माईनिंग फंड के खर्च में जवाबदेही सुनिश्चित करने का कांग्रेस ने किया स्वागत, कहा – रमन सरकार ने कमीशन के चक्कर मे DMF के पैसों का किया दुरुपयोग

Shaileah nitin trivedi

डीएमएफ के पैसों को भी रमन सिंह सरकार वहीं खर्च करती रही जहां कमीशन मिले है, प्रभावित वंचित रहे : कांग्रेस

 सीएसई की रिपोर्ट से रमन सिंह के जनविरोधी विकास की कलई खुल गई

रायपुर (khabargali)जिला कलेक्टरों से डीएमएफ का हिसाब मांगे जाने का स्वागत करते हुये प्रदेश कांग्रेस के महामंत्री एवं संचार विभाग के अध्यक्ष शैलेश नितिन ने कहा है कि सरकार में जवाबदेही हर स्तर पर होना चाहिए माइनिंग डेवलपमेंट फंड का सृजन इसलिए किया गया था ताकि जो लोग माइनिंग से प्रभावित हो रहे हैं, जिनका पूरा जीवन यापन के संसाधन और जिनका पूरा जीवन उस इलाके में माइनिंग होने से नष्ट हो गया है जिनकी जमीने चली गई हैं, जिनका जीवन और सब कुछ माईनिंग नष्ट हो गया है ऐसे लोगों को डीएम के माध्यम से आजीविका के वैकल्पिक साधन मुहैया कराए जाएं और माइनिंग के परिणाम स्वरूप जिन क्षेत्रों में विकास प्रभावित हुआ है उन क्षेत्रों में विकास के नए रास्ते बनाए जा सके चाहे स्कूल हो चाहे अस्पताल हो चाहे सड़क हो।

कई जिले के कलेक्टर इस अफरातफरी के संवाहक बने

प्रदेश महामंत्री ने कहा कि दुर्भाग्य से रमन सिंह की सरकार में भाजपा की सरकार में लगातार डीएमएस के पैसों का दुरुपयोग किया गया और कई जिला कलेक्टर इस दुरुपयोग और राशि की अफरातफरी के संवाहक बने। बिना अकाउंटेबिलिटी के संवाहक बने। डीएमएफ के पैसे को ऐसे समझ लिया गया था जैसे उनका कोई हिसाब ही नहीं देना है। भूपेश बघेल जी की सरकार, कांग्रेस की सरकार ने अन्य सभी क्षेत्रों के साथ-साथ डीएमएफ में भी जवाबदेही की जो शुरुआत की है कांग्रेस पार्टी उसका स्वागत करती है।

रमन सरकार ने निवेश को जनता से जोड़ने की बजाय निर्माण पर निवेश किया

उलेखनीय है कि राष्ट्रीय एजेंसी सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरमेंट (सीएसई) की छत्तीसगढ़ में ज़िला खनिज कोष यानी डिस्ट्रिक्ट डवलपमेंट कोष (डीएमएफ़) पर जारी रिपोर्ट में कहा गया था कि छत्तीसगढ़ की रमन सिंह सरकार ने निवेश को जनता से जोड़ने की बजाय निर्माण पर निवेश करने में लगा दिया। खनन से प्रभावित लोगों तक सबसे अधिक धन जाना चाहिए था लेकिन उन तक एक प्रतिशत राशि भी नहीं पहुंच रही है।

खनन प्रभावितो की भागीदारी खत्म कर दी

नियमानुसार डीएमएफ़ का पैसा खर्च करने में जनता की भागीदारी होनी थी लेकिन रमन सिंह ने खनन प्रभावित लोगों की भागीदारी ख़त्म कर दी है और सिर्फ़ अधिकारी ही इसके बारे में निर्णय ले रहे थे। इस रिपोर्ट में इस बात का भी जिक्र है कि कैसे सरकार ने केंद्र सरकार की ओर से बनाए गए नियमों को बदल दिया और कैसे नियम विरुद्ध निवेश भी किए गए हैं। चुनावी वर्ष में लाभ लेने के लिए डीएमएफ़ का पैसा प्रधानमंत्री उज्जवला योजना तक में लगा दिया गया। छत्तीसगढ़ के तीन ज़िलों में डीएमएफ़ के तहत सबसे अधिक पैसा इकट्ठा होता है। कोरबा, दंतेवाड़ा और रायगढ़ में सीएसई ने इन तीनों ज़िलों का गहन अध्ययन किया है ।

सीएसई की रिपोर्ट पर एक नजर

1.रमन सिंह सरकार के 15 वर्षों में छत्तीसगढ़ देश का सबसे ग़रीब राज्य बन गया है और प्रधानमंत्री के दिए आंकड़ों के अनुसार देखें तो आधी आबादी ग़रीबी रेखा के नीचे जी रही है।

2. भाजपा की केंद्र सरकार ने लोकसभा में जो आंकड़े दिए हैं उसके रमन सिंह जी के 15 वर्ष के शासनकाल के बाद अनुसार छत्तीसगढ़ के गांवों में 51.10 बच्चे कुपोषण के शिकार हैं और 82.10 प्रतिशत बच्चे रक्तल्पता यानी एनीमिया के शिकार हैं।

