुनिया में है और उनकी आँखों से 2 नेत्रहीनों की दुनिया रोशन होगी इस बात की संतुष्टि उनके सभी परिजनों के मुख पर स्पष्ट दृष्टिगोचर हो रही थी।

खबरगली परिवार स्व. श्री अनिल वैद्य को सध्दावत नमन करते हुए श्रद्धांजलि अर्पित करता है और शोकसंतप्त परिवार के हौसले को सलाम करता है..खबरगली यहां नेत्रदान पर एक जानकारी पूर्ण तथ्य भी प्रस्तुत कर रहा है, उद्देश्य नेत्रदान को लेकर जागरूकता का है...

दूसरे के जीवन में उजाला फैला सकती हैं हमारी आंखें

मृत्यु सजा नहीं नियम है, हम सबको इस नियम का एक दिन पालन करना है। ये सच है कि जाने वाला कभी लौट कर नहीं आता.. हमारा अपना जब कोई संसार से विदा लेता है तो उसके जाने का दुख हमें हमेशा सालता है लेकिन अगर उसके नेत्र- दान कर दिए जाएं तो  उस परिजन को खो देने का दुख कुछ कम सा हो जाता है। और पूरी जिंदगी इस बात का सुकुन रहता है कि उनकी आंखों से दो नेत्रहीन के जीवन में उजाला तो फैला। आंखों का महत्व तो हम सब समझते हैं और इसीलिए इसकी सुरक्षा भी हम बड़े पैमाने पर करते हैं लेकिन हममें से बहुत कम होते हैं जो अपने साथ दूसरों के बारे में भी सोचते हैं। आंखें ना सिर्फ हमें रोशनी दे सकती हैं बल्कि हमारे मरने के बाद वह किसी और की जिंदगी से भी अंधेरा हटा सकती हैं। लेकिन जब बात नेत्रदान की होती है तो काफी लोग इस अंधविश्वास में पीछे हट जाते हैं कि कहीं अगले जन्म में वह नेत्रहीन ना पैदा हो जाएं। इस अंधविश्वास की वजह से दुनियां के कई नेत्रहीन लोगों को जिंदगी भर अंधेरे में ही रहना पड़ता है। अक्सर लोगों के पास कई तरह के सवाल होते हैं कि उनके धर्म में आँख या कोई भी अंग को दान करने की इजाजत है कि नहीं। कुछ धर्मों में किसी भी अंग को दान करने की इजाजत नहीं होती है। जबकि यह काम किसी भी धर्म से ऊपर होता है इससे आप किसी को नई जिंदगी दे सकते हैं। 

नहीं होती पूरी आंख ट्रांसप्‍लांट

वर्तमान में, केवल कॉर्निया और स्‍क्‍लेरा का उपयोग ट्रांसप्‍लांटेशन के लिए किया जा सकता है न कि पूरी आंख का। कॉर्निया एक ट्रांसप्‍लांट परत है, जो आंख के अगले हिस्‍से को कवर करता है और स्‍क्‍लेरा आंख का सफेद भाग है। वास्‍तव में, कॉर्निया ट्रांसप्‍लांट वर्तमान में मानवों में सबसे अधिक उपयोग होने वाली सामान्‍य ट्रांसप्‍लांट प्रक्रिया में से एक है।

दानदाता का परिवार न तो पैसा देगा या प्राप्‍त करेगा

यह समाज सेवा का पूरी तरह से स्‍वैच्छिक कार्य है, जिसके लिए दानदाता या उसके परिवार को कोई पैसा नहीं दिया जाता है, क्‍योंकि अंगों की बिक्री या खरीद गैर-कानूनी है। दानदाता के परिवार को नजदीकी नेत्र बैंक से संपर्क करना चाहिए ताकि चिकित्‍सक आकर परीक्षण कर सके और आंखों को प्राप्‍त कर सके। इस पूरी प्रक्रिया में मुश्किल से आधा घंटे का समय लगता है। दानदाता के परिवार से नेत्रदान की प्रक्रिया को सुविधाजनक बनाने के लिए किसी भी तरह की राशि का भुगतान करने के लिए नहीं कहा जाता है।

भारत में लगभग 4.6 मिलियन लोग कॉर्नियल ब्लाइंडनेस से पीड़ित

भारत में लगभग 4.6 मिलियन लोग कॉर्नियल ब्लाइंडनेस से पीड़ित हैं जिसका समाधान नेत्रदान से हो सकता है। हमारे देश में नेत्रदान को लेकर काफी भ्रांतियां हैं जिसकी वजह से लोग नेत्रदान करने से कतराते हैं। हांलकि सारे दॄष्टिहीन नेत्ररोपण द्वारा दॄष्टि नहीं पा सकते क्योंकि इसके लिये पुतलियों के अलावा नेत्र सबंधित तंतुओं का स्वस्थ होना जरुरी है। पुतलियां तभी किसी दॄष्टिहीन को लगायी जा सकती है जबकि कोई इन्हे दान में दे। नेत्रदान केवल मॄत्यु के बाद ही किया जा सकता है। देश की इतनी अधिक जनसंख्या को देखते हुए 30 लाख नेत्रदान हो पाना आसान लगता हो परन्तु ऎसा नही है। तथ्य कुछ अलग ही है, आइए इन्हे जानने की कोशिश कीजिये -

