बजट 2020 ने बढाई : किसानों की टीस -उर्मिला देवी "उर्मि"

Urmila devi urmi khabargali
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रायपुर (khabargali) दूरदर्शी बजट, जिम्मेदार बजट, ऐतिहासिक बजट, यथार्थवादी बजट, विकासोन्मुखी बजट, दूरगामी फायदे पहुंचाने वाला बजट एवं इसी प्रकार के न जाने कितने ही आकर्षक नामों से संबोधित किए जाने वाले ..बजट बीस बीस.. में आर्थिक विकास में तेजी के लिए कृषि क्षेत्र की भूमिका को महत्वपूर्ण माना गया है , किन्तु किसानों का कहना है कि जिस प्रकार व्यापारियों उद्योगपतियों से सलाह मशवरा कर के उनके सुझावों पर ध्यान देते हुए उद्योगों के लिए बजटीय प्रावधान किए जाते हैं ,उसी प्रकार कृषि क्षेत्र के लिए बजट में प्रावधान हेतु देश के किसानों से विचार विमर्श कर उनके सुझावों पर विचार किया जाए तभी देश के किसान और कृषि की दशा- दिशा में कुछ सुखद परिवर्तन की आशा की जा सकती है , अन्यथा हताश किसानों द्वारा आत्महत्या के मामलों में वृद्धि की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता ।

बजट के जिस प्रावधान से कुछ राहत की उम्मीद है वह .."करदाता चार्टर".. बनाया जाना है जो सरकार को बाध्य करेगा कि करदाता को प्रताडित नहीं किया जाए । इस अच्छी पहल के लिए वित्त मंत्री महोदया को बहुत बहुत धन्यवाद ,किन्तु करदाताओं के लिए कौन सा विकल्प सही रहेगा ,यह जानने के लिए हर बार सी ए की मदद लेनी पड़ेगी और इस प्रावधान के अनुसार वास्तविक धरातल पर कितना काम हो पाएगा ,यह आयकर विभाग की नीयत पर निर्भर करेगा इसलिए कुछ विशेष नहीं कहा जा सकता । रोजगार वृद्धि का सारा काम उद्योगों पर छोड़ दिया गया है ।

समाचार माध्यमों से प्राप्त जानकारी के अनुसार देश की लगभग 52 -53 % जनसंख्या अपनी आजीविका के लिए कृषि से जुड़ी है , किंतु उस के लिए अलग से ..कृषि बजट.. की व्यवस्था में देरी का कारण समझ में नहीं आता ।कृषि को उद्योग का दर्जा कब , कैसे मिलेगा , इसका उल्लेख भी बजट में नहीं दिखाई दिया ।दशकों से चली आ रही इन मांगों का जिक्र तक नहीं किया गया है ,जिसने किसानों की निराशा को और बढ़ाया है। देश के आर्थिक विकास में कृषि क्षेत्र की महत्वपूर्ण भूमिका को मद्देनजर रखते हुए वित्त मंत्री महोदया ने कृषि और उससे जुड़े क्षेत्र के लिए 1.6 लाख करोड़ रुपये का बजटीय प्रावधान किया है । पानी की कमी वाले इलाकों में कृषि उत्पादन में बढ़ोतरी पर जोर दिया गया हैं । कृषि उत्पाद फल- सब्जी विमान से बाजार में पहुंचाए जाएंगे । रेफ्रिजरेटेड बोगी वाली किसान ट्रेन भी चलाने की घोषणा भी सुनने में बड़ी अच्छी लगती है , किन्तु जिन ग्रामीण किसानों के लिये तहसील अथवा जिले की मंडियों में अपने कृषि उत्पाद पहुंचाना अत्यन्त दुष्कर होता है ,उन्हें अंतर्राष्ट्रीय बाजार , रेल और विमान का झूठा लालच देना किसानों की टीस को और बढ़ाने वाला है । बजट में गांवों और किसानों पर फोकस की बात कही गई है ।कृषि और उससे संबंधित गतिविधियों पर 1.60 लाख करोड़ तथा ग्रामीण विकास, पंचायती राज पर 1.35 लाख करोड़ रुपये खर्च किए जाने की घोषणा हुई है , जो पिछले बजट से करीब पांच प्रतिशत अधिक है । सुप्रसिद्ध कृषि विज्ञानी एम एस स्वामीनाथन महोदय ने बजट का स्वागत यह कहते हुए किया है , कि बजट से यह स्पष्ट संदेश है मिलता है कि सरकार कृषि और किसान को प्राथमिकता दे रही है, किंतु किसानों का कहना है कि इन सभी उपायों के क्रियान्वयन की कोई निश्चित दिशा नहीं बताई गई है । बीस लाख किसानों को स्टैंड अलोन सोलर पंप देने की बड़ी घोषणा , 2022 तक किसानों की आय दुगुनी करने की.. उससे भी बड़ी घोषणा, किंतु इस लक्ष्य की प्राप्ति के लिए कौन सी जादुई छड़ी काम में ली जाएगी इसका खुलासा नहीं हुआ है ।