3. छत्तीसगढ़ के गांवों में 45.7 महिलाएं कुपोषण का शिकार हैं और 59.8 प्रतिशत एनीमिया से पीड़ित हैं।

4. डीएमएफ़ का पैसा ग़रीबी, भुखमरी, शिक्षा और स्वास्थ्य की हालत सुधारने के लिए अच्छा ज़रिया हो सकता था लेकिन भाजपा की प्राथमिकता में जनता थी न थी और न है।

5.सीएसई ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि छत्तीसगढ़ में डीएमएफ़ के पैसों का निवेश निर्माण प्रेरित है. यानी बिल्डिंग और रोड बनाने में रमन सिंह की दिलचस्पी है।

6.डीएमएफ़से कुल 3,133 करोड़ के काम को मंज़ूरी दी गई. सीएसई के अनुसार इसका 28 प्रतिशत हिस्सा निर्माण कार्यों के लिए दे दिया गया, शिक्षा के नाम पर 25 प्रतिशत खर्च किया गया लेकिन वह भी मात्र भवन निर्माण के लिए।

7. रायगढ़ में 40 प्रतिशत राशि निर्माण में चली गई तो दंतेवाड़ा में 34 प्रतिशत।

8. शिक्षा के नाम पर जो निवेश किया गया उसका 70 प्रतिशत हिस्सा भवन निर्माण में चला गया. यानी पढ़ाई की ओर ध्यान नहीं है, बिल्डिंग बनाने की ओर है।

9. डीएमएफ़ के पैसों से सरकार ने सड़कों, पुलों, मल्टीलेवल पार्किंग, सम्मेलन कक्ष, बस स्टॉप बनवा दिए और बहुत सारा पैसा अटल पुनर्नीविनीकरण और शहरी रूपांतरण मिशन (अमृत) में निवेश के लिए रख दिया।

10. छत्तीसगढ़ के ठेकेदार और इंजीनियर बताते हैं कि निर्माण कार्यों में सरकार में ऊपर से नीचे तक जो कमीशन जाता है वह 45 प्रतिशत तक है, इसीलिए यह सरकार सिर्फ़ निर्माण करवाती रही।

11. डीएमएफ़ के पैसों से खनन प्रभावित लोगों के हित में कोई काम नहीं किया गया। 

जनता की भागीदारी लगभग शून्य

1. सीएसई ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि ज़िला डीएमएफ़ निकायों में खनन प्रभावित समुदायों के प्रतिनिधित्व की कोई गुंजाइश नहीं है, वहां अधिकारियों और राजनीतिक प्रतिनिधियों का प्रभुत्व है. थोड़ी बहुत जो भागीदारी है वह पंचायती राज के कुछ सदस्यों तक सीमित है।

2. विधायकों और निर्वाचित जन-प्रतिनिधियों की भागीदारी में भी राजनीति बहुत है और अधिकांश जगह कांग्रेस की ओर से चुने हुए जनप्रतिनिधियों को डीएमएफ़ की बैठकों में बुलाया ही नहीं जाता।

3. रमन सिंह सरकार ने ‘जन-कल्याण’ की योजना संबंधी नियम में संशोधन कर लिया है और वे अपनी मर्ज़ी से डीएमएफ़ का पैसा किसी भी केंद्रीय योजना में डाइवर्ट कर रहे हैं. उदाहरण के लिए इसी से ज़िलों में प्रधानमंत्री उज्जवला योजना चलाई जा रही है।

4. पांचवीं अनुसूची क्षेत्रों में किसी भी परियोजना के लिए ग्राम सभा की मंज़री आवश्यक है लेकिन डीएमएफ़ के पैसों के उपयोग के बारे में उदाहरण नहीं है जिसमें ग्राम सभा को निर्णय प्रक्रिया में शामिल किया गया हो।

5. सीएसई की रिपोर्ट के अनुसार रमन सरकार में राज्य में डीएमएफ़ लाभार्थियों की पहचान नहीं की गई है, इसके बारे में कोई योजना तक नहीं बनी है और सब कुछ तदर्थ आधार पर हो रहा है।

6. दंतेवाड़ा में सबसे अधिक प्रभावित इलाक़ा कुआकोंडा ब्लॉक है लेकिन वहां कुल राशि का 12 प्रतिशत खर्च हुआ है जबकि कम प्रभावित गीदम में 25 प्रतिशत खर्च कर दिया गया।

अब कांग्रेस सरकार क्या करेगी

1. डीएमएफ़ का हिसाब किताब पारदर्शी होना चाहिए. राज्य सरकार ने डीएमएफ़ की वेबसाइट ज़रूर बनाई है लेकिन इसमें कोई हिसाब किताब नहीं है।

2. कांग्रेस की सरकार आने पर हम डीएमएफ़ को पूरी तरह से पारदर्शी बनाएंगे।

3. जन-प्रतिनिधियों व ग्राम सभा की भागीदारी सुनिश्चित करेंगे।

4. डीएमएफ़ की राशि के उपयोग में अधिकारियों का प्रभुत्व ख़त्म करेंगे।

5. विकास की अवधारणा को ‘निर्माण में निवेश’ से बदलकर ‘जनता पर निवेश’ की नीति बनाएंगे. इसी के अनुरूप कलेक्टरो ये डीएमएफ का हिसाब पूछा गया है तो भाजपा को बैचेनी हो रही है।