प्रति वर्ष 80 लाख मॄतको में सिर्फ़ 15 हज़ार ही नेत्रदान हो पाते हैं। क्या यह शोचनीय नही है? इससे भी अधिक दुर्भाग्यपूर्ण और शर्मिन्दा करने वाला तथ्य यह है कि बडी मात्रा में दान किये हुए नेत्र श्रीलंका से आते है। यह छोटासा देश, न सिर्फ़ हमें बल्कि अन्य देशों को भी दान में मिले नेत्र प्रदान करता है। क्या यह करोडो भारतियों के लिए शर्म की बात नहीं है? जब कि हम अलग अलग क्षेत्रों में स्वावलम्बन प्राप्त कर चुके है या स्वावलम्बन प्राप्त करने का प्रयास कर रहे है तब क्यों न नेत्रदान के क्षेत्र में भी स्वावलम्बन प्राप्त् करें ?
कार्नियल प्रति रोपण के माध्यम से कार्नियल ब्लाइंड व्यक्ति को दॄष्टि दे पाना पिछले 40-50 वर्षों से वैज्ञानिक तकनीकी द्वारा संभव होने के बावजूद हम उसके उपयोग में पीछे क्यौं हैं ? आइये हम न सिर्फ़ नेत्रदान करें बल्कि उसका प्रचार भी करें और दुसरों को नेत्रदान के लिये प्रेरित करें।


नेत्रदान बहुत आसान है, रक्तदान से भी आसान ! नेत्रदान से जुडे कुछ तथ्य निम्न प्रकार हैं

1. नेत्रदान के लिये उम्र एवं धर्म का कोई बन्धन नही हैं।चश्मा पहननेवाले या जिनका मोतीयाबिंद का आपरेशन हो चुका हो ऐसे व्यक्ति भी नेत्रदान कर सकते हैं।
2. केवल वही व्यक्ति जो एड्स, पीलिया या पुतलियों संबधीं रोगो से पीडित हो वह नेत्रदान नही कर सकते। परंतु इन सबका फ़ैसला नेत्र विशेषज्ञ द्वारा ही लिया जाना चाहिये क्यौंकि ऎसे नेत्र अनुसंधान के काम में आ सकते हैं।
3. किसी दुर्घटना में यदि पुतलियां ठीक हो तो पुलिस की अनुमति से नेत्रदान जरुर किया जा सकता है।
4. नेत्रदान मॄत्यु के बाद 3 या 4 घंटे के अन्दर होना चाहिए। असाधारण परिस्थिति में 6 घंटे तक नेत्रदान हो सकता है।
5. नेत्रदान में समय सीमा का बहुत महत्व है, अतः नेत्रदान की इच्छा अपनी वसीयत में ना लिखे क्यौंकि वसीयत अक्सर मॄत्यु के कई दिनों या महिनों बाद भी खोली जाती है।
6. नेत्रदान की इच्छा व्यक्त करने का बेहतर तरीका यह है कि अपने घर के करीबी नेत्र बैंक का शपथ पत्र भरें। रिश्तेदार एंव मित्र, जिन्होनें आपके शपथ पत्र पर साक्षीदार के रूप में हस्ताक्षर किये हों, आपकी भावना समझ सकते हैं। इसके लिये आप अपने रिश्तेदार,मित्रों एंव पडोसियों से अपनी इच्छा की चर्चा कर सकते हैं। इससे आपकी इच्छा पूरी होने की संभावना बढ़ जाती है एंव सामाजिक जागरुकता भी आती है।
7. शपथ पत्र भरने के बाद आपको एक कार्ड भी दिया जायेगा जिसमें आपका रजिस्ट्रेशन क्रमांक अंकित होगा। इस कार्ड को आप सदा अपने साथ रखें। यात्रा के समय भी!
8. नेत्रदान के लिये यह जरूरी नही है कि मॄतक ने ही कोई इच्छा की हो या शपथ पत्र दिया हो । संबधियों की इच्छा पर भी नेत्र बैंक के विशेषज्ञ को बुलाकर नेत्रदान किया जा सकता है।
9. नेत्र बैंक के टेलिफोन नं. अपने घर एंव ओफिस में रखें, दीवारों पर प्रदर्शित करें।
10. मृत्यु के पश्चात् तुरंत ही नेत्र बैंक को सूचित करना अत्यावश्यक है। इसे कोई भी रिश्तेदार, मित्र या पडोसी सूचित कर सकते है एंव इसके लिये उसी नेत्र बैंक को सूचित करना जरूरी नही है जिसका शपथपत्र मॄतक ने भरा हो। समय की आवश्यकता के कारण सबसे करीबी नेत्र बैंक को सूचित करें।
11. मॄतक का मृत्यु प्रमाण पत्र तैयार रखें और प्रमाण पत्र देने वाले डाक्टर को 10 सीसी ब्लड सैंपल लेने के लिये सूचित करें।
12. मॄतक की आंखों में आई ड्राप्स डालें। मॄतक की पलकों को बन्द कर दे एंव उनके उपर भीगी रूई या कपडा रख दें।
13. कमरें में पंखे बन्द कर दें। यदि एअर कंडिशनर हो तो उसे चालू रखें। भारी लाईट ना रखें।
14. मॄतक का सिर करीब 6 इंच ऊपर, दो तकियों पर रखें।