दो हजार बाईस तक किसानों की आय दोगुनी करने के लिए 2% की वृद्धि दर की आवश्यकता है। अभी यह दर सरकारी आंकड़ों के अनुसार 2.8% प्रतिशत है । यद्यपि बजट बीस बीस में जो धनराशि कृषि क्षेत्र के लिए आवंटित की गई है वह पिछली बार से अधिक है , 16 एक्शन पाइंट भी हैं , मछली- पालन ,मधुमक्खी- पालन और अधिक दुग्ध- उत्पादन इत्यादि उपायों का उल्लेख किया गया है , किंतु पिछले वित्त वर्षों की धनराशि अभी तक किसानों तक नहीं पहुंच पाई है, जिससे किसान निराश होकर आत्महत्या करने पर विवश होते रहते हैं । बजट बीस -बीस की घोषणाओं के साथ साथ ..16 एक्शन - पॉइंट ..के होते हुए भी प्रावधानों के क्रियान्वयन में ईमानदारी की संदिग्धता के विचार ने किसानों को निराशा के अंधकार में धकेल दिया है ।

आम चुनावों के समय राजनेता घर- घर जाकर वोट मांग लेते हैं ,तो फिर किसानों के लिए बजट प्रस्तुत करने से पूर्व किसानों से सलाह -मशवरा करने से परहेज क्यों ? अन्नदाता किसानों को ऊर्जा दाता बनाने के दिवा स्वप्न दिखाने के पूर्व उन्हें ऊर्जावान बनाने की आवश्यकता है।किंतु अब विचारणीय है कि जिन पीड़ित हताश किसानों के पास स्वयं ऊर्जा नहीं वह भला ऊर्जा दाता कैसे बन पाएंगे ?? विशेष रूप से ध्यान देने योग्य बात तो यह है कि ऊर्जा दाता बनाने के पूर्व देश के किसानों को सरकारी स्तर पर उन योजनाओं का लाभ पहुंचाने में ईमानदारी का व्यवहार आवश्यक है ,जो पिछले दशकों के बजट और पंचवर्षीय योजनाओं में तैयार की गई, किंतु अभी तक कागजों में ही दबी पड़ी बताई जाती हैं । यदि बजट के कृषि संबंधी प्रावधानों पर पूर्ण ईमानदारी और निष्ठा के साथ सभी स्तरों पर काम किया जाए तो सरकारी कार्यशैली के प्रति देश के किसानों का खोया हुआ विश्वास पुनः लौटाया जा सकता है , अन्यथा बजट बीस बीस भी किसानों के लिए टीस बढ़ाने वाला ही बन कर रह जाएगा और देश के विकास में कृषि क्षेत्र के महत्वपूर्ण योगदान का सरकारी दावा खोखला सिद्ध होगा । देश के अन्नदाताओं को ऊर्जा दाता बनाने के लिए किसानों से सुझाव मांग कर तदनुसार काम करने की जल्द पहल करना न केवल किसानों के हित में है वरन देश हित में भी है , क्योंकि देश की खुशहाली का रास्ता किसानों की खुशहाली से होकर ही जाता है ।

(लेखक के ये निजी विचार